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टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने से पहले हो जाइए सावधान, वरना हो सकते हैं ठगी का शिकार

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Published : Feb 7, 2021, 3:25 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 8:59 PM IST

साइबर क्राइम की जगत में साइबर अपराध के नए-नए ठगी के तरीके सामने आ रहे हैं. जिसमें साइबर ठग अब लोगों को ठगने के लिए टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी, ये शातिर ठग पहले से ज्यादा हाईटेक हो गए हैं.

ठगी का शिकार
ठगी का शिकार

देहरादून: हर बड़ी कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा और सर्विस देने के लिए टोल फ्री नंबर जारी करती है. ताकि उपभोक्ता कभी भी टोल फ्री नंबर पर कॉल कर अपनी समस्याओं का कंपनी से निराकरण पा सकें. हालांकि, सभी कंपनियां अपने टोल फ्री नंबर को अपने ऑफिसियल वेबसाइट पर भी अपलोड करती हैं, जहां से उपभोक्ता टोल फ्री नंबर ले सकते हैं, लेकिन आमतौर पर उपभोक्ता गूगल पर कंपनी का टोल फ्री नंबर सर्च करते है, जिसकी वजह से कभी कभी उपभोक्ता साइबर ठगों की जाल में फंस कर अपनी जमा पूंजी गंवा बैठते हैं. अगर आप भी इंटरनेट पर टोल फ्री नंबर सर्च करते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. क्योंकि आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है. जानिए आखिर क्यों, किस तरह से टोल फ्री नंबर के जरिए हो रही है ठगी. किस तरह से इस ठगी से बचा जा सकता है? देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

uttarakhand online fraud
टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने से पहले हो जाइए सावधान.

साइबर क्राइम का बढ़ता ग्राफ

देश दुनिया में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालांकि, जहां एक ओर साइबर क्राइम से जुड़े अपराधी फोन कॉल, सोशल एप, सोशल साइट्स आदि के माध्यम से लोगों को अपना शिकार बना रहे है. वही, इन सब तरीकों के साