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देहरादून में सूखे पत्तों से बनाई जा रही है जैविक खाद - वेस्ट वारियर्स तैयार कर रहे जैविक खाद

देहरादून में वेस्ट वॉरियर्स द्वारा जैविक खाद तैयार की जा रही है. वेस्ट वॉरियर्स सूखे पत्तों को इकट्ठा करके सिर्फ तीन महीने में जैविक खाद बना रहे हैं.

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जैविक खाद
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Published : Feb 10, 2021, 1:53 PM IST

देहरादून: किसानों के लिए जैविक व परंपरागत खेती करने का एक नया तरीका इजाद किया गया है. यह नया तरीका वेस्ट वॉरियर्स द्वारा निकाला गया है. वेस्ट वॉरियर्स सूखे पत्तों को इकट्ठा करके सिर्फ तीन महीने में जैविक खाद बना रहे हैं. इसके लिए वेस्ट वॉरियर्स ने गांधी पार्क में बेड़े बनाए हैं. इनमें पार्क में लगे पेड़ों के सूखे पत्तों को इकट्ठा किया जाता है. इन्हें बेड़े में लाकर तीन महीने तक स्टोर किया जाता है. उसके बाद जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है. इस खाद का प्रयोग गांधी पार्क में पेड़-पौधों पर किया जाता है. जिससे वह हरे-भरे रहते हैं.

वेस्ट वॉरियर्स का कहना है कि केमिकल खाद बनने में कुछ दिन ही लगते हैं लेकिन इस खाद से काफी नुकसानदायक परिणाम निकलते हैं. वहीं जिस तरह से वह सूखे पत्तों से जैविक खाद बना रहे हैं, यह खाद पूरी तरह से जैविक है. इससे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

पढ़ें: आप की सरकार से मांग, उच्च हिमालय की जल विद्युत परियोजनाओं की हो समीक्षा

वेस्ट वॉरियर नवीन सड़ाना ने बताया कि गांधी पार्क में जितने भी सूखे पत्ते निकलते हैं उनके द्वारा इकट्ठे किये जाते हैं. गांधी पार्क में बने कंपोस्ट एनक्लोजर (बाड़ा) में भर कर जैविक खाद बनाई जा रही है. एक बाड़े में 400-500 किलो पत्ते भर जाते हैं. इसमें तीन महीने का समय एक अच्छी जैविक खाद बनने में लग जाता है. यह प्रक्रिया प्राकृतिक है. इसमें किसी भी तरह की कोई मशीन और केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है. तीन महीने में बहुत ही बेहतर जैविक खाद बन कर तैयार हो जाती है.

देहरादून: किसानों के लिए जैविक व परंपरागत खेती करने का एक नया तरीका इजाद किया गया है. यह नया तरीका वेस्ट वॉरियर्स द्वारा निकाला गया है. वेस्ट वॉरियर्स सूखे पत्तों को इकट्ठा करके सिर्फ तीन महीने में जैविक खाद बना रहे हैं. इसके लिए वेस्ट वॉरियर्स ने गांधी पार्क में बेड़े बनाए हैं. इनमें पार्क में लगे पेड़ों के सूखे पत्तों को इकट्ठा किया जाता है. इन्हें बेड़े में लाकर तीन महीने तक स्टोर किया जाता है. उसके बाद जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है. इस खाद का प्रयोग गांधी पार्क में पेड़-पौधों पर किया जाता है. जिससे वह हरे-भरे रहते हैं.

वेस्ट वॉरियर्स का कहना है कि केमिकल खाद बनने में कुछ दिन ही लगते हैं लेकिन इस खाद से काफी नुकसानदायक परिणाम निकलते हैं. वहीं जिस तरह से वह सूखे पत्तों से जैविक खाद बना रहे हैं, यह खाद पूरी तरह से जैविक है. इससे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

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वेस्ट वॉरियर नवीन सड़ाना ने बताया कि गांधी पार्क में जितने भी सूखे पत्ते निकलते हैं उनके द्वारा इकट्ठे किये जाते हैं. गांधी पार्क में बने कंपोस्ट एनक्लोजर (बाड़ा) में भर कर जैविक खाद बनाई जा रही है. एक बाड़े में 400-500 किलो पत्ते भर जाते हैं. इसमें तीन महीने का समय एक अच्छी जैविक खाद बनने में लग जाता है. यह प्रक्रिया प्राकृतिक है. इसमें किसी भी तरह की कोई मशीन और केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है. तीन महीने में बहुत ही बेहतर जैविक खाद बन कर तैयार हो जाती है.

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