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राष्ट्रीय पर्यटन दिवस: देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाने के साथ उत्तराखंड सरकार की बढ़ी चुनौती - पर्यटन के क्षेत्र में सरकार की मुश्किलें बढ़ी

उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार कई योजनाएं चला रही है. इसके के साथ कई नए पर्यटन स्थलों का भी विकसित किया जा रहा है. ताकि यहां पर्यटकों को घूमने के लिए नई जगह मिल सके.

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राष्ट्रीय पर्यटन दिवस
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Published : Jan 25, 2020, 4:54 PM IST

देहरादून: राष्ट्रीय पर्यटन दिवस देश के इतिहास का एक गौरवशाली दिवस है. यही वजह है कि 26 जनवरी गणतंत्रा दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को भारतीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद पर्यटन के महत्त्व और भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन की भूमिका के प्रति जागरूक करना है. हालांकि, देशभर में कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहा देश-विदेश से आने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है.

वहीं, अगर उत्तराखंड की बात करें यहां कई खूबसूरत जगह है, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते है. लेकिन ये वे पुराने पर्यटक स्थल है, जो उत्तराखंड बनने के पहले से चलते आ रहे हैं. उत्तराखंड को बने हुए 19 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल विकसित नहीं हो पाया है.

पढ़ें- ऋषिकेश: अभिनेत्री जेनिफर विंगेट ने गंगा आरती में लिया भाग, देवभूमि को दी स्वर्ग की संज्ञा

साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी, लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर सरकार वर्तमान पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में कैसे राज्य सरकार का उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना सकार होगा ये एक बड़ा सवाल है?

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टिहरी झील

यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इन 19 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे तो वहीं, अब ये आंकड़ा 3 करोड़ 75 लाख के पार पहुंच गया है, जो कि राज्य गठन के बाद से साढ़े तीन गुना अधिक है. हालांकि, सैलानी यहां सिर्फ कांवड़ और कुम्भ मेले के लिए नहीं आते बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते हैं. पर्यटकों को उत्तराखंड में बेहतर सुविधा मिल सके ये सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

सीजन में पैक हो जाते है टूरिस्ट प्लेस
प्रदेश में अमूमन देखने को मिलता है कि पीक सीजन पर जब पर्यटक उत्तराखंड घूमने आते हैं तो प्रदेश के सभी मुख्य पर्यटन स्थल फुल हो जाते हैं. कई बार तो पुलिस और प्रशासन को पर्यटकों को वापस तक भेजना पड़ता है. यहीं नहीं प्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थलों की बात करें तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी और टिहरी आदि है. टूरिस्ट सीजन में इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, राज्य सरकार दावे तो जरूर कर रही है कि नए पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा रहा है. बावजूद इसके अभी तक प्रदेश में अन्य पर्यटन स्थल विकसित नहीं कर पाए हैं.

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बर्फबारी की तस्वीर

रोजगार का बेहतर जरिया है पर्यटन स्थल
उत्तराखंड में पर्यटकों के आने से जितना फायदा राज्य को मिल रहा है, सरकार के सामने उतनी ही चुनौती भी बढ़ती जा रहा है. पर्यटन राज्य के लिए एक आय का भी साधन है, इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि पलायन भी रुकेगा. ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है. यही कारण है कि राज्य सरकार और पर्यटन विभाग इस और ध्यान दे रही है. इसी वजह से साल दर साल उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होता रहा है.

पढ़ें- पर्यटकों से गुलजार हुई सरोवर नगरी, नौकायन का उठा रहे लुत्फ

नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर
उत्तराखंड में पहले से चले आ रहे पर्यटन स्थलों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम बड़े पर्यटन स्थलों पर जाम लगा रहता है, जिसको देखते हुए सरकार ने 13 जिला में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था. उसी के तहत बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है ताकि नये पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सके. यही नहीं प्रदेश में सीता सर्किट हाउस और सैन्य धाम के साथ तमाम जगहों पर अन्य छोटे-छोटे स्थलों को विकसित करने पर सरकार जोर दे रही है, ताकि प्रदेश में भारी मात्रा में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाओं के साथ ही नये पर्यटन स्थलों से भी रूबरू कराया जा सके.

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उत्तराखंड की सुंदर वादियां

अधर में लटका महाभारत सर्किट हाउस

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी पड़ी है. साल 2018 में राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था. ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले, लेकिन महाभारत सर्किट योजना प्रोजेक्ट में कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया. जिसमें बाद से ही महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकी पड़ी है.

पढ़ें- पर्यटन दिवस: सरोवर नगरी में आकर्षण का केंद्र है रोपवे, 10 सालों में हुई करोड़ों की कमाई​​​​​​​

2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई थी, जिसका असर साल 2014 में भी देखा गया, लेकिन साल 2014 के बाद धीरे-धीरे पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख करने लगे और उत्तराखंड का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा. लिहाजा, वर्तमान समय में करीब साढे 3 करोड़ से ज्यादा पर्यटक हर साल उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे हैं. साल दर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है. हालांकि, पर्यटकों की करोड़ों की संख्या से विभाग राहत महसूस कर रहा है. इसके साथ ही टूरिज्म महकमा पर्यटकों की संख्या और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टर को बढ़ने को लेकर निरंतर प्रयासरत है.

