देहरादूनः उत्तराखंड में धामी सरकार 2.0 का एक साल पूरा हो चुका है. सरकार हर जिले में एक साल पूरा होने का जश्न मना रही है. इसके अलावा यह दावे कर रही है कि बीते एक साल में सरकार ने कई नई ऊंचाइयों को छुआ है. कई तरह के कानून बनाए तो कई तरह की नीतियां भी सरकार ने पास की हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के दौरान कई बेहतर काम हुए तो कई ऐसे भी काम हैं, जो चर्चाओं और विवाद में रहे हैं.
एक अप्रैल से जेब होगी ढीलीः दरअसल, एक अप्रैल से आपकी जेब ढीली होने जा रही है. एक अप्रैल से बिजली, पानी, शिक्षा समेत सड़क पर गाड़ी दौड़ाना भी महंगा हो रहा है. जब आप अपने बच्चे के एडमिशन के लिए स्कूल फीस के साथ अन्य खर्चा कर रहे होंगे, इसी बीच आपको जेब और ढीली करनी होगी. पहले ही गैस सिलेंडर हो या डीजल पेट्रोल महंगे हैं. अब धामी सरकार ने 6 महीने में तीसरी बार बिजली के दाम बढ़ाकर राज्य वासियों को एक और झटका देने का काम किया है.
उत्तराखंड में बिजली महंगीः जनता को सबसे बड़ा झटका बिजली बिल से लगेगा. बीते एक साल में 3 बार बिजली के दाम बढ़ाए गए हैं. अब एक अप्रैल से उत्तराखंड में बिजली की दरों में इजाफा किया जा रहा है. इस बार ऊर्जा निगम बिजली के दामों में 12 फीसदी का इजाफा करने जा रहा है. बताया जा रहा है कि इससे 27.50 लाख जनता सीधे तौर पर प्रभावित होगी. ये तो शुक्र मानिए कि उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने जितने पैसे बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था, वो पूरा पास नहीं हुआ. नहीं तो 17% बढ़ोत्तरी के साथ बिजली का बिल आपके घर तक पहुंचता, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में बिजली विभाग या सरकार बिजली के बिलों में और भी इजाफा करेगी.
उत्तराखंड में पानी महंगाः बिजली विभाग के अलावा अब जल संस्थान भी जनता को दबाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा. दरअसल, एक अप्रैल से उत्तराखंड जल संस्थान भी 15% की वृद्धि करने जा रहा है. बाकायदा इसके लिए जल संस्थान ने मंजूरी भी ले ली है. ऐसे में एक अप्रैल से 3 महीने के पानी के बिलों में 150 से लेकर ₹200 तक की वृद्धि हो जाएगी. उत्तराखंड जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग की मानें तो पानी के बिलों में वैसे तो हर साल वृद्धि होती है, लेकिन इस बार संस्थान ज्यादा पैसे नहीं बढ़ा रहा है. महंगाई की मार झेल रही जनता के ऊपर अब पानी के बिल 200 रुपए ज्यादा जुड़ कर आएंगे, लेकिन सरकार और उनके अधिकारियों को यह ज्यादा नहीं लगते.
सड़क पर चलना महंगा, स्कूल वैन महंगीः केंद्र सरकार की ओर से पहले ही सिलेंडर और पेट्रोल के दामों में काफी बढ़ोत्तरी की गई है. ऊपर से अब उत्तराखंड में सड़क पर चलना भी महंगा हो जाएगा. दरअसल, उत्तराखंड में टोल टैक्स में इजाफा किया जा रहा है. इसके तहत उत्तराखंड में नेशनल हाईवे पर सफर करने वाले लोगों को एक अप्रैल से 6% ज्यादा पैसे देने होंगे. देहरादून का लच्छीवाला टोल प्लाजा भी काफी महंगा होने जा रहा है. अब तक चारपहिया वाहन यानी कार, जीप अगर देहरादून से दूसरी जगह या दूसरी जगह से देहरादून में दाखिल होती थी, तो उसे 95 रुपया अदा करने होते थे. अब यह बढ़कर ₹100 हो जाएगा. इसके साथ ही ट्रक, बस और अन्य बड़े वाहनों को भी 30 से 40 रुपए ज्यादा देने होंगे.
