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कभी देहरादून शहर में सिटी बसों का होता था रेला, अब बचे मात्र 160, जानिए वजह

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Published : Apr 29, 2022, 4:32 PM IST

Updated : May 17, 2022, 1:12 PM IST

देहरादून शहर में पहले 319 सिटी बसें संचालित होती थी. अब मात्र 160 बस ही संचालित हो रही हैं. कई रूटों पर तो बसें चल ही नहीं रही हैं. ई रिक्शा और विक्रम के अवैध संचालन से सिटी बसों का अस्तित्व खतरे में आ गया है.

Dehradun city bus
देहरादून शहर में सिटी बस

देहरादूनः राजधानी देहरादून में धीरे-धीरे सिटी बसों की संख्या घटती जा रही है. एक दौर था, जब सड़कों में सिटी बसों का रेला होता था. आज दून में विक्रम और ई रिक्शा का कब्जा हो चुका है. पहले करीब 319 सिटी बसें चलती थी. आज घटकर केवल 160 रह गई हैं. सिटी बस संचालकों की मानें तो बसों का संचालन करना दिनोंदिन महंगा होता जा रहा है. तेल के बढ़ते दामों, डग्गामारी और स्पेयर्स पार्ट्स के महंगा होने से संचालक बसों का संचालन बंद कर रहे हैं.

महानगर सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद विक्रमों की फुटकर सवारियों पर प्रशासन कोई रोक नहीं लगा रहा है. साथ ही शहर में 5 हजार से ज्यादा ई रिक्शा चलने से सिटी बसों में सवारियां नहीं पहुंच रही हैं. उन्होंने बताया कि साल 2009 में नालापानी-सीमाद्वार में 45 बसें संचालित होती थी. धीरे-धीरे टेंपो विक्रम के नियमों के विपरित अवैध संचालन से 2018-2019 तक 25 बसें ही रह गई.

ये भी पढ़ेंः गजब! सिटी बस में उग गए पेड़, पुलिस लाइन में की गई थी सीज

वर्तमान में नालापानी-सीमाद्वार का रूट समाप्त हो गया है. सभी लोगों ने अपनी गाड़ियों के परमिट सरेंडर कर दिए हैं. 3-4 गाड़ी मालिकों ने अपने परमिट सरेंडर नहीं किए हैं, लेकिन बसों का संचालन (Dehradun city bus) भी नहीं कर रहे हैं. अब वाहन मालिक की ओर से अपनी बस सरेंडर कर शुरुआत हो गई है. इस तरह से पूरा रूट ही ई रिक्शा, टेंपो विक्रम के अवैध संचालन से समाप्त हो गया है.

उन्होंने कहा कि साल 2009 के बाद से गढ़ी कैंट से विधानसभा, एमडीडीए-डालनवाला से डाट मंदिर, कौलागढ़ से विधानसभा, पुरकुल गांव से मथोरावाला रूट भी परिवहन विभाग की नाकामी की वजह से समाप्त हो गया है. परिवहन विभाग और पुलिस को हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मानता है. अब 319 बसों में से सिर्फ 160 बस ही संचालित हो रही हैं. अब यह देखना है कि बाकी बची बसों के मालिक अपनी बसों को बचाने के लिए कब तक संघर्ष करते हैं.

ये भी पढ़ेंः मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने की सिटी बस संचालन की मांग, सौंपा ज्ञापन

विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि सरकार की ओर से 319 सिटी बसों के परमिट जारी किए गए थे, जिसमें 275 के करीब बसें संचालित थी. लेकिन कोरोनाकाल के बाद धीरे धीरे बसें संचालित होनी कम हो गईं. पहले तो सवारियां कम हैं और जो सवारियां हैं वो विक्रम और ई रिक्शा में जा रही हैं. साल 2016 से पहले शहर में एक भी ई रिक्शा नहीं था. आज 5000 ई रिक्शा सड़कों पर हैं तो कहीं न कहीं ई रिक्शा संचालक सिटी बसों की सवारियां ले जा रहे हैं. इस कारण सिटी बस समाप्ति की कगार पर है.

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देहरादूनः राजधानी देहरादून में धीरे-धीरे सिटी बसों की संख्या घटती जा रही है. एक दौर था, जब सड़कों में सिटी बसों का रेला होता था. आज दून में विक्रम और ई रिक्शा का कब्जा हो चुका है. पहले करीब 319 सिटी बसें चलती थी. आज घटकर केवल 160 रह गई हैं. सिटी बस संचालकों की मानें तो बसों का संचालन करना दिनोंदिन महंगा होता जा रहा है. तेल के बढ़ते दामों, डग्गामारी और स्पेयर्स पार्ट्स के महंगा होने से संचालक बसों का संचालन बंद कर रहे हैं.

महानगर सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद विक्रमों की फुटकर सवारियों पर प्रशासन कोई रोक नहीं लगा रहा है. साथ ही शहर में 5 हजार से ज्यादा ई रिक्शा चलने से सिटी बसों में सवारियां नहीं पहुंच रही हैं. उन्होंने बताया कि साल 2009 में नालापानी-सीमाद्वार में 45 बसें संचालित होती थी. धीरे-धीरे टेंपो विक्रम के नियमों के विपरित अवैध संचालन से 2018-2019 तक 25 बसें ही रह गई.

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वर्तमान में नालापानी-सीमाद्वार का रूट समाप्त हो गया है. सभी लोगों ने अपनी गाड़ियों के परमिट सरेंडर कर दिए हैं. 3-4 गाड़ी मालिकों ने अपने परमिट सरेंडर नहीं किए हैं, लेकिन बसों का संचालन (Dehradun city bus) भी नहीं कर रहे हैं. अब वाहन मालिक की ओर से अपनी बस सरेंडर कर शुरुआत हो गई है. इस तरह से पूरा रूट ही ई रिक्शा, टेंपो विक्रम के अवैध संचालन से समाप्त हो गया है.

उन्होंने कहा कि साल 2009 के बाद से गढ़ी कैंट से विधानसभा, एमडीडीए-डालनवाला से डाट मंदिर, कौलागढ़ से विधानसभा, पुरकुल गांव से मथोरावाला रूट भी परिवहन विभाग की नाकामी की वजह से समाप्त हो गया है. परिवहन विभाग और पुलिस को हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मानता है. अब 319 बसों में से सिर्फ 160 बस ही संचालित हो रही हैं. अब यह देखना है कि बाकी बची बसों के मालिक अपनी बसों को बचाने के लिए कब तक संघर्ष करते हैं.

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विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि सरकार की ओर से 319 सिटी बसों के परमिट जारी किए गए थे, जिसमें 275 के करीब बसें संचालित थी. लेकिन कोरोनाकाल के बाद धीरे धीरे बसें संचालित होनी कम हो गईं. पहले तो सवारियां कम हैं और जो सवारियां हैं वो विक्रम और ई रिक्शा में जा रही हैं. साल 2016 से पहले शहर में एक भी ई रिक्शा नहीं था. आज 5000 ई रिक्शा सड़कों पर हैं तो कहीं न कहीं ई रिक्शा संचालक सिटी बसों की सवारियां ले जा रहे हैं. इस कारण सिटी बस समाप्ति की कगार पर है.

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Last Updated : May 17, 2022, 1:12 PM IST
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