डोईवाला: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र में बने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सिपेट) संस्थान में एक अलग फरमान सुनाया गया है. सीएम के ड्रीम संस्थान में लैब तैयार नहीं होने पर छात्रों को अमृतसर भेजने का हुक्म सुनाया गया है. अमृतसर भेजे जाने की बात से छात्र-छात्राएं और उनके परिजन परेशान हैं. साथ ही परिजनों ने संस्थान में जाकर हंगामा कर बच्चों को बाहर भेजने से मना कर दिया है.
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस सीपेट संस्थान को ड्रीम संस्थान बता कर तारीफ करते नहीं थकते हैं. उस सिपेट संस्थान में ट्रेनिंग कर रहे छात्र-छात्राओं को लैब न होने की बात कहकर अमृतसर भेजने की बात कही जा रही है. बच्चों को बाहर भेजे जाने की बात को लेकर परिजनों ने विरोध जताया है. साथ ही परिजन बच्चों को बाहर भेजने से मना कर दिया है.
परिजनों ने बताया कि उन्हें एडमिशन से पहले इसी संस्थान में रहकर ट्रेनिंग देने की बात की गई, लेकिन अब बच्चों को अमृतसर भेजने की बात की जा रही है. संस्थान में ट्रेनिंग ले रहे सभी बच्चों के परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, परिजनों ने बमुश्किल फीस की व्यवस्था कर बच्चों का एडमिशन कराया था.
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बता दें कि एक वर्ष पूर्व सिपेट संस्थान का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने किया था. 52 करोड़ की लागत से सिपेट संस्थान को स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इस संस्थान में ट्रेनिंग कर रहे 77 छात्र-छात्राओं को 6 महीने बाद ही अमृतसर भेजने का फरमान सुनाया जा रहा है, जिसके लिए परिजन तैयार नहीं हैं. इस संस्थान में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्लास्टिक प्रोसेसिंग एंड टेस्टिंग में 18 बच्चों ने एडमिशन लिया है, वहीं डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में 59 बच्चों ने एडमिशन ले रखा है.
पूरे मामले पर संस्थान के परियोजना अधिकारी अभिषेक राजवंश ने बताया कि संस्थान में कुछ समय के लिए लैब और मशीनों की कमी की परेशानी आ रही है और परिजनों की राय लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं आने दी जायेगी.