देहरादून: परिवहन निगम से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों ने विधिक देयकों से अवैध रूप से कटौती कर उनको भुगतान किए जाने का विरोध किया है. परिवहन निगम के रिटायर्ड कर्मचारियों का कहना है कि कुछ अधिकारियों की कारगुजारी का खामियाजा सेवानिवृत्त कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है. मीडिया से वार्ता करते हुए हाईकोर्ट उत्तराखंड नैनीताल के अधिवक्ता एमसी पंत ने कहा कि राज्य पथ परिवहन निगम कर्मचारी यूनियन की ओर से रिट याचिका संख्या 363 ऑफ 2022 कोर्ट में दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट नैनीताल ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और कार्यरत कर्मचारियों से की जा रही कटौती पर रोक लगा दी थी.
कोर्ट द्वारा रोक लगाने पर भी की जा रही कटौती: अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्त और कार्यरत कर्मचारियों से अवैध रूप से की जा रही कटौती को बंद नहीं किये जाने पर इसके विरुद्ध यूनियन ने अवमानना याचिका दायर की. जिस पर हाईकोर्ट नैनीताल ने 5 सितंबर 2022 को पारित निर्णय का पालन नहीं करना स्पष्ट अवमानना माना. इसके बावजूद परिवहन निगम के अधिकारियों ने निर्णय को दरकिनार करते हुए कर्मचारियों के विधिक देयकों में कटौती की, जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है.
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रिक्त पदों पर नहीं की जा रही नियुक्ति: वहीं पूर्व कर्मचारियों की मांगों के समर्थन में सीटू भी उतर आई है. सीआईटी (Centre of Indian Trade Unions) के जिला महामंत्री लेखराज का कहना है कि परिवहन निगम को एक सोची समझी साजिश के तहत बंद करने के उद्देश्य से चालक और परिचालकों के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति नहीं की जा रही है. जबकि पीआरडी के माध्यम से नियुक्तियां दी जा रही हैं. उन्होंने परिवहन निगम में नियमित नियुक्ति दिए जाने की मांग उठाते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो सीटू से संबंधित सभी यूनियन और राज्य पथ परिवहन निगम कर्मचारी यूनियन मिलकर इसका विरोध करेंगे. उन्होंने परिचालक के रिक्त पदों पर वर्तमान कार्यरत विशेष श्रेणी के कर्मचारियों की वरिष्ठता के आधार पर निगम में नियमित नियुक्ति की मांग उठाई है.