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अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव: चौथे दिन योगाचार्यों ने सिखाई प्राचीन विधाएं - सूक्ष्म व्यायाम

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन भी योग साधकों ने योग किया. इस दौरान योगाचार्यों ने योग की प्राचीन विधाओं के बारे में जानकारी दी.

International Yoga Festival News
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Published : Mar 4, 2021, 7:47 PM IST

ऋषिकेश: गढ़वाल मण्डल विकास निगम व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. योग महोत्सव के चौथे दिन गंगा तट पर स्थित गंगा रिसॉर्ट में योग साधकों ने योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास कर योगाचार्यों से योग की बारीकियों को सीखा.

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योग साधकों से योग की प्राचीन विधाओं को सीखा.

प्रातः कालीन सत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के मोहित सती ने मुख्य पाण्डाल में अष्टांग योग एवं सूक्ष्म व्यायाम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हमारे जीवन के हर पहलू में योग छिपा हुआ है. जाने-अनजाने हमारी दिनचर्या के पूरे क्रियाकलाप योग से जुड़ते हुए जीवन के अविभाज्य अंग बने हुए हैं. योग केवल शरीर पर ही काम नहीं करता बल्कि यह मन को शक्तिशाली व तनाव रहित बनाता है.

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प्राचीन विधाओं से रूबरू हुए योग साधक.

मोहित सती ने अष्टांग योग के बारे में बताया कि इसके आठ अंग हैं. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान, प्रतिहार और समाधि. इनको भले ही अलग-अलग देखा जाता है, मगर ये एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पहले छह को जोड़कर ध्यान लगता है और तब वह समाधि की ओर जाता है. उन्होंने कहा कि घरों में काम करने वाली महिलायें अपने दिनभर की दिनचर्या के दौरान जो काम करती हैं, उस प्रक्रिया में भी जाने-अनजाने योग छिपा हुआ रहता है. योग सिर्फ आसन नहीं है बल्कि यह मन, श्वास व शरीर को जोड़ने वाली कला है.

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योग साधकों ने किया योग

पढ़ें- जूना अखाड़े की पेशवाई के लिए संत तैयार, किन्नरों ने किया सोलह श्रृंगार

नगर पालिका हॉल में हठयोगी संत स्वामी जीतानन्द ने अभयान्तर क्रिया योग, दण्ड क्रिया, संकुचन प्रसारण, पाद ग्रिहवा योग का अभ्यास कराया और इसकी उपयोगिता के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह क्रिया शरीर को स्वस्थ रखने में इतनी सहायक है कि अन्य योगों की आवश्यकता नहीं पड़ती है. यदि व्यक्ति इन योग क्रियाओं को करता रहे तो उसके जीवन में आरोग्यता का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा.

ऋषिकेश: गढ़वाल मण्डल विकास निगम व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. योग महोत्सव के चौथे दिन गंगा तट पर स्थित गंगा रिसॉर्ट में योग साधकों ने योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास कर योगाचार्यों से योग की बारीकियों को सीखा.

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योग साधकों से योग की प्राचीन विधाओं को सीखा.

प्रातः कालीन सत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के मोहित सती ने मुख्य पाण्डाल में अष्टांग योग एवं सूक्ष्म व्यायाम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हमारे जीवन के हर पहलू में योग छिपा हुआ है. जाने-अनजाने हमारी दिनचर्या के पूरे क्रियाकलाप योग से जुड़ते हुए जीवन के अविभाज्य अंग बने हुए हैं. योग केवल शरीर पर ही काम नहीं करता बल्कि यह मन को शक्तिशाली व तनाव रहित बनाता है.

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प्राचीन विधाओं से रूबरू हुए योग साधक.

मोहित सती ने अष्टांग योग के बारे में बताया कि इसके आठ अंग हैं. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान, प्रतिहार और समाधि. इनको भले ही अलग-अलग देखा जाता है, मगर ये एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पहले छह को जोड़कर ध्यान लगता है और तब वह समाधि की ओर जाता है. उन्होंने कहा कि घरों में काम करने वाली महिलायें अपने दिनभर की दिनचर्या के दौरान जो काम करती हैं, उस प्रक्रिया में भी जाने-अनजाने योग छिपा हुआ रहता है. योग सिर्फ आसन नहीं है बल्कि यह मन, श्वास व शरीर को जोड़ने वाली कला है.

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नगर पालिका हॉल में हठयोगी संत स्वामी जीतानन्द ने अभयान्तर क्रिया योग, दण्ड क्रिया, संकुचन प्रसारण, पाद ग्रिहवा योग का अभ्यास कराया और इसकी उपयोगिता के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह क्रिया शरीर को स्वस्थ रखने में इतनी सहायक है कि अन्य योगों की आवश्यकता नहीं पड़ती है. यदि व्यक्ति इन योग क्रियाओं को करता रहे तो उसके जीवन में आरोग्यता का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा.

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