देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो रहा है. मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. उनके अचानक दिल्ली दौरे और वापस लौटने के बाद से ही लगाए जा रहे कयास सही साबित हुए. आज होने वाली विधानमंडल दल की बैठक में उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला भी हो जाएगा. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा के बाद जिस बात पर ध्यान जा रहा है, राज्य गठन से आज तक बीजेपी या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में सिवाय पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.
अंतिम सरकार में हुआ था नेतृत्व परिवर्तन
लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद उत्तराखंड के रूप में एक अलग पहाड़ी राज्य का गठन हुआ था. 9 नवम्बर 2000 को संयुक्त प्रान्त से अलग पहाड़ी राज्य बने उत्तराखंड की घोषणा तत्कालीन केंद्र की अटल सरकार ने की थी. यही नहीं, अलग राज्य गठन की घोषणा के बाद ही राज्य में अंतरिम सरकार बनायी गयी थी. नवगठित राज्य के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बनाए गए थे. मगर सियासी खींचतान के चलते नित्यानंद स्वामी को महज एक साल में ही अपने पद से हाथ धोना पड़ा. जिसके बाद करीब चार माह के लिए बीजेपी ने भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाया गया.
एनडी तिवारी ने पूरा किया था पांच साल का कार्यकाल
इसके बाद साल 2002 में उत्तराखंड की पहली विधानसभा का चुनाव हुआ. प्रदेश की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया. चुनावी परिणाम के बाद मुख्यमंत्री एनडी तिवारी बने. एनडी तिवारी ही एक ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने प्रदेश में अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था.
बीजेपी की पहली निर्वाचित सरकार में हुआ था नेतृत्व परिवर्तन
राज्य गठन को 20 साल से अधिक का समय हो गया है. मगर इन 20 सालों में मात्र नारायण दत्त तिवारी ही एक ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्वाचित सरकार के बाद भुवन चंद्र खंडूरी ने मुख्यमंत्री की कमान संभाली थी. इसी दौरान जून 2009 में रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी गयी. फिर राजनीतिक उठापटक के चलते दोबारा सितंबर 2011 में मुख्यमंत्री की कमान भुवन चंद्र खंडूरी को सौंप दी गई. यानी, अंतरिम सरकार से लेकर पहली निर्वाचित सरकार तक बीजेपी के चार मुख्यमंत्री बनाए जा चुके थे.
कांग्रेस की दूसरे निर्वाचित सरकार में भी हुआ था नेतृत्व परिवर्तन
इसके बाद फिर राज्य की तीसरी विधानसभा के चुनाव हुए. साल 2012 में फिर से प्रदेश की जनता बीजेपी-कांग्रेस को मिलाजुला जनादेश दिया. इस दौरान उत्तराखंड क्रांति दल का एक विधायक और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस हाईकमान ने तब विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी. करीब ढाई साल बाद कांग्रेस के भीतर सियासी घमासान शुरू हो गया. यहीं नहीं, नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज होने के साथ ही कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन किया. साल 2014 में हरीश रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया. यानी कांग्रेस के इस कार्यकाल में भी दो मुख्यमंत्री हो गए.
प्रदेश में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज
राज्य की चौथी विधानसभा में प्रदेश की जनता ने बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिया. बीजेपी हाईकमान ने मुख्यमंत्री की कमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल को 4 साल पूरे होने जा रहे हैं. मगर उससे पहले ही प्रदेश में सियासी घमासाम मचा हुआ है. तमाम अटकलों के बीच सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली तलब किये गये हैं. यही नहीं पार्टी के कई विधायक भी दिल्ली में मौजूद हैं.
20 साल में 9 मख्यमंत्रियों के संभाली उत्तराखंड की कमान
उत्तराखंड में अंतरिम कार्यकाल के दौरान नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने 9 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली.
- राज्य के अंतरिम कार्यकाल के दौरान नित्यानंद स्वामी को हटाकर 30 अक्टूबर 2001 को भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई, जो 1 मार्च 2002 तक मुख्यमंत्री रहे.
- पहली निर्वाचित सरकार में एनडी तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया. वो 2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 तक मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.
- दूसरी निर्वाचित सरकार में भुवन चंद खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने 8 मार्च 2007 से 23 जून 2009 तक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली.
- दूसरी निर्वाचित सरकार के दौरान ही भुवन चंद्र खंडूरी को हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया गया. वो 24 जून 2009 से 10 सितंबर 2011 तक मुख्यमंत्री रहे.
- एक बार फिर दूसरी निर्वाचित सरकार के दौरान ही रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर भुवन चंद्र खंडूरी को ही मुख्यमंत्री बना दिया गया. जो 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक मुख्यमंत्री रहे.
- तीसरी निर्वाचित सरकार के दौरान विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया. जो 13 मार्च 2012 से 21 जनवरी 2014 मुख्यमंत्री रहे.
- तीसरी निर्वाचित सरकार के दौरान ही विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी गई. हालांकि हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान दो बार राष्ट्रपति शासन भी लगाया गया. ऐसे में हरीश रावत ने 1 फरवरी 2014 को शपथ ग्रहण किया. अपना कार्यकाल उन्होंने 18 मार्च 2017 को पूरा किया.
- चौथी निर्वाचित सरकार के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो अभी भी मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं.