देहरादून: उत्तराखंड में पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड एक बार फिर आईएमपी ट्रांसफार्मर गड़बड़ी मामले पर उलझन में दिखाई दे रहा है. दरअसल, करीब 5 साल पुराने इस मामले में अब ट्रांसफार्मर देने वाली कंपनी से रिकवरी करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पिटकुल के अधिकारी उलझन में हैं कि आखिरकार रिकवरी कैसे की जाए.
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम तमाम गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को लेकर विवादों में रहता है, जिस पर कभी कोई बड़ी कार्रवाई भी नहीं दिखाई देती. इस बार मामला 2015 में खरीदे गए ट्रांसफार्मर का है, जो पिछले लंबे समय से विवादों में तो है, लेकिन 6 साल बीतने के बावजूद भी अब तक इस मामले में संबंधित कंपनी से रिकवरी तक नहीं हो पाई है. बता दें कि 2015 में आईएमसी कंपनी से 24 करोड़ के 4 ट्रांसफार्मर खरीदे गए थे, जिनमें कुछ ही साल में खराबी आने से पिटकुल में हड़कंप मच गया था. इस मामले में जांच कराई गई और पता चला कि ट्रांसफार्मर खरीद के दौरान जरूरी औपचारिकताएं पूरी की ही नहीं गई थी.
पढ़ें-उत्तराखंड के वोटर को पसंद नहीं CM फेस, इसलिए घोषणा नहीं करती पार्टियां
यही नहीं तत्कालीन चीफ इंजीनियर अनिल यादव को इस मामले के बाद स्थानांतरित कर दिया गया था. बताते चलें कि अनिल यादव को हाल ही में बड़ी जिम्मेदारी देते हुए यूपीसीएल में एमडी बना दिया गया है. बहरहाल इस मामले में कई अधिकारियों को सस्पेंड किया गया और कुछ को स्थानांतरित भी किया गया. लेकिन सरकार को हुए नुकसान को लेकर ना कोई एफआईआर हुई ना किसी पर कोई बड़ी कार्रवाई की गई. उधर इस मामले में संबंधित कंपनी से रिकवरी के आदेश दिए गए, लेकिन यह खरीद केंद्रीय स्तर पर की गई. ऐसे में कंपनी की बैंक गारंटी भी केंद्रीय स्तर पर ही ली गई. लिहाजा अब उस कंपनी से कैसे रिकवरी हो इस पर उलझन बनी हुई है. इस मामले पर संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.