देहरादून: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अन्य मरीजों का दबाव कोरोनेशन और गांधी शताब्दी अस्पताल में देखने को मिल रहा है. शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल कोरोनेशन में मरीजों की बढ़ती भीड़ की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है. लोगों में जागरूकता की कमी की वजह से मरीज छोटी-मोटी शिकायतें लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसे में चिकित्सक भी लोगों से स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी शिकायतों को लेकर अस्पताल न आने की अपील कर रहे हैं.
बता दें कि, दून अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल घोषित किए जाने के बाद कोरोनेशन और गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में मरीजों का अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है. इस कारण अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो पा रहा है. अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे मरीजों की लापरवाही संक्रमण को फैलाने का मुख्य कारण बन सकती है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना होने से चिकित्सकों और मेडिकल स्टाफ के सामने भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है. ज्यादातर मरीज अस्पताल की ओपीडी में छोटी-मोटी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं.
इसके साथ ही डॉक्टरों से बात करते समय मास्क हटाकर अपनी परेशानी बता रहे हैं. हालांकि सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी बीमारियों के लिए अस्पताल प्रबंधन ने अलग से फ्लू क्लीनिक बनाया हुआ है, लेकिन अस्पताल की ओपीडी में मरीज एक दूसरे से सटे हुए दिखाई दे रहे हैं.
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ऐसे में यहां यह आशंका बनी रहती है कि किस मरीज में कोरोना संक्रमण है या फिर कौन सा मरीज संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि इसलिए सभी चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. हालांकि अस्पताल को समय-समय पर सैनिटाइज किया जाता है और ओपीडी संभाल रहे डॉक्टरों को संक्रमण से बचाने के लिए सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए जाते हैं.
वहीं, समाजसेवी और राज्य आंदोलनकारी मोहन खत्री ने इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि कोरोनेशन और गांधी शताब्दी में मरीजों के अतिरिक्त दबाव को देखते हुए दून अस्पताल में भी ओपीडी शुरू की जानी चाहिए. इससे कोरोनेशन और गांधी शताब्दी में मरीजों का दबाव कम होगा. इसके साथ ही वहां के चिकित्सकों को राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि मरीजों के हितों को देखते हुए दून अस्पताल की नई इमारत में ओपीडी खोल दी जानी चाहिए.