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अधिकारियों की सुस्त चाल से लटका 108 आपातकालीन सेवा का भुगतान, गहराया संकट

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Published : Jan 22, 2020, 1:11 PM IST

अधिकारियों की फाइलों पर सुस्ती 108 आपातकालीन सेवा के लिए मुसीबत बन गयी है. पिछले करीब 4 महीने से सेवा संचालित कर रही कंपनी के बिलों का भुगतान अबतक नही हो पाया है. नतीजतन 108 आपातकालीन सेवा का करीब 9 करोड़ का बकाया एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग का हो गया है. देखिये Etv Bharat की स्पेशल रिपोर्ट.

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बदहाल 108 सेवा

देहरादून: उत्तराखंड में फाइलों पर कुंडली जमाने की आदत राज्य की विकास योजनाओं पर हमेशा भारी पड़ती रही है. चिंता इस बात की है कि आपातकालीन सेवाओं से जुड़े मामलों पर भी फाइलों को लेकर यही सुस्ती दिखाई दे रही है. जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है.

108 लटका आपातकालीन सेवा का भुगतान.

दरअसल, 108 आपातकालीन सेवा का एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग द्वारा 90 और 10 के रेशियों में भुगतान किया जाता है. इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम की तरफ से आपातकालीन सेवा के भुगतान में ज्यादा लेटलतीफी दिखाई जा रही है. हालत यह है कि करीब 4 महीने से अनुमानत 7 करोड़ के भुगतान की फाइलें अधिकारियों द्वारा सुस्त चाल से आगे बढ़ाया जा रहा है.

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर कुछ तेजी दिखा रहा है, लेकिन बावजूद इसके खबर है कि करीब दो करोड़ का बकाया स्वास्थ्य विभाग पर भी बना हुआ है. जानकारी के अनुसार कुल 9 करोड़ के बकाए के चलते 108 आपातकालीन सेवा चला रही कंपनी भी आर्थिक परेशानी से जूझ रही है.

ये भी पढ़े: पलायन रोकने की कवायद, जल्द स्थापित होंगे 98 लघु उद्योग

बता दें कि इससे पहले इस सेवा को चला रही जीवीके कंपनी भी ऐसी ही सरकारी सुस्ती का शिकार हुई थी. जिसके बाद लंबे समय तक 108 सेवा के पहिए जाम हो गए थे. जिसका सीधा नुकसान आम जनता को झेलना पड़ा था. हालांकि स्वास्थ्य विभाग भी मान रहा है कि यह सेवा आपातकालीन है इसलिए इसका भुगतान हर महीने किया जाना चाहिए. साथ ही विभाग अपने स्तर पर भी इसका प्रयास कर रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड में फाइलों पर कुंडली जमाने की आदत राज्य की विकास योजनाओं पर हमेशा भारी पड़ती रही है. चिंता इस बात की है कि आपातकालीन सेवाओं से जुड़े मामलों पर भी फाइलों को लेकर यही सुस्ती दिखाई दे रही है. जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है.

108 लटका आपातकालीन सेवा का भुगतान.

दरअसल, 108 आपातकालीन सेवा का एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग द्वारा 90 और 10 के रेशियों में भुगतान किया जाता है. इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम की तरफ से आपातकालीन सेवा के भुगतान में ज्यादा लेटलतीफी दिखाई जा रही है. हालत यह है कि करीब 4 महीने से अनुमानत 7 करोड़ के भुगतान की फाइलें अधिकारियों द्वारा सुस्त चाल से आगे बढ़ाया जा रहा है.

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर कुछ तेजी दिखा रहा है, लेकिन बावजूद इसके खबर है कि करीब दो करोड़ का बकाया स्वास्थ्य विभाग पर भी बना हुआ है. जानकारी के अनुसार कुल 9 करोड़ के बकाए के चलते 108 आपातकालीन सेवा चला रही कंपनी भी आर्थिक परेशानी से जूझ रही है.

