देहरादून: अक्टूबर माह के मध्य में बे-मौसम बरसात होने से धान की फसल को खासा नुकसान हुआ है. उत्तराखंड में लगातार दो दिनों की भारी बारिश की वजह से खेत में कटने को तैयार धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है. जो फसल कट चुकी है वो सड़ने की कगार पर है. ऐसे में किसान काफी मायूस नजर आ रहे हैं.
बे-मौसम बारिश के चलते धान की लेट कटने वाली फसल को दोतरफा मार पड़ी है. धान की फसल गिरने और सड़ने से किसानों को भारी नुकसान की आशंका है. कृषि विशेषज्ञ डॉ. एमपी चौधरी का कहना है कि प्रदेश में पिछले 48 घंटों से पश्चिमी चक्रवात की बे-मौसम बारिश और हवाओं ने बासमती धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. खेत में पककर तैयार हो चुकी फसल गिर जाने से सड़ने की कगार पर है.
किसान मायूस: किसान अमर सिंह भी काफी मायूस हैं. उनका कहना है कि बे-मौसम बारिश से धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है. तो वहीं, शकुंतला देवी ने कहा कि धान की फसल गिर गई है, जिससे फसल को काटने में काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि इस बार धान की लागत भी नहीं निकलेगी.
धान की पैदावार घटेगी: डॉ. एमपी चौधरी के मुताबिक बासमती धान की पैदावार औसतन 4 से 5 कुंटल प्रति बीघा होती है. इस बारिश से धान की पैदावार में प्रति बीघा 2 कुंतल कम होने के आसार हैं. ऐसे में एक बार फिर किसान मायूस हैं.
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फसल की गुणवत्ता पर भी असर: डॉ. एमपी चौधरी के मुताबिक बे-मौसम बारिश और धान की फसल गिरने से धान की पैदावार तो घटेगी ही, साथ ही धान की धान गुणवत्ता पर असर पड़ेगा, जिसका सीधा असर धान की बिक्री पर भी पड़ेगा.
गन्ने और मिर्च की फसल के लिए संजीवनी: डॉ. एमपी चौधरी ने बताया कि यह बारिश गन्ना और मिर्च की फसल के लिए काफी फायदेमंद है. इस बारिश से गन्ने की फसल की पैदावार बढ़ेगी. औसतन प्रति बीघा में 70 से 80 कुंटल गन्ना उत्पादन होता है, लेकिन ग्रोथ के समय पर्याप्त पानी मिलने से प्रति बीघा गन्ने की फसल 90 कुंटल को पार कर सकती है.
इन फसलों को नुकसान: डॉ. एमपी चौधरी के मुताबिक पहाड़ में टमाटर और मैदान में मटर की फसल को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में फसल की गुणवत्ता और पैदावार घटने के चलते इस बार किसानों को फसल का मेहनताना भी मिलना मुश्किल हो जाएगा.
देहरादून में मुख्य कृषि अधिकारी लतिका सिंह के मुताबिक जनपद में लगभग 600 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है. 600 हेक्टेयर के हिसाब से 25 से 30 फीसदी फसल का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, अभी अधिकारिक आंकड़ा आना बाकी है. लतिका सिंह ने बताया कि देहरादून जनपद में माजरा, आसन, पछवादून के सेलाकुई क्षेत्र में बासमती धान की फसल होती है.