देहरादून: प्रदेश में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत की ओर से 1 जुलाई से परीक्षाएं आयोजित कराने का फैसला लिया गया है. इसका प्रदेशभर में विरोध तेज हो गया है. इसी कड़ी में आने वाले दिनों में एनएसयूआई उच्च शिक्षा राज्य मंत्री को पूरे प्रदेश भर के छात्र-छात्राओं की मांग को लेकर पचास हजार पोस्टकार्ड भेजकर अपना विरोध दर्ज कराएगी.
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी का कहना है कि एनएसयूआई लगातार महाविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र छात्राओं को प्रमोट करने की मांग कर रही है. उन्होंने कहा आज प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसके कारण अभी कॉलेजों का खुलना संभव नहीं है. ऐसे में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कई छात्र दुर्गम क्षेत्रों और दूसरे राज्यों से आते हैं, अगर ऐसी परिस्थिति में परीक्षाएं आयोजित करवाई जाती हैं तो इससे छात्रों को बेवजह परेशानी होगी.
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मोहन भंडारी ने कहा कि इससे पूर्व संगठन की तरफ से मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी ज्ञापन सौंपे गए थे. मगर इस संबंध में अभी तक किसी भी विश्वविद्यालय ने कोई स्पष्ट आदेश नहीं निकाला है, जिससे छात्र असमंजस की स्थिति में हैं.
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अपनी मांगों को लेकर एनएसयूआई ने साफ किया है कि उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत के इस फैसले का एनएसयूआई विरोध करती है. एनएसयूआई ने कहा कि सरकार के इस फैसले से लाखों छात्र-छात्राओं के करियर और जिंदगी पर खतरा उत्पन्न हो सकता है.
एनएसयूआई की प्रमुख मांगें
- प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाना चाहिए.
- अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं को 10 प्रतिशत अतिरिक्त अंकों के साथ पिछले प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नत किया जाए.
- वर्तमान समय की परिस्थितियों को देखते हुए एक सेमेस्टर का शुल्क माफ किया जाना चाहिए.
- बिना बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को देखते हुए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित नहीं करवाई जानी चाहिए.