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कोरोना के इलाज के लिए तैयार हो रहा दवाइयों का स्टॉक, वेंटिलेटर की भी हो रही व्यवस्था

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Published : Apr 1, 2020, 2:14 PM IST

भारत में लगातार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार दवा और कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी उपकरणों का इंतजाम करने में जुटी हुई है.

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कोरोना के इलाज के लिए दवाइयों का हो रहा स्टॉक.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है तो वहीं ऐसे हालात में सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को जुटाने के प्रयास में जुटी है. इस कड़ी में केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करने वाली मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन भी काफी मात्रा में आयात की जा रही है. इसके अलावा सरकार वेंटिलेटर और डॉक्टरों की कमी पर भी काम कर रही है.

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं किस हालत में ये किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इन परिरिस्थियों में भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार नजर आ रही है. सरकार का पूरा फोकस वेंटिलेटर की सख्या बढ़ाने के साथ डॉक्टरों की कमी को दूर करना है. इसके अलावा सरकार और स्वास्थ्य विभाग की पहली प्राथमिकता कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को दवाई मुहैया करानी है.

यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार ने पांच लाख हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन टेबलेट का ऑर्डर दिया है. इसमें तीन लाख टेबलेट राज्य को मिल चुकी हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस के लिए सामान्य दवाइयों का स्टॉक छह महीने के लिए मौजूद है.

पढ़ें- क वाहन में सवार थे सात युवक, 14 दिनों के लिए भेजे गए क्वारंटाइन

दवाइयों के अलावा राज्य में डॉक्टरों की कमी को भी दूर करने के लिए नियुक्तियां की जा रही हैं. स्वास्थ्य विभाग के दावे के अनुसार अब तक करीब 500 से ज्यादा डॉक्टरों को नियुक्त किया जा चुका है. ऐसा अनुमान है कि इसके बाद प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर कर लिया गया है.

उधर वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है. जानकारी के अनुसार फिलहाल सरकार के पास 308 वेंटिलेटर ही मौजूद हैं जो कि इतनी बड़ी आबादी के लिए नाकाफी हैं. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की ज्यादा तबीयत खराब होने पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार वेंटिलेटर की कमी को दूर करने के प्रयास में जुटी है.

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है तो वहीं ऐसे हालात में सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को जुटाने के प्रयास में जुटी है. इस कड़ी में केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करने वाली मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन भी काफी मात्रा में आयात की जा रही है. इसके अलावा सरकार वेंटिलेटर और डॉक्टरों की कमी पर भी काम कर रही है.

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं किस हालत में ये किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इन परिरिस्थियों में भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार नजर आ रही है. सरकार का पूरा फोकस वेंटिलेटर की सख्या बढ़ाने के साथ डॉक्टरों की कमी को दूर करना है. इसके अलावा सरकार और स्वास्थ्य विभाग की पहली प्राथमिकता कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को दवाई मुहैया करानी है.

यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार ने पांच लाख हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन टेबलेट का ऑर्डर दिया है. इसमें तीन लाख टेबलेट राज्य को मिल चुकी हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस के लिए सामान्य दवाइयों का स्टॉक छह महीने के लिए मौजूद है.

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दवाइयों के अलावा राज्य में डॉक्टरों की कमी को भी दूर करने के लिए नियुक्तियां की जा रही हैं. स्वास्थ्य विभाग के दावे के अनुसार अब तक करीब 500 से ज्यादा डॉक्टरों को नियुक्त किया जा चुका है. ऐसा अनुमान है कि इसके बाद प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर कर लिया गया है.

उधर वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था के लिए भी सरकार प्रयास कर रही है. जानकारी के अनुसार फिलहाल सरकार के पास 308 वेंटिलेटर ही मौजूद हैं जो कि इतनी बड़ी आबादी के लिए नाकाफी हैं. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की ज्यादा तबीयत खराब होने पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार वेंटिलेटर की कमी को दूर करने के प्रयास में जुटी है.

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