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खबरः गंगा और मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनाई जा रही है धूप-अगरबत्तियां, महक रही तीर्थनगरी - फूलों से अगरबत्ती तैयार

ऋषिकेश नगर निगम और एक सामाजिक संस्था ने मिलकर फूलों से अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने का कार्य शुरू कर है. जो शहर के लगभग सभी मंदिरों और गंगा तट से फूलों को निकालकर पूजा की सामग्री तैयार कर रहे हैं. वेस्ट फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के इस कार्य में करीब 10 महिलाएं भी कार्य कर रही हैं. गृहणी महिलाओं को घर में ही रोजगार मिलने से उन्हें आर्थिकी का सहारा मिल रहा है. साथ ही अच्छा पैसा भी कमा रहीं हैं. ऐसे वो काफी खुश नजर आ रही हैं.

ऋषिकेश में फूलों से बनाई जा रही है धूप-अगरबत्तियां.
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Published : Jun 5, 2019, 11:54 PM IST

ऋषिकेशः तीर्थनगरी में नगर निगम और एक सामाजिक संस्था ने मिलकर अनोखी पहल की शुरुआत की है. इस पहल के तहत गंगा और मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को निकालकर उससे अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाई जा रही है. इससे गंगा प्रदूषित होने से भी बचेगी. साथ ही फूल रिसाइकिल होकर लोगों के पास पहुंच रही है. इतना ही नहीं बचे हुए अपशिष्ट से जैविक खाद भी बनाया जा रहा है. वहीं, इस पहल से कई स्थानीय महिलाएं जुड़ीं हैं, जिन्हें इसके माध्यम से रोजगार भी मिल रहा है.

ऋषिकेश में फूलों से बनाई जा रही है धूप-अगरबत्तियां.

बता दें कि तीर्थनगरी में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. जो यहां पर स्थित विभिन्न मंदिरों और गंगा तट पर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. पूजा-अर्चना के दौरान लोग चढ़ावे और माला के लिए फूलों को इस्तेमाल करते हैं. जिसके बाद मंदिरों से फूल एकत्रित कर सभी फूलों को गंगा में डाल दिया जाता है. साथ ही गंगा तट पर गंगा मैया की आरती और पूजा के दौरान काफी मात्रा में फूलों को विसर्जित किया जाता है. इन फूलों की वजह से गंगा काफी दूषित हो रही थी. गंगा को दूषित होने से बचाने के लिए इन फूलों को दोबारा रिसाइकिल किया जा रहा है, जो काफी हद तक सफल साबित हो रहा है.

दरअसल, ऋषिकेश नगर निगम और एक सामाजिक संस्था ने मिलकर फूलों से अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने का कार्य शुरू कर है, जो शहर के लगभग सभी मंदिरों और गंगा तट से फूलों को निकालकर पूजा की सामग्री तैयार कर रहे हैं. वेस्ट फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के इस कार्य में करीब 10 महिलाएं भी कार्य कर रही हैं. गृहणी महिलाओं को घर में ही रोजगार मिलने से उन्हें आर्थिकी का सहारा मिल रहा है.

Etv Bharat से बातचीत करते हुए अगरबत्ती बनाने वाले रोहित प्रताप ने बताया कि बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही वेस्ट चीजों को दोबारे से इस्तेमाल करने की सोच थी. इस दौरान उन्होंने देखा कि गंगा में काफी मात्रा में फूल चढ़ाया जा रहा है. इन फूलों से काफी कुछ बनाया जा सकता है. जिसके बाद उनके दिमाग ये आइडिया आया और कार्य में जुट गए. इस तरह से ये सफल हो रहा है. रोहित ने बताया कि उन्होंने तीर्थनगरी के सभी मंदिरों के बाहर डस्टबिन रख दिए हैं. जिसमें मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूल डाल दिये जाते हैं. जिसके बाद उन फूलों को लाकर सुखाते हैं. फिर अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाया जाता है.

ये भी पढ़ेंः विश्व पर्यावरण दिवस: तीर्थनगरी में चला स्वच्छ्ता अभियान, पौड़ी सांसद बोले- ज्याद से ज्यादा लगाना होगा पेड़

उन्होंने बताया कि फूल का कुछ हिस्सा अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के काम आता है, लेकिन कुछ भाग उसमें से भी खराब निकलता है. ऐसे में वो उस वेस्टेज का इस्तेमाल जैविक खाद बनाने के लिए कर रहे हैं. रोहित ने बताया कि एक दिन में करीब डेढ़ कुंटल फूल इकट्ठा किया जाता है. जिसमें से 10 किलो फूल से एक किलो पाउडर तैयार होता है. जिसमें एक किलो पाउडर से 700 अगरबत्तियां बनाई जाती हैं. साथ ही कहा कि आगे वो इन फूलों से हर्बल रंग बनाने की योजना बना रहे हैं.

