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कोरोना इलाज: उत्तराखंड में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत, AIIMS ऋषिकेश पहला संस्थान

उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मंगलवार से कोरोना के मरीजों के लिए 'कॉनवेल्सेंट' प्लाज्मा थेरेपी शुरू हो गई. उत्तराखंड में यह थेरेपी पहली बार शुरू हुई है.

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Published : Aug 5, 2020, 1:09 PM IST

ऋषिकेश: कोरोना मरीजों के इलाज में एक और कदम बढ़ाते हुए एम्स ऋषिकेश में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हो गयी है. उत्तराखंड में इस थेरेपी को शुरू करने वाला एम्स राज्य का पहला स्वास्थ्य संस्थान है. यह थेरेपी कोविड संक्रमित मरीजों की जीवन रक्षा करने में विशेष मददगार होगी.

उत्तराखंड में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत.

कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर सिद्ध हो रही है. इस विधि से इलाज की सुविधा अब एम्स ऋषिकेश में भी उपलब्ध है. एम्स अस्पताल प्रशासन के डीन प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने बताया कि पहली यूनिट ऋषिकेश निवासी एक 41 वर्षीय कोविड मरीज को दी गयी थी. अब इस मरीज में 50 प्रतिशत इम्प्रूवमेंट है.

पढ़ें: AIIMS में एयर एम्बुलेंस का सफल ट्रायल, पहाड़ी क्षेत्रों के मरीजों के लिए वरदान

उन्होंने बताया कि कोविड के ऐसे पेशेन्ट जो ठीक हो चुके हैं, वो 28 दिन बाद अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि प्लाज्मा देने वाले सभी लोग एम्स के हेल्थ केयर वर्कर हैं. बता दें कि इस विधि से कोविड के मरीज को सीधा लाभ पहुंचता है, और वह जल्दी ठीक हो जाता है.

ऋषिकेश: कोरोना मरीजों के इलाज में एक और कदम बढ़ाते हुए एम्स ऋषिकेश में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हो गयी है. उत्तराखंड में इस थेरेपी को शुरू करने वाला एम्स राज्य का पहला स्वास्थ्य संस्थान है. यह थेरेपी कोविड संक्रमित मरीजों की जीवन रक्षा करने में विशेष मददगार होगी.

उत्तराखंड में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत.

कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर सिद्ध हो रही है. इस विधि से इलाज की सुविधा अब एम्स ऋषिकेश में भी उपलब्ध है. एम्स अस्पताल प्रशासन के डीन प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने बताया कि पहली यूनिट ऋषिकेश निवासी एक 41 वर्षीय कोविड मरीज को दी गयी थी. अब इस मरीज में 50 प्रतिशत इम्प्रूवमेंट है.

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उन्होंने बताया कि कोविड के ऐसे पेशेन्ट जो ठीक हो चुके हैं, वो 28 दिन बाद अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि प्लाज्मा देने वाले सभी लोग एम्स के हेल्थ केयर वर्कर हैं. बता दें कि इस विधि से कोविड के मरीज को सीधा लाभ पहुंचता है, और वह जल्दी ठीक हो जाता है.

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