देहरादूनः हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड ऑर्गेनिक खेती के लिए मुफीद साबित हो रहा है. यही वजह है कि उत्तराखंड के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट आज देशभर में पहले पायदान पर देखे जा रहे हैं. इनमें उछाल की बड़ी वजह कोरोनाकाल माना जा रहा है. हालांकि, ऑर्गेनिक सेक्टर में काम उत्तराखंड में काफी पहले से शुरू हो गया था, लेकिन कोरोनाकाल में इस पर जोर दिया गया है.
उत्तराखंड में 34 फीसदी खेती ऑर्गेनिकः उत्तराखंड आज ऑर्गेनिक फूड का द्योतक बन चुका है. ऑर्गेनिक सेक्टर में बीते कई सालों से काम किया जा रहा है, लेकिन कोरोनाकाल के बाद उत्तराखंड में ऑर्गेनिक फूड की डिमांड और सप्लाई काफी तेजी से बढ़ी है. उत्तराखंड में ऑर्गेनिक उत्पादन की अगर बात की जाए तो 34 फीसदी खेती ऑर्गेनिक की जा रही है. जिसका क्षेत्रफल तकरीबन 82,474 हेक्टेयर है.
उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर विनय कुमार बताते हैं कि जो पारंपरिक मिलेट उत्पाद हैं, वो पारंपरिक तौर से ऑर्गेनिक ही हैं. पहाड़ी इलाकों में होने वाले मंडुआ, चौलाई, रामदाना जैसे मोटे अनाज पारंपरिक रूप से ऑर्गेनिक खेती से ही उगाए जाते हैं. इसके अलावा पहाड़ी जिलों में कई तरह के अन्य उत्पाद जैसे मिर्च, फल, सब्जी भी ऑर्गेनिक होते हैं. क्योंकि, हिमालयी क्षेत्रों तक कीटनाशक यानी पेस्टिसाइड की पहुंच नहीं है.
उत्तराखंड में पारंपरिक खेती से पहाड़ बना ऑर्गेनिक का गढ़ः उत्तराखंड में ऑर्गेनिक खेती से जुड़े किसानों की अगर बात की जाए तो तकरीबन 1,29,500 किसान ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. जो कि पूरे प्रदेश में होने वाली खेती के 34 फीसदी खेती यानी 82,474 हेक्टेयर भूमि पर ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. ऑर्गेनिक खेती में सबसे ज्यादा किसान पहाड़ी जिलों में हाथ आजमा रहे हैं.
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दरअसल, देखा जाए तो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पारंपरिक तौर तरीके से ही ऑर्गेनिक खेती होती आ रही है. यही वजह है कि उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में ऑर्गेनिक किसान ज्यादा पंजीकृत हुए हैं. इसकी तस्दीक आंकड़े कर रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा पौड़ी जिले में 17,187 उसके बाद अल्मोड़ा में 16,682 और तीसरे नंबर पर रुद्रप्रयाग में 15,271 किसान ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं.
इसी तरह से टिहरी जिले में 13,158, चमोली में 12,402, नैनीताल में 11,965, पिथौरागढ़ में 10,222, उत्तरकाशी में 9,448, देहरादून जिले में 6,060, हरिद्वार में 4,373, उधम सिंह नगर में 4,046 और चंपावत में 4,521 ऑर्गेनिक किसान रजिस्टर्ड हैं.
कोरोना के बाद ऑर्गेनिक सेक्टर में उछालः उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड के एमडी विनय कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा संवेदनशील हुए हैं. क्या खाना है और किस तरह से अपनी इम्यूनिटी को बेहतर बना कर रखना है? इसको लेकर लोग ज्यादा सोचने लगे हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के ऑर्गेनिक में उछाल आने की यह एक बड़ी वजह है.
ऑर्गेनिक बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार, कोरोनावायरस के बाद देश में लगे लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड में रिवर्स पलायन करने वाले प्रवासी ने भी ऑर्गेनिक व्यवसाय में खूब रुचि दिखाई है. ऑर्गेनिक बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर बताते हैं कि ऑर्गेनिक बोर्ड की ओर से कई ऐसे प्रवासी लोगों जो कि लॉकडाउन के चलते वापस लौटे थे, उन्हें ऑर्गेनिक के क्षेत्र में ट्रेनिंग दिलाई गई और उन्होंने ऑर्गेनिक के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है.
इसी तरह से उत्तराखंड के कई ऑर्गेनिक किसानों और ऑर्गेनिक खरीदने वाले ग्राहकों से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की. जिन्होंने अपने अनुभव के अनुसार बताया है कि साल 2020 में कोरोनावायरस के आने के बाद लोगों ने ऑर्गेनिक उत्पादों के प्रति अपना रुख ज्यादा किया है. लोग अब ज्यादा ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की खरीद कर रहे हैं. वहीं ग्राहकों का भी कहना है कि ऑर्गेनिक प्रोडक्ट भले ही थोड़ा महंगा है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर है.
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ग्लोबल मार्केट में भी बढ़ी ऑर्गेनिक की डिमांडः कोरोनाकाल के बाद राष्ट्रीय स्तर पर ऑर्गेनिक की डिमांड की अगर बात करें तो ऑर्गेनिक सेक्टर 30 फीसदी बढ़ा है. इसके अलावा अगले 5 सालों में इसके इसी रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है. वहीं, अगर संभावनाओं की बात करें तो वैश्विक स्तर पर केवल अभी तक 2 फीसदी कृषि को ही ऑर्गेनिक में बदला जा सका है, यानी कि अभी इसमें अपार संभावनाएं बाकी हैं.
जानकारी के मुताबिक, ग्लोबल मार्केट में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की बेहद मांग है. इसमें मिडल ईस्ट और अमेरिका, यूरोप के देशों में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. इसी तरह से ग्लोबल मार्केट को पिच करने के लिए उत्तराखंड ऑर्गेनिक बोर्ड ने आई फॉर्म इंटरनेशनल संस्था के साथ अनुबंध स्थापित किया है. ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार तक उत्तराखंड का ऑर्गेनिक प्रोडक्ट पहुंच पाए.