देहरादून: दिवाली पर हर साल की तरह इस साल भी पटाखों से फैलने वाले प्रदूषण को लेकर बहस छिड़ी हुई है. दीपावली पर पटाखों को लेकर होने वाली बहस में इस बार भी लोगों के अलग-अलग रिएक्शन आ रहे हैं. एक बड़ा तबका मानता है कि लोगों को पटाखे जलाने से रोकना गलत है. कुछ लोगों का कहना है कि पटाखों से दीपावली और धर्म का कोई संबंध नहीं है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि बिना पटाखों के दीपावली की कल्पना करना भी बेमानी है. कुल मिलाकर इसे लेकर सभी की अपनी अपनी राय है.
ग्रीन क्रेकर केवल बोलने की बात, ऐसा कुछ नहीं होता: अक्सर दीपावली के मौके पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण को लेकर बहस तेज हो जाती है. दिवाली पर चलाए जाने वाले पटाखों को लेकर हमने पब्लिक से बात की तो वहीं कुछ पर्यावरण प्रेमियों से भी बात की. पर्यावरण प्रेमियों ने साफ तौर पर कहा दीपावली आतिशबाजी और पटाखों का पर्व नहीं बल्कि एक खुशी का पर्व है. हमें अपने साथ-साथ अपने आसपास के पर्यावरण और जंगली जीव जंतुओं का भी ध्यान रखना चाहिए. पटाखे जलाने हैं या नहीं जलाने हैं. इस बात पर हमें खुद निर्णय लेना चाहिए. वहीं, ग्रीन पटाखों को लेकर पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इस तरह का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है. यह केवल पब्लिक को गुमराह करने की एक शब्दावली है. पर्यावरण प्रेमियों का कहना है स्वास्थ्य हमारा है तो हमें ही इसके बारे में सोचना होगा.
पढे़ं- दुकान से बिना लाइसेंस के 240 किलोग्राम पटाखे का स्टॉक बरामद
पटाखों से धर्म का कोई लेना देना नहीं: वहीं, दूसरी तरफ आम लोगों में भी पटाखों को लेकर तरह तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि पटाखे और आतिशबाजी या किसी भी तरह से धर्म से जुड़वा विषय नहीं है तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वह खुलकर दीपावली में पटाखे जलाएंगे चाहे कोई कुछ भी कहे. ऐसे ही एक ग्राहक कुशलानंद जोशी ने दीपावली और पटाखों को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि दीपावली भगवान राम का त्योहार है. ईश्वर ने हमेशा प्रकृति का सम्मान किया है. हमें भी प्रकृति का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा सनातन धर्म वैज्ञानिकता के आधार पर चलता है. जिसको लेकर सोचने की जरूरत है. किसी भी तरह से आतिशबाजी और पटाखों को लेकर इस विषय को धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता.
इसी दौरान एक और ग्राहक अनुराग त्यागी ने कहा कि जितना पैसा हम पटाखों पर खर्च करते हैं बेहतर है कि हम उस पैसे से किसी गरीब का भला करें. अनुराग त्यागी ने कहा कि दिवाली भगवान राम के स्वागत में मनाई जाती है. जब भगवान रामायण में वापस अयोध्या लौटे थे तो उस समय पटाखों का चलन नहीं था. हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसका वास्तविकता में हमारे पर्व से कोई लेना देना नहीं है.
पढे़ं- उत्तराखंड: इन शहरों नहीं बिकेंगे चाइनीज पटाखें, सिर्फ दो घंटे मिलेगी आतिशबाजी की छूट
हम खुलकर पटाखे जलाएंगे, साल का एक दिन जश्न के नाम: कोविड-19 की बंदिशों के बाद इस बार लोग खुलकर दीपावली मनाना चाहते हैं. लोगों का कहना है कि वह भगवान राम के इस पर्व को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे और पटाखे भी जलाएंगे. इन लोगों का तर्क है कि प्रदूषण के नाम पर केवल पटाखों पर पाबंदियां क्यों? जब सभी लोगों को अपने धर्म के अनुसार जश्न मनाने की आजादी है तो दीपावली पर बंदिशें क्यों?.
ऐसे ही बाजार में मौजूद एक ग्राहक प्रशांत का कहना है कि पहले तो 2 साल बाद खुलकर दीपावली बनाने का मौका मिल रहा है तो वहीं इस मौके पर भी अगर पटाखे नहीं चलाएंगे तो फिर दिवाली का उत्सव कैसे मनाया जाएगा? उनका कहना है कि बिना पटाखों की दिवाली की कल्पना नहीं की जा सकती है. इसी तरह से एक-दूसरे ग्राहक अनुज सैनी का कहना है कि वह इस बार खुलकर पटाखे जलाएंगे. उनका कहना है कि पूरे साल भर में से वह एक दिन अगर पटाखे जलाना चाहते हैं तो उसमें क्या समस्या है, जबकि सभी लोगों को अपना त्योहार मनाने की आजादी है.