देहरादून: कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन जारी है. देवभूमि उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं. लॉकडाउन के कारण व्यापार के सभी क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ा है. उत्तराखंड की रीढ़ परिवहन सेवा भी बुरी तरह चरमरा गई है. लॉकडाउन से पहले बसें जहां खड़ी थी, आज भी उसी जगह खड़ी हैं. बसों में धूल और जाले लग चुके हैं. बसों के मालिक, चालक और परिचालकों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
देहरादून जनपद की करीब 300 सिटी बसें सहित गढ़वाल और कुमाऊं में चलने वाली करीब 5 हज़ार बसों से लाखों लोग जुड़े हुए हैं. लॉक डाउन की वजह से इनके सामने कठिनाइयों का पहाड़ खड़ा हो गया है. इनका कहना है कि अभी तो अंदाजा लगाना भी मुश्किल है कि इस कठिनाई के कब पार लग पायेगा.
महानगर सिटी बस के अध्यक्ष विजय डंडरियाल कहते हैं कि पहले कहा गया था कि एक दिन का लॉकडाउन है और बस संचालकों ने बसों को जहां जगह मिली खड़ी कर दी. लेकिन उसके बाद मालूम हुआ कि यह लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है. यह प्रक्रिया अचानक होने से हमारी जो गाड़ियां जहां खड़ी थी, वही खड़ी रह गई.
लॉकडाउन के कारण खड़ी गाड़ियां धूप, बरसात से खराब हो रही है और जब गाड़ियां चलती नहीं है तो कहीं ना कहीं बसों की मशीन पर भी दिक्कत आ गई है. जब कभी यह लॉकडाउन खुलेगा तो हमें सबसे पहले बसों की मरम्मत करानी होगी. जिस कारण शुरुआत में ही हमारे ऊपर कई अधिक आर्थिक दबाव आ जाएगा. वे आगे कहते हैं कि शहर भर में करीब 300 बसें चलती है और एक बस से 3 परिवार का पालन पोषण होता है. साथ ही बसों से संबंधित असंगठित क्षेत्रों के मोटर मिस्त्री, डेंटर पेंटर, हवा वाला और ग्रीस वाले इस तरह के कई लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
वे कहते हैं कि हमने दो बार सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मदद के लिए पत्र भेजा , लेकिन अब तक हमें किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली है. पूरे प्रदेश की बात करें तो कुमाऊं और गढ़वाल की करीब 5000 बसों के पहिये लॉकडाउन के दौरान रुक गए हैं. चारधाम यात्रा से बस मालिकों की हालत में सुधार हो जाता है, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण इस बार चारधाम यात्रा शुरू नहीं हो पाई है.
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देहरादून में सिटी बस ड्राइवर देवेंद्र प्रसाद का कहना है कि लॉकडाउन से पहले हम प्रतिदिन 500 रुपये कमा लेते थे, जिससे हमारे परिवार का पालन पोषण हो जाता था. लेकिन लॉकडाउन के बाद हमारी बसे खड़ी हो गई हैं. जिससे हमारे परिवार के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. राज्य सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल पायी है.
कुल मिलाकर कोरोना वायरस के कारण उत्तराखंड की रीढ़ पर्यटन और परिवहन सेवा बुरी तरह चरमरा चुकी है. सिर्फ सरकार ही नहीं इससे जुड़े लोगों के रोजगार पर भी बुरा असर पड़ा है. लॉकडाउन कब खुलेगा? इसका अंदाजा लगाना तो अभी मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को इस संकट से उबरने में काफी वक्त लग जायेगा.