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देहरादून में दूसरे जिलों से या हरिद्वार, ऋषिकेश, सहारनपुर और कोटद्वार तक के निवासी काम करने आते हैं. ऐसे में मासिक पास की व्यवस्था जो परिवहन निगम की तरफ से की गई है, उसमें भी ₹200 तक इजाफा किया जा रहा है. इससे साफ है कि अब सड़क पर गाड़ी चलाना महंगा हो जाएगा. इसका असर सीधे आपकी जेब पर पड़ेगा. इसके अलावा आप अपने बच्चों को स्कूल सरकारी या गैर सरकारी वाहनों से भेज रहे हैं तो उसका किराया भी बढ़ जाएगा.
शराब सस्ती होने से महिलाएं नाराजः उत्तराखंड में शराब एक बड़ा मुद्दा है. पर्वतीय क्षेत्रों में हमेशा से परिवार चला रही महिलाओं की सबसे ज्यादा शिकायत यही रहती है कि उनके पति शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं. जिससे उनका घर चलाना मुश्किल हो जाता है. कई बार हिंसा का शिकार होना पड़ता है. कई घर तो शराब की वजह से उजड़ जाते हैं, लेकिन इन सबके बीच सरकार ने शराब की कीमतों में कमी की है. ये शराब के शौकीनों के लिए जरूर एक अच्छी खबर है. भले ही उन्हें ऐसा लगे कि शराब सस्ती हो गई है, लेकिन इसके अलावा अन्य चीजों के दामों में बढ़ोत्तरी भी तो हुई है.
दरअसल, उत्तराखंड में शराब नीति पर मुहर लगाई जा चुकी है. जिसके तहत यह फैसला लिया गया है कि नए वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के मुकाबले 15 से 20% शराब के दाम घट जाएंगे. सरकार का यह तर्क है कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में जितनी शराब बिक रही है, उससे 100% ज्यादा उत्तराखंड में शराब बिक रही थी. इससे शराब की तस्करी में भी इजाफा हो रहा था. लिहाजा, राज्य सरकार यह चाहती है कि इन तस्करों की कमर तोड़ी जाए. इसलिए उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश से कम दाम में शराब बेची जाएगी.
जनता की गुहारः खाने पीने की वस्तुओं के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था से लेकर सब कुछ महंगा हो रहा है. वित्तीय वर्ष का पहला महीना किसी भी परिवार के लिए महंगा होता है. क्योंकि, इसी महीने बच्चों के एडमिशन, बच्चों की यूनिफॉर्म से लेकर कॉपी किताबों जैसे तमाम तरह के खर्चे उठाने पड़ते हैं. ऊपर से महंगाई जनता की कमर तोड़ रही है. बिजली, पानी समेत अन्य खर्चों में इजाफा होने पर जनता भी नाराज नजर आ रही है. देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर समेत पहाड़ी राज्यों के लोगों का साफ कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लगातार बिजली, पानी के दामों में इजाफा हो रहा है.
महंगाई की मार पहले से ही चारों तरफ से पड़ रही है. ऊपर से इस तरह की बढ़ोत्तरी करना आम जनता के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं है. सरकार के शराब के दामों में कटौती करने को लेकर भी जनता बेहद निराश और आक्रोशित है. इसके साथ ही विपक्षी पार्टियां भी राज्य सरकार के इस फैसले पर अपना एतराज जता रही हैं.
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क्या कहती है बीजेपी: बिजली पानी के दाम बढ़ने को लेकर बीजेपी नेता अभिमन्यु कुमार कहते हैं कि राज्य के विकास के लिए कुछ फैसले लेने जरूरी होते हैं. विपक्ष जो उत्तराखंड में शराब सस्ती होने की बात कह रहा है, वह पहले इस बात की तस्दीक कर ले कि हमारे पड़ोसी राज्य में शराब के रेट क्या हैं. हम यह चाहते हैं कि किसी तरह से यहां पर शराब तस्करी ना हो. इसके लिए ही धामी सरकार ने यह फैसला लिया है कि बिजली पानी के रेट अगर कुछ बढ़ाए गए हैं तो व्यवस्थाओं को देखकर यह फैसले लिए जाते हैं.
सरकार आयुष्मान कार्ड के तहत आम जनता को सुविधा दे रही है. केंद्र सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं और तो और पूरे विश्व में महंगाई जिस तरह से कई देशों को तबाह कर रही है, उसके बावजूद भी केंद्र और राज्य सरकारों ने भारत को इसका अहसास तक होने नहीं दिया. कांग्रेस का काम सिर्फ सवाल खड़े करना है.