देहरादून: राष्ट्रीय पर्यटन दिवस देश के इतिहास का एक गौरवशाली दिवस है. यही वजह है कि 26 जनवरी गणतंत्रा दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को भारतीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद पर्यटन के महत्त्व और भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन की भूमिका के प्रति जागरूक करना है. हालांकि, देशभर में कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहा देश-विदेश से आने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है.

वहीं, अगर उत्तराखंड की बात करें यहां कई खूबसूरत जगह है, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते है. लेकिन ये वे पुराने पर्यटक स्थल है, जो उत्तराखंड बनने के पहले से चलते आ रहे हैं. उत्तराखंड को बने हुए 19 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल विकसित नहीं हो पाया है.

पढ़ें- ऋषिकेश: अभिनेत्री जेनिफर विंगेट ने गंगा आरती में लिया भाग, देवभूमि को दी स्वर्ग की संज्ञा

साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी, लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर सरकार वर्तमान पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में कैसे राज्य सरकार का उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना सकार होगा ये एक बड़ा सवाल है?

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टिहरी झील

यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इन 19 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे तो वहीं, अब ये आंकड़ा 3 करोड़ 75 लाख के पार पहुंच गया है, जो कि राज्य गठन के बाद से साढ़े तीन गुना अधिक है. हालांकि, सैलानी यहां सिर्फ कांवड़ और कुम्भ मेले के लिए नहीं आते बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते हैं. पर्यटकों को उत्तराखंड में बेहतर सुविधा मिल सके ये सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

सीजन में पैक हो जाते है टूरिस्ट प्लेस
प्रदेश में अमूमन देखने को मिलता है कि पीक सीजन पर जब पर्यटक उत्तराखंड घूमने आते हैं तो प्रदेश के सभी मुख्य पर्यटन स्थल फुल हो जाते हैं. कई बार तो पुलिस और प्रशासन को पर्यटकों को वापस तक भेजना पड़ता है. यहीं नहीं प्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थलों की बात करें तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी और टिहरी आदि है. टूरिस्ट सीजन में इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, राज्य सरकार दावे तो जरूर कर रही है कि नए पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा रहा है. बावजूद इसके अभी तक प्रदेश में अन्य पर्यटन स्थल विकसित नहीं कर पाए हैं.

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बर्फबारी की तस्वीर

रोजगार का बेहतर जरिया है पर्यटन स्थल
उत्तराखंड में पर्यटकों के आने से जितना फायदा राज्य को मिल रहा है, सरकार के सामने उतनी ही चुनौती भी बढ़ती जा रहा है. पर्यटन राज्य के लिए एक आय का भी साधन है, इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि पलायन भी रुकेगा. ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है. यही कारण है कि राज्य सरकार और पर्यटन विभाग इस और ध्यान दे रही है. इसी वजह से साल दर साल उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होता रहा है.

पढ़ें- पर्यटकों से गुलजार हुई सरोवर नगरी, नौकायन का उठा रहे लुत्फ

नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर
उत्तराखंड में पहले से चले आ रहे पर्यटन स्थलों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम बड़े पर्यटन स्थलों पर जाम लगा रहता है, जिसको देखते हुए सरकार ने 13 जिला में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था. उसी के तहत बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है ताकि नये पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सके. यही नहीं प्रदेश में सीता सर्किट हाउस और सैन्य धाम के साथ तमाम जगहों पर अन्य छोटे-छोटे स्थलों को विकसित करने पर सरकार जोर दे रही है, ताकि प्रदेश में भारी मात्रा में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाओं के साथ ही नये पर्यटन स्थलों से भी रूबरू कराया जा सके.

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उत्तराखंड की सुंदर वादियां

अधर में लटका महाभारत सर्किट हाउस

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी पड़ी है. साल 2018 में राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था. ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले, लेकिन महाभारत सर्किट योजना प्रोजेक्ट में कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया. जिसमें बाद से ही महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकी पड़ी है.

पढ़ें- पर्यटन दिवस: सरोवर नगरी में आकर्षण का केंद्र है रोपवे, 10 सालों में हुई करोड़ों की कमाई​​​​​​​

2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई थी, जिसका असर साल 2014 में भी देखा गया, लेकिन साल 2014 के बाद धीरे-धीरे पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख करने लगे और उत्तराखंड का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा. लिहाजा, वर्तमान समय में करीब साढे 3 करोड़ से ज्यादा पर्यटक हर साल उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे हैं. साल दर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है. हालांकि, पर्यटकों की करोड़ों की संख्या से विभाग राहत महसूस कर रहा है. इसके साथ ही टूरिज्म महकमा पर्यटकों की संख्या और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टर को बढ़ने को लेकर निरंतर प्रयासरत है.

