देहरादून: लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में 11 अप्रैल को उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर मतदान किया गया था, लेकिन इस दौरान पोलिंग स्टेशनों पर मौजूद अधिकारियों की बड़ी एक लापरवाही अब सामने आई है. 4 लोकसभा सीटों के 6 पोलिंग बूथों पर ईवीएम से मॉक पोल डिलीट नहीं किए गए थे. जिसके बाद अब इन सभी 6 बूथों के ईवीएम की मतगणना वीवीपैट (वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की पर्चियों से की जाएगी.
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दरअसल, 11 अप्रैल को उत्तराखंड के सभी 11229 बूथों पर वोटिंग से पहले मॉक पोल किया गया था, ताकि ईवीएम के ठीक होने की पुष्टि की जा सके. मॉक पोल के दौरान पोलिंग बूथ पर पोलिंग एजेंटों के साथ-साथ सभी पार्टियों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे. लेकिन इस दौरान 6 पोलिंग बूथों पर पीठासीन अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. क्योंकि उन्होंने ईवीएम से मॉक पोल को डिलीट ही नहीं किया.
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इन 6 बूथों में से हरिद्वार लोकसभा सीट के 2 बूथ, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट के 2 बूथ, नैनीताल-उधम सिंह नगर और टिहरी लोकसभा सीट के एक-एक बूथ शामिल हैं. हालांकि, वीवीपैट मशीन की पर्चियों को सील बंद किया गया था. इन 6 बूथों के पीठासीन अधिकारियों की लापरवाही के चलते ईवीएम में मॉक पोल के साथ-साथ सामान्य मतदाताओं द्वारा डाले गए मत भी दर्ज हो गए. जिसके चलते अब इन 6 बूथों पर ईवीएम को छोड़ वीवीपैट से मतगणना की जाएगी.
इस स्थिति में अगर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों की बात करें तो आयोग के अनुसार ऐसे ईवीएम और वीवीपैट को अलग रखा जाएगा. प्रदेश के सभी लोकसभा सीटों पर मतगणना समाप्त होने के उपरांत इन बूथों की मतगणना वीवीपैट से की जाएगी.
दरअसल, मॉक पोल के रिकॉर्ड को ईवीएम से डिलीट कर दिया जाता है, ताकि सामान्य मतदाता शुरू हो सके. मॉक पोल की कोई भी जानकारी ईवीएम में सेव नहीं रखी जाती है. इसके साथ ही मॉक पोल के दौरान वीवीपैट में दिखी पर्चियों को एक अलग लिफाफे में सील बंद किया जाता है,