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बता दें कि इससे पहले इस सेवा को चला रही जीवीके कंपनी भी ऐसी ही सरकारी सुस्ती का शिकार हुई थी. जिसके बाद लंबे समय तक 108 सेवा के पहिए जाम हो गए थे. जिसका सीधा नुकसान आम जनता को झेलना पड़ा था. हालांकि स्वास्थ्य विभाग भी मान रहा है कि यह सेवा आपातकालीन है इसलिए इसका भुगतान हर महीने किया जाना चाहिए. साथ ही विभाग अपने स्तर पर भी इसका प्रयास कर रहा है.

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Special report....


Summary-अधिकारियों की फाइलों पर सुस्ती आपातकालीन सेवा 108 के लिए मुसीबत बन गयी है..पिछले करीब 4 महीने से सेवा संचालित कर रही कंपनी के बिलों का भुगतान अबतक नही हो पाया है...नतीजतन आपातकालीन सेवा 108 का करीब 9 करोड़ का बकाया एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग का हो गया है।। देखिये Etv Bharat की स्पेशल रिपोर्ट....




Body:उत्तराखंड में फाइलों पर कुंडली जमाने की आदत राज्य की विकास योजनाओं पर हमेशा भारी पड़ती रही है.. चिंता इस बात की है कि आपातकालीन सेवाओं से जुड़े मामलों पर भी फाइलों को लेकर यही सुस्ती दिखाई दे रही है... दरअसल आपातकालीन सेवा 108 का एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग द्वारा 90 और 10 के रेशों में भुगतान किया जाता है.. इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम की तरफ से आपातकालीन सेवा के भुगतान ऊपर बेहद ज्यादा लेट लतीफी दिखाई जा रही है.. हालत यह है कि करीब 4 महीने से अनुमानत 7 करोड़ के भुगतान की फाइलें अधिकारियों द्वारा बेहद सुस्त रवैया के साथ आगे बढ़ाई जा रही है... हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर कुछ तेजी दिखा रहा है लेकिन बावजूद इसके खबर है कि करीब दो करोड़ का बकाया स्वास्थ्य विभाग पर भी बना हुआ है... जानकारी के अनुसार कुल 9 करोड़ के बकाए के चलते आपातकालीन सेवा 108 चला रही कंपनी आर्थिक रूप से दिक्कतों में है... आपको बता दें कि इससे पहले इस सेवा को चला रही जीवीके कंपनी भी ऐसी ही सरकारी सुस्ती का शिकार हुई थी, जिसके बाद लंबे समय तक 108 सेवा के पहिए जाम हो गए थे, जिसका सीधा नुकसान आम जनता को झेलना पड़ा था।। हालांकि स्वास्थ्य विभाग भी मान रहा है कि यह सेवा आपातकालीन है इसलिए इसका भुगतान हर महीने किया जाना चाहिए और अपने स्तर पर वह इसका प्रयास कर रहे हैं।।


बाइट अमिता उप्रेती स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखंड


आपातकालीन सेवा में खासतौर पर एनएचएम की तरफ से खासी सुस्ती दिखाई जा रही है.. यह हालत तब है जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी नौकरशाही को फाइलों पर कुंडली नए जमाने के निर्देश देते रहे हैं.. हैरत की बात यह है कि मुख्यमंत्री के विभाग में ही अधिकारी फाइलों की गति को बेहद धीमा किए हुए हैं.. हालांकि आपातकालीन सेवा 108 से जुड़े अधिकारी मामले पर बड़े अधिकारियों के डर से कैमरे के सामने आने से बच रहे हैं।। लेकिन एनएचएम कार्यालय में चक्कर लगाते कंपनी के अधिकारियों की परेशानियां बढ़ती हुई दिखाई दे रही है... हालात यही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब एक बार फिर आपातकालीन 108 सेवा के पहिए जाम हो जाये।

पीटीसी नवीन उनियाल


Conclusion:मुख्यमंत्री के विभाग में ही अधिकारियों का इस तरह का रवैया चिंता का सबब बन गया है... परेशानी इस बात की है कि यह मामला सीधा जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा है और इन मामलों पर भी अधिकारी मुख्यमंत्री के निर्देशों को सुनने को तैयार नहीं।।।

पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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