Intro:नोट - फीड ftp से भेजी गयी है। uk_deh_02_national_tourism_day_vis_7205803

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस, देश के इतिहास का एक गौरवशाली दिवस है। यही वजह है कि 26 जनवरी गणतंत्रा दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को भारतीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है। जिसके मकसद पर्यटन के महत्त्व और भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन की भूमिका के प्रति जागरूक करना है। हालांकि देश भर में कई खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहा देश- विदेश से आने वाले सैलानियों का ताता लगा रहता है। तो वही अगर उत्तराखंड राज्य की बात करे तो उत्तराखंड राज्य में कई खूबसूरत जगह ऐसे है जहा हर साल लाखो कि संख्या में सैलानी पहुंचते है। उत्तराखंड राज्य बने 19 साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल, विकसित नहीं हो पाया है। साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी। लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर, वर्तमान समय के पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नही कर पा रही है। ऐसे में कैसे राज्य सरकार का प्रदेश को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना सकार होगा ये एक बड़ा सवाल है? आखिर क्या स्थिति है प्रदेश में पर्यटन स्थलों की देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट......... 


Body:यू तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद, इन 19 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे तो वहीं यह आंकड़ा 3 करोड़ 75 लाख के पार पहुंच गया है। जो कि राज्य गठन के बाद साढ़े तीन गुना से भी अधिक है। हालांकि सैलानी यहाँ सिर्फ कावड़ और कुम्भ मेले के लिए नहीं आते बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते है। लेकिन उत्तराखंड में पर्यटक भरी से भरी संख्या में आये, और पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके कही ना कही राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती भी है।


सीजन के समय पैक हो जाते है टूरिस्ट प्लेस............

प्रदेश में अमूमन देखने को मिलता है कि जब टूरिस्टों के घूमने पीक सीजन चलता है। तो प्रदेश के मुख्य सभी पर्यटक स्थल फुल हो जाते है जिसके चलते स्थानीय प्रशासन को फुल का बोर्ड भी लगाना पड़ता है। यही नही प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थलों की बात करे तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी आदि मुख्य जगह है। सीजन के दौरान इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि राज्य सरकार दावे तो जरूर कर रही है कि नए पर्यटन स्थलों को विकसित किया जा रहा है। बावजूद इसके अभी तक प्रदेश में अन्य पर्यटक स्थल विकसित नही कर पाए है। 


स्थानीय लोगो के लिए रोजगार का जरिया है पर्यटन........ 

उत्तराखंड राज्य में पर्यटकों के आने से जितना फायदा उत्तराखंड राज्य को मिल रहा है उतने ही चैलेंजेज पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड राज्य के लिए बढ़ते जा रहे हैं। क्योंकि पर्यटन राज्य के लिए एक आय का भी साधन है, इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा जरिया भी है। ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है। हालांकि राज्य सरकार, पर्यटन विभाग को फोकस सेक्टर से रूप में विकसित करने पर फोकस जरूर कर रही है यही नहीं पर्यटन स्थलों के तमाम व्यवस्थाओ को भी मुकम्मल कर रही है जिसका ही नतीजा है कि साल दर साल उत्तराखंड में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में इजाफा होता रहा है, लेकिन ये नाकाफी है।    


नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर......

उत्तराखंड राज्य में पहले से चले आ रहे पर्यटन स्थलो में सेचुरेशन की स्थिति है। यही वजह है कि प्रदेश के तमाम बड़े पर्यटन स्थलों में जाम लगा रहता है। जिसको देखते हुए शासन ने 13 जिला में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था। उसी के तहत बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है ताकि नया पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सके। यही नहीं प्रदेश में सीता सर्किट हाउस, सैन्य धाम इसके साथ ही प्रदेश के तमाम जगहों पर अन्य छोटे छोटे स्थलों को विकसित करने पर शासन जोर दे रहा है। ताकि प्रदेश में भारी मात्रा में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाओं के साथ ही नये पर्यटन स्थलों से भी रूबरू कराया जा सके।  


महाभारत सर्किट हाउस..........

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी पड़ी है। क्योकि साल 2018 में राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था। ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले। लेकिन महाभारत सर्किट योजना प्रोजेक्ट में कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नही हो पाया। जिसमे बाद से ही महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकी पड़ी है।




Conclusion:साल 2013 में केदार घाटी में आयी भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों के आने की संख्या बेहद कम हो गई थी, जिसका असर साल 2014 में भी देखा गया, लेकिन साल 2014 के बाद धीरे-धीरे, पर्यटक उत्तराखंड की तरफ रुख करने लगे और उत्तराखंड का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा। लिहाजा वर्तमान समय में करीब साढ़े 3 करोड़ से ज्यादा पर्यटक हर साल उत्तराखंड की तरफ रुख कर रहे हैं। और साल दर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि पर्यटकों की करोड़ो की संख्या से विभाग राहत महसूस कर रहा है। इसके साथ ही टूरिज्म महकमा पर्यटकों की संख्या और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टर को बढ़ने को लेकर निरंतर प्रयास कर रहा है। 
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