देहरादून: देश-विदेश में अपनी खुशबू के लिए मशूहर देहरादून का प्रसिद्ध बासमती एक बार फिर खेतों में लहलहाती हुई दिखाई देगी. गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर ने दून बासमती का जैविक प्रजनक बीज (सीड) तैयार कर लिया है. इस बीज को ओपन मार्केट में एक निजी कंपनी को उपलब्ध करवा दिया गया है.
दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले दून बासमती की खुशबू धीरे-धीरे खत्म होता जा रही थी. दून बासमती की खुशबू को बचाए रखने के लिए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय इस पर पिछले तीन सालों से काम कर रहा था. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बासमती (धान) का 'टाइप थ्री' जैविक बीज तैयार कर लिया है.
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विश्वविद्यालय ने प्रथम चरण में 10 क्विंटल तैयार किया है, जिसे निजी कंपनी को दे दिया गया है. जिससे फिलहाल करीब 350 हेक्टेयर कृषि भूमि पर दून बासमती का उत्पादन हो सकेगा. इसके बाद जैसे-जैसे बीज की डिमांड आएगी उसी हिसाब से विश्वविद्यालय बीजों को तैयार किया जाएगा.
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गौरतलब है कि बीज प्रमाणीकरण कंपनियों की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार साल 1981 तक देहरादून जिले में करीब 6000 एकड़ कृषि भूमि में बासमती की पैदावार हुआ करती थी, लेकिन साल 1990 में यह घटकर 200 एकड़ रह गई. साल 2010 तक आते-आते बासमती की पैदावार मात्र 55 एकड़ में सिमट कर रह गई. इस समय मात्र 11 एकड़ कृषि भूमि पर ही दून बासमती उगाई जा रही है. इसमें भी टाइप थ्री दून बासमती की पैदावार काफी कम है.