देहरादून/हल्द्वानी/टिहरी: कोरोना की सबसे ज्यादा मार प्रवासी मजदूरों और कामगारों पर पड़ी है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में उन्हें संकट से उबारने की मांग जोर पकड़ने लग गई है. इसी कड़ी में मंगलवार को सात विपक्षी दलों, सामाजिक संगठनों और मजदूरों ने ठप मजदूरी, बंद रोजगार, कामगारों और मजदूरों की जिम्मेदारी लो सरकार नारे के साथ अपने घरों पर विरोध स्वरूप केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ धरना दिया.
एक घंटे के सांकेतिक धरने के दौरान तमाम विपक्षी दलों और कामगारों ने सभी जिलों से जुड़कर सोशल मीडिया में अपने विचार शेयर किए. वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष और वनाधिकार आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने कहा कि इस संकट काल में सरकार की बेरुखी से गंभीर स्थितियां बन गई हैं. काम बंद होने से कई लाख दिहाड़ी मजदूरों और कामगारों के सामने आर्थिक तंगी होने से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. दूसरी तरफ एक लाख से ज्यादा प्रवासियों को मजबूरी में वापस लौटना पड़ा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण काल में सरकार को इन गरीब लोगों, दिहाड़ी मजदूरों और कामगारों को राहत पैकेज देना चाहिए. ताकि वह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिन के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि ठप है मजदूरी बंद रोजगार, कामगारों मजदूरों की जिम्मेदारी लो सरकार नारे के साथ सभी विपक्षी दलों ने धरना दिया है. सरकार को तत्काल प्रभाव से राज्य में हर मजदूर और गरीब परिवार को न्यूनतम 6 हजार रुपए प्रतिमाह आर्थिक सहायता देने के साथ ही नि:शुल्क राशन देना चाहिए. ताकि इस संक्रमण काल में बेरोजगार हो चुके लोगों को राहत मिल सके.
विपक्षी दलों और जन संगठनों की सरकार से मुख्य मांगें-
- पानी और बिजली के बिलों को पूरी तरह से माफ किया जाए.
- प्रवासी मजदूरों के लिए नि:शुल्क राशन की व्यवस्था की जाए.
- मनरेगा के तहत काम के दिनों को 200 दिन बढ़ाकर मेहनताना 500 रुपये किया जाए.
- शहरों और पर्वतीय क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूर और वापस लौटे उत्तराखंड वासियों के लिए तुरंत रोजगार योजना बनाई जाए.
- राज्य के हर मजदूर और गरीब परिवार को न्यूनतम 6 हजार रुपए बतौर आर्थिक सहायता दी जाए.
हल्द्वानी भाकपा माले का धरना-प्रदर्शन
हल्द्वानी में भी विभिन्न जनसंगठनों और विपक्षी पार्टियों ने एक दिवसीय धरना दिया. उन्होंने मजदूरों को राहत देने की मांग की है. भाकपा (माले) जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने कहा कि उत्तराखंड में कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है. ऐसे में काम बंद होने से लाखों दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए है. वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौट रहे हैं. लेकिन सरकार इन लोगों को राहत देने के बजाय अपना राजस्व वसूलने में लगी है. ऐसे में उन्होंने मांग की है कि मनरेगा के अंतर्गत काम के दिनों को 200 दिन तक बढ़ाया जाये. शहरों और पहाड़ों में दिहाड़ी मजदूर और लौटे हुए उत्तराखंडियों के लिए तुरंत रोजगार योजना बनाई जाए. राज्य में हर मजदूर या गरीब परिवार को न्यूनतम 6,000 रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जाए.
टिहरी में भी दिया गया धरना
टिहरी में विपक्षी पर्टियों ने मजदूरों को राहत देने की मांग को लेकर धरना दिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी और सरकार की नाकामी से भी गंभीर स्थिति बन रही है. काम बंद होने के कारण लाखों दिहाड़ी मज़दूर बेरोजगार हैं. उन्होंने सरकार से इन मजदूरों को राहत देने की मांग की है.