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ऊंचे डांडों में खूब याद आएंगे जीत सिंह नेगी - Emperor of tunes

लोक गायक जीत सिंह नेगी लंबे समय से बीमार थे. रविवार को देहरादून स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया. जीत सिंह नेगी का जन्म साल 1925 में पौड़ी जिले के पैडुलस्यूं पट्टी स्थित अयाल गांव में हुआ था. वो 1960 और 70 के दशक के प्रसिद्ध लोक गायकों में से एक थे.

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याद आएंगे जीत सिंह नेगी
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Published : Jun 22, 2020, 9:55 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के महान गायक, गीतकार और रंगकर्मी जीत सिंह नेगी का निधन पहाड़ के लोकगीतों की दुनिया को शोकग्रस्त कर गया. जीत सिंह नेगी गढ़वाल के पहले गायक थे जिनकी आवाज में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी ने 1949 में गीत रिकॉर्ड किए थे.

तू होली ऊंची डांडी मा वीरा, घस्यारी का भेष मा ये गीत जब रिलीज हुआ तो बस छा गया. हर किसी की जुबान पर यही गीत था. डांडों में घास काटती घसियारियों का तो ये जैसे अपना ही गीत हो गया. जीत सिंह नेगी जहां जाते इस गाने की फरमाइश के बिना कार्यक्रम अधूरा रहता.

पौड़ी जिले के अयाल गांव में 1925 में जन्मे जीत सिंह नेगी ने गढ़वाली गीतों को एक नया आसमान दिया. जिसमें सुर था. लय थी. ताल थी. सबसे बढ़कर उनके गीतों में आंचलिक महक थी जिसने लोगों को उनके गीतों का दीवाना बना दिया. लोगों को ये जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भी जीत सिंह नेगी के लिखे और गाए गीतों को अपने सुर भी दिए. जीत सिंह नेगी के गीतों में पहाड़ की मिट्टी की महक थी तो वो सुनने वालों को भावुक भी कर देते थे.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के मशहूर लोक गायक जीत सिंह नेगी का निधन, CM ने जताया दुख

जीत सिंह नेगी के कुछ प्रसिद्ध गीत

तू होली वीरा

काली रतब्योन

बोल बौराणी क्या तेरो नौं च

पौड़ी में जन्मे थे जीत सिंह नेगी

जन्म- 2 फरवरी 1927

पिता- सुल्तान सिंह नेगी

माता- रूपदेई नेगी

जन्म स्थान- ग्राम अयाल पट्टी पैडुलस्यूं पौड़ी गढ़वाल

वर्तमान में रहते थे- 108/12, धर्मपुर देहरादून

जीत सिंह नेगी को मिले सम्मान

लोकरत्न सम्मान- 1962 में

गढ़ रत्न सम्मान- 1990 में

दूनरत्न सम्मान- 1995 में

मील का पत्थर सम्मान- 1999 में

मोहन उप्रेती लोक संस्कृति पुरस्कार- 2000 में

डॉ. शिवानंद नौटियाल स्मृति सम्मान- 2011 में

देहरादून: उत्तराखंड के महान गायक, गीतकार और रंगकर्मी जीत सिंह नेगी का निधन पहाड़ के लोकगीतों की दुनिया को शोकग्रस्त कर गया. जीत सिंह नेगी गढ़वाल के पहले गायक थे जिनकी आवाज में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी ने 1949 में गीत रिकॉर्ड किए थे.

तू होली ऊंची डांडी मा वीरा, घस्यारी का भेष मा ये गीत जब रिलीज हुआ तो बस छा गया. हर किसी की जुबान पर यही गीत था. डांडों में घास काटती घसियारियों का तो ये जैसे अपना ही गीत हो गया. जीत सिंह नेगी जहां जाते इस गाने की फरमाइश के बिना कार्यक्रम अधूरा रहता.

पौड़ी जिले के अयाल गांव में 1925 में जन्मे जीत सिंह नेगी ने गढ़वाली गीतों को एक नया आसमान दिया. जिसमें सुर था. लय थी. ताल थी. सबसे बढ़कर उनके गीतों में आंचलिक महक थी जिसने लोगों को उनके गीतों का दीवाना बना दिया. लोगों को ये जानकर आश्चर्य होगा कि उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भी जीत सिंह नेगी के लिखे और गाए गीतों को अपने सुर भी दिए. जीत सिंह नेगी के गीतों में पहाड़ की मिट्टी की महक थी तो वो सुनने वालों को भावुक भी कर देते थे.

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जीत सिंह नेगी के कुछ प्रसिद्ध गीत

तू होली वीरा

काली रतब्योन

बोल बौराणी क्या तेरो नौं च

पौड़ी में जन्मे थे जीत सिंह नेगी

जन्म- 2 फरवरी 1927

पिता- सुल्तान सिंह नेगी

माता- रूपदेई नेगी

जन्म स्थान- ग्राम अयाल पट्टी पैडुलस्यूं पौड़ी गढ़वाल

वर्तमान में रहते थे- 108/12, धर्मपुर देहरादून

जीत सिंह नेगी को मिले सम्मान

लोकरत्न सम्मान- 1962 में

गढ़ रत्न सम्मान- 1990 में

दूनरत्न सम्मान- 1995 में

मील का पत्थर सम्मान- 1999 में

मोहन उप्रेती लोक संस्कृति पुरस्कार- 2000 में

डॉ. शिवानंद नौटियाल स्मृति सम्मान- 2011 में

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