देहरादूनः जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव के बाद हालात लगातार खराब हो रहे हैं. बीते दिनों अचानक पानी का रिसाव हो गया था. जिसके बाद स्थानीय लोगों में दहशत है. जहां स्थानीय प्रशासन ने पानी के रिसाव को वाटर टैंक से लीकेज बताया था तो स्थानीय लोगों ने प्रशासन के जानकारी को गलत करार दिया है. उनका कहना है कि यह एक्यूफर पंचर से होने वाला रिसाव है.
उत्तराखंड के जोशीमठ में भू धंसाव से खड़ी हुई समस्या अभी भी जस की तस है. भले ही केंद्र से लेकर राज्य तक की प्रतिष्ठित तकनीकी एजेंसियों ने जांच कर ली हो और सरकार की ओर से ही नई विस्थापन पुनर्वास पॉलिसी को मंजूरी दे दी गई हो, लेकिन जो वास्तविक सवाल कि जोशीमठ का भविष्य क्या होगा और जोशीमठ के प्रभावितों का विस्थापन कब होगा? इसका जवाब सरकार के किसी अधिकारी के पास स्पष्ट रूप से नहीं है.
जोशीमठ में हालात पल पल दल रहे हैं. एक छोटी गतिविधि से भी इलाके में दहशत काफी बढ़ जाती है. ऐसा ही कुछ बीती रविवार को हुआ. जहां जोशीमठ में सिंहधार और नृसिंह मंदिर के पास भारी जल रिसाव हो गया. जिससे इलाके में दहशत का माहौल हो गया. जब मामला उछला तो स्थानीय प्रशासन ने इसे जल संस्थान के वाटर टैंक से रिसाव होना बताया, लेकिन जोशीमठ के स्थानीय लोगों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन गुमराह करने का काम कर रहे हैं.
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जोशीमठ के स्थानीय निवासी उमेश सती का कहना है कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति लगातार 55 दिनों से धरने पर बैठी है. ऐसे में सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वो उनकी बात सुने. एक पक्षीय नहीं, बल्कि सभी लोगों को अपने विश्वास में लेकर जोशीमठ के लिए एक बेहतर कदम उठाएं. उमेश सती का कहना है कि जोशीमठ और बदरीनाथ में फर्क कैसे किया जा सकता है?
जोशीमठ के लोगों की मांग विस्थापन की मानकों को लेकर है. जिसे शासन प्रशासन को सुनना चाहिए और उसके बाद कोई फैसला लेना चाहिए. यही हालात अभी भी जोशीमठ में बने हुए हैं और वहां पर स्थायी समाधान नहीं, बल्कि बेतरतीब समाधान किए जा रहे हैं. जो आने वाले भविष्य के लिए घातक साबित हो सकते हैं.