वहीं, नगर निगम के सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि नगर निगम ने सभी मंदिरों और फूलों की दुकानों के बाहर डस्टबिन रख दिए हैं. जिसमें लोग फूल डाल रहे हैं. फूलों को एकत्रित कर धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाने वाली जगह पर पहुंचा दिया जाता है. जिसके बाद उससे सामग्री बनाई जाती है. उन्होंने बताया कि अभीतक करीब 35000 अगरबत्ती बनाई जा चुकी हैं. ये अगरबत्तियां चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु को भी वितरित की जा रही हैं.

ऋषिकेशः तीर्थनगरी में नगर निगम और एक सामाजिक संस्था ने मिलकर अनोखी पहल की शुरुआत की है. इस पहल के तहत गंगा और मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को निकालकर उससे अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाई जा रही है. इससे गंगा प्रदूषित होने से भी बचेगी. साथ ही फूल रिसाइकिल होकर लोगों के पास पहुंच रही है. इतना ही नहीं बचे हुए अपशिष्ट से जैविक खाद भी बनाया जा रहा है. वहीं, इस पहल से कई स्थानीय महिलाएं जुड़ीं हैं, जिन्हें इसके माध्यम से रोजगार भी मिल रहा है.

ऋषिकेश में फूलों से बनाई जा रही है धूप-अगरबत्तियां.

बता दें कि तीर्थनगरी में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. जो यहां पर स्थित विभिन्न मंदिरों और गंगा तट पर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. पूजा-अर्चना के दौरान लोग चढ़ावे और माला के लिए फूलों को इस्तेमाल करते हैं. जिसके बाद मंदिरों से फूल एकत्रित कर सभी फूलों को गंगा में डाल दिया जाता है. साथ ही गंगा तट पर गंगा मैया की आरती और पूजा के दौरान काफी मात्रा में फूलों को विसर्जित किया जाता है. इन फूलों की वजह से गंगा काफी दूषित हो रही थी. गंगा को दूषित होने से बचाने के लिए इन फूलों को दोबारा रिसाइकिल किया जा रहा है, जो काफी हद तक सफल साबित हो रहा है.

दरअसल, ऋषिकेश नगर निगम और एक सामाजिक संस्था ने मिलकर फूलों से अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने का कार्य शुरू कर है, जो शहर के लगभग सभी मंदिरों और गंगा तट से फूलों को निकालकर पूजा की सामग्री तैयार कर रहे हैं. वेस्ट फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के इस कार्य में करीब 10 महिलाएं भी कार्य कर रही हैं. गृहणी महिलाओं को घर में ही रोजगार मिलने से उन्हें आर्थिकी का सहारा मिल रहा है.

Etv Bharat से बातचीत करते हुए अगरबत्ती बनाने वाले रोहित प्रताप ने बताया कि बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही वेस्ट चीजों को दोबारे से इस्तेमाल करने की सोच थी. इस दौरान उन्होंने देखा कि गंगा में काफी मात्रा में फूल चढ़ाया जा रहा है. इन फूलों से काफी कुछ बनाया जा सकता है. जिसके बाद उनके दिमाग ये आइडिया आया और कार्य में जुट गए. इस तरह से ये सफल हो रहा है. रोहित ने बताया कि उन्होंने तीर्थनगरी के सभी मंदिरों के बाहर डस्टबिन रख दिए हैं. जिसमें मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूल डाल दिये जाते हैं. जिसके बाद उन फूलों को लाकर सुखाते हैं. फिर अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाया जाता है.

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उन्होंने बताया कि फूल का कुछ हिस्सा अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के काम आता है, लेकिन कुछ भाग उसमें से भी खराब निकलता है. ऐसे में वो उस वेस्टेज का इस्तेमाल जैविक खाद बनाने के लिए कर रहे हैं. रोहित ने बताया कि एक दिन में करीब डेढ़ कुंटल फूल इकट्ठा किया जाता है. जिसमें से 10 किलो फूल से एक किलो पाउडर तैयार होता है. जिसमें एक किलो पाउडर से 700 अगरबत्तियां बनाई जाती हैं. साथ ही कहा कि आगे वो इन फूलों से हर्बल रंग बनाने की योजना बना रहे हैं.

वहीं, नगर निगम के सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि नगर निगम ने सभी मंदिरों और फूलों की दुकानों के बाहर डस्टबिन रख दिए हैं. जिसमें लोग फूल डाल रहे हैं. फूलों को एकत्रित कर धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाने वाली जगह पर पहुंचा दिया जाता है. जिसके बाद उससे सामग्री बनाई जाती है. उन्होंने बताया कि अभीतक करीब 35000 अगरबत्ती बनाई जा चुकी हैं. ये अगरबत्तियां चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु को भी वितरित की जा रही हैं.

