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राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का मुद्दा फिर लटका, प्रवर समिति की बैठक में नहीं आए विपक्षी विधायक - राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण

Horizontal reservation to Uttarakhand state agitators उत्तराखंड राज्य आंदोलन की लड़ाई जितनी कठिन थी, राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए क्षैतिज आरक्षण बिल भी उतना ही मुश्किल होता जा रहा है. धामी सरकार ने क्षैतिज आरक्षण को लेकर खूब ढोल पीटा था. हकीकत ये है कि अभी तक प्रवर समिति में इस बिल को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. क्या है पूरा मामला, पढ़िए इस खबर में.

Horizontal reservation
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 10, 2023, 9:42 AM IST

Updated : Oct 10, 2023, 12:06 PM IST

देहरादून: हाल में हुए मॉनसून सत्र के दौरान सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारी के क्षैतिज आरक्षण को लेकर लाए गए बिल पर विपक्षी विधायकों की अनुपस्थिति के चलते प्रवर समिति की बैठक में सहमति नहीं बन पाई है. प्रेमचंद अग्रवाल ने इसके लिए विपक्ष को दोषी ठहराया है.

राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण पर नहीं बनी सहमति: प्रवर समिति के सभापति व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखंड राज्य के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण दिए जाने को लेकर धामी सरकार इस मॉनसून सत्र में आरक्षण विधेयक 2023 लायी थी. इसे सदन में पेश करने के बाद फाइनल आउटलुक के लिए प्रवर समिति को भेजा गया था. हकीकत यह है कि अभी इस बिल पर प्रवर समिति की मुहर नहीं लगी है. सोमावर को प्रवर समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस संबंध में समिति के सभी सदस्यों को बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन विपक्षी विधायक नदारद दिखे.

मॉनसून सत्र में पेश किया गया था क्षैतिज आरक्षण बिल: आपको बता दें कि जब भी सरकार द्वारा प्रदेश के किसी खास वर्ग के लिए इस तरह के बिल लाए जाते हैं, तो सदन द्वारा विपक्ष और पक्ष के विधायकों की मिलाकर बनाई गई समितियां में इस तरह के बिल परीक्षण और उनके तमाम पहलुओं को जांचने के लिए भेजे जाते हैं. इसी कड़ी में धामी सरकार द्वारा मॉनसून सत्र के दौरान राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए क्षैतिज आरक्षण का बिल पेश किया गया था. इसे विधानसभा अध्यक्ष द्वारा प्रवर समिति को भेज दिया गया था. प्रवर समिति के सभापति संसदीय कार्य मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल हैं तो वहीं इस समिति में सदस्य के रूप में विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, उमेश शर्मा, शहजाद, मनोज तिवारी और भुवन चंद कापड़ी मौजूद हैं.
ये भी पढ़ें: राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में मिलेगा 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण, बिल को मिली मंजूरी

प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष पर लगाया आरोप: समिति के सभापति प्रेमचंद अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सरकार की तरफ से और सदन की तरफ से भी इस बिल की अहमियत और विशेषता को देखते हुए इसे प्रवर समिति को भेजा गया था ताकि इस संशोधन में विपक्ष की भी महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहे लेकिन जिस तरह से न्यायोचित प्रक्रिया के तहत समिति में मौजूद विपक्ष के विधायकों को जानकारी और बैठक के लिए निमंत्रण भेजा गया था और विपक्ष के विधायकों द्वारा प्रवर समिति की इस महत्वपूर्ण बैठक में आने को लेकर अपना कंफर्मेशन भी दिया गया था, लेकिन आखिरी समय पर विपक्ष के विधायकों द्वारा समिति की बैठक में ना पहुंच कर यह दिखाया गया है कि वह प्रदेश के आंदोलनकारी के मुद्दों को लेकर बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं हैं. वह किसी भी तरह से राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों के साथ नहीं है.
ये भी पढ़ें: 23 साल से क्षैतिज आरक्षण की आस में राज्य आंदोलनकारी, कैबिनेट में मिल चुकी मंजूरी, यहां तक पहुंचा मामला

देहरादून: हाल में हुए मॉनसून सत्र के दौरान सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारी के क्षैतिज आरक्षण को लेकर लाए गए बिल पर विपक्षी विधायकों की अनुपस्थिति के चलते प्रवर समिति की बैठक में सहमति नहीं बन पाई है. प्रेमचंद अग्रवाल ने इसके लिए विपक्ष को दोषी ठहराया है.

राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण पर नहीं बनी सहमति: प्रवर समिति के सभापति व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि उत्तराखंड राज्य के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण दिए जाने को लेकर धामी सरकार इस मॉनसून सत्र में आरक्षण विधेयक 2023 लायी थी. इसे सदन में पेश करने के बाद फाइनल आउटलुक के लिए प्रवर समिति को भेजा गया था. हकीकत यह है कि अभी इस बिल पर प्रवर समिति की मुहर नहीं लगी है. सोमावर को प्रवर समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस संबंध में समिति के सभी सदस्यों को बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन विपक्षी विधायक नदारद दिखे.

मॉनसून सत्र में पेश किया गया था क्षैतिज आरक्षण बिल: आपको बता दें कि जब भी सरकार द्वारा प्रदेश के किसी खास वर्ग के लिए इस तरह के बिल लाए जाते हैं, तो सदन द्वारा विपक्ष और पक्ष के विधायकों की मिलाकर बनाई गई समितियां में इस तरह के बिल परीक्षण और उनके तमाम पहलुओं को जांचने के लिए भेजे जाते हैं. इसी कड़ी में धामी सरकार द्वारा मॉनसून सत्र के दौरान राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए क्षैतिज आरक्षण का बिल पेश किया गया था. इसे विधानसभा अध्यक्ष द्वारा प्रवर समिति को भेज दिया गया था. प्रवर समिति के सभापति संसदीय कार्य मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल हैं तो वहीं इस समिति में सदस्य के रूप में विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, उमेश शर्मा, शहजाद, मनोज तिवारी और भुवन चंद कापड़ी मौजूद हैं.
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प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष पर लगाया आरोप: समिति के सभापति प्रेमचंद अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सरकार की तरफ से और सदन की तरफ से भी इस बिल की अहमियत और विशेषता को देखते हुए इसे प्रवर समिति को भेजा गया था ताकि इस संशोधन में विपक्ष की भी महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहे लेकिन जिस तरह से न्यायोचित प्रक्रिया के तहत समिति में मौजूद विपक्ष के विधायकों को जानकारी और बैठक के लिए निमंत्रण भेजा गया था और विपक्ष के विधायकों द्वारा प्रवर समिति की इस महत्वपूर्ण बैठक में आने को लेकर अपना कंफर्मेशन भी दिया गया था, लेकिन आखिरी समय पर विपक्ष के विधायकों द्वारा समिति की बैठक में ना पहुंच कर यह दिखाया गया है कि वह प्रदेश के आंदोलनकारी के मुद्दों को लेकर बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं हैं. वह किसी भी तरह से राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों के साथ नहीं है.
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Last Updated : Oct 10, 2023, 12:06 PM IST
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