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जौनसार बावर में पांडव नृत्य का समापन, 40 साल बाद हुआ था कार्यक्रम का आयोजन

जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के सुरेऊ गांव में 40 साल बाद 17 जून को विधिवत दीप प्रज्वलित करके नौरता 9 दिनों तक चलने वाला पांडव नृत्य व थाती माटी की पूजा की विधिवत शुरुआत की गई थी, जिसका समापन आज हो गया है.

Pandav dance
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Published : Jun 25, 2022, 9:15 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर का जनजातीय क्षेत्र अपनी अनूठी परंपरा व संस्कृति के लिए विश्व विख्यात है. जौनसार बावर के सुरेऊ गांव में थाती माटी पूजन व गांव की खुशहाली के लिए (नौरता) 9 दिनों तक चलने वाला पांडव नृत्य आज विधि विधान पूर्वक संपन्न हुआ.

जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के सुरेऊ गांव में 40 साल बाद 17 जून को विधिवत दीप प्रज्वलित करके नौरता 9 दिनों तक चलने वाला पांडव नृत्य व थाती माटी की पूजा की विधिवत शुरुआत की गई थी. 9 दिनों तक गांव के पंचायती आंगन में ढोल दमाऊ की थाप पर मंडाण लगाया गया. इसमें गांव के महिला-पुरुषों में पांडव अवतरित हुए और उन्हें नचाया गया.
पढ़ें- मॉनसून की दस्तक से पहले आपदा प्रबंधन की कार्यशाला, तैयारियों को लेकर हुई चर्चा

इसके बाद सभी यमुना स्नान कर पंचायत आंगन में पहुंचे, जहां शनिवार सुबह पांडवों ने घर-घर जाकर भिक्षा मांगी. उसके बाद पांडव पंचायती आंगन में पहुंचे, जहां पांडव नृत्य हुआ. इसके बाद पांडव गांव से कुछ दूरी पर डांडा खेड़ा स्थित एक खेत में पहुंचे, जहां पर पांडव नृत्य के साथ ही हल चलाने में भूमि बंटवारा किया गया. इस दौरान पांडव कालीन समय पर पांडवों द्वारा लिया गया रूर्णिया साहूकार के कर्ज को पांडवों द्वारा चुकता करने जैसे वाक्य दिखाए गए. जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग डांडा खेड़े पहुंचे खेत में हल चलाकर पांडवों ने बीज की बुवाई की.

विकासनगर: जौनसार बावर का जनजातीय क्षेत्र अपनी अनूठी परंपरा व संस्कृति के लिए विश्व विख्यात है. जौनसार बावर के सुरेऊ गांव में थाती माटी पूजन व गांव की खुशहाली के लिए (नौरता) 9 दिनों तक चलने वाला पांडव नृत्य आज विधि विधान पूर्वक संपन्न हुआ.

जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के सुरेऊ गांव में 40 साल बाद 17 जून को विधिवत दीप प्रज्वलित करके नौरता 9 दिनों तक चलने वाला पांडव नृत्य व थाती माटी की पूजा की विधिवत शुरुआत की गई थी. 9 दिनों तक गांव के पंचायती आंगन में ढोल दमाऊ की थाप पर मंडाण लगाया गया. इसमें गांव के महिला-पुरुषों में पांडव अवतरित हुए और उन्हें नचाया गया.
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इसके बाद सभी यमुना स्नान कर पंचायत आंगन में पहुंचे, जहां शनिवार सुबह पांडवों ने घर-घर जाकर भिक्षा मांगी. उसके बाद पांडव पंचायती आंगन में पहुंचे, जहां पांडव नृत्य हुआ. इसके बाद पांडव गांव से कुछ दूरी पर डांडा खेड़ा स्थित एक खेत में पहुंचे, जहां पर पांडव नृत्य के साथ ही हल चलाने में भूमि बंटवारा किया गया. इस दौरान पांडव कालीन समय पर पांडवों द्वारा लिया गया रूर्णिया साहूकार के कर्ज को पांडवों द्वारा चुकता करने जैसे वाक्य दिखाए गए. जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग डांडा खेड़े पहुंचे खेत में हल चलाकर पांडवों ने बीज की बुवाई की.

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