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ऋषिकेश--ऋषिकेश में नगर निगम ने एक सामाजिक संस्था के साथ मिलकर एक अनोखी पहल की है,जी हां गंगा और मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों को निकालकर अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का कार्य किया जा रहा है,इस पहल से धूप बत्ती और अगरबत्ती तो बन ही रही है साथ गंगा प्रदूषित होने से भी बच रही है वहीं इस पहल की सभी लोग जमकर सराहना भी कर रहे हैं।


Body:वी/ओ--ऋषिकेश नगर निगम और सामाजिक संस्था एक साथ मिलकर सराहनीय कार्य कर रही है,तीर्थनगरी होने नाते ऋषिकेश में बड़ी संख्या में मंदिर है जहां पर श्रद्धालु पंहुचते हैं और मंदिरों में भगवान को फूल अर्पित करते हैं जिसके बाद मंदिरों से फूल एकत्रित कर सभी फूलों को गंगा में डाल दिया जाता था इसके साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा की पूजा अर्चना करने के लिए गंगा में फूल चढ़ाते है इन फूलों की वजह से गंगा काफी दूषित हो रही थी गंगा को दूषित होने से बचाने के लिए यह प्रयास किया गया और काफी हद तक यह प्रयास सफल साबित हो रहा है।

वी/ओ--नगर निगम के द्वारा सभी मन्दिरों से और गंगा के भीतर से फूलों को निकाला जाता है जिसके बाद उन फूलों से अगरबत्ती और धूप बत्ती बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया वेस्ट फूलों को इस्तेमाल कर अगरबत्ती बनाने वाले रोहित प्रताप ने ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत की रोहित ने बताया कि वे बीटेक की पढ़ाई करते समय ही सोच लिया था कि हर तरह के वेस्ट चीजों को उपयोग कर कुछ अलग करेंगे जिसके बाद उनके दिमाग मे आया कि गंगा में काफी मात्रा में फूल चढ़ाया जाता है इन फूलों से काफी कुछ बनाया जा सकता है रोहित ने बताया कि उन्होंने तीर्थनगरी के लगभग सभी मन्दिरों के बाहर डस्टबिन रखवा दिया है जिसमे मंदिर में चढ़ाए जाने वाले फूल डाल दिये जाते हैं जिसके बाद उन फूलों को लाकर सुखाया जाता है फिर अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाया जाता है इतना ही नही फूल का कुछ हिस्सा अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के काम आती है लेकिन कुछ भाग उसमें से भी वेस्टिज निकलता है उस वेस्टेज का भी इस्तेमाल करते हुए रोहित जैविक खाद भी बना रहे हैं,रोहित ने बताया कि एक दिन में लगभग डेढ़ कुंतल फूल इकट्ठा हो जाता है जिसमे से 10 किलो फूल से 1 किलो पाउडर बनता है 1 किलो पाउडर से 700 अगरबत्ती बन जाता है।इसके साथ ही रोहित आने वाले समय मे इन फूलों से हर्बल रंग भी बनाएंगे जो होली में इस्तेमाल किये जा सकेंगे,वहीं इस कार्य से कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

बाईट--रोहित प्रताप(फूलों से अगरबत्ती बनाने वाले व्यापारी)

वी/ओ--वहीं वेस्ट फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने के इस कार्य में लगभग 10 महिलाएं भी कार्य कर रही हैं ग्रहणी महिलाओं को रोजगार मिलने से महिलाएं भी काफी खुश नजर आ रही हैं महिलाओं का कहना है कि उनको घर बैठे ही रोजगार मिल गया है और वह इस रोजगार से काफी अच्छा पैसा कमा रही हैं।

बाईट--कुसुम लता(गृहणी महिला)


Conclusion:वी/ओ--ऋषिकेश नगर निगाह के सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि नगर निगम के द्वारा ऋषिकेश के लगभग सभी मंदिरों और फूलों की दुकानों के बाहर डस्टबिन लगवाए गए हैं जिसमें लोग फूल डाल दिया करते हैं उन फूलों को नगर निगम की गाड़ी एकत्रित कर गंगानगर में जहां पर धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाने का कार्य चल रहा है वहां पर उन फूलों को पहुंचा दिया जाता है जिसके बाद उन फूलों से धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाई जाती है सचिन रावत ने कहा कि अभी तक लगभग 35000 अगरबत्ती आ बनाई जा चुकी हैं अगरबत्ती यों को चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु में वितरित की जा रही है चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी इसके बारे में बताया जा रहा है ताकि वे लोग भी एक अच्छा संदेश लेकर जाएं, उन्होंने कहा कि गंगा से फूल निकालने से गंगा प्रदूषित होने से बचेगी।

बाईट--सचिन रावत(सफाई निरीक्षक)

पीटीसी--विनय पाण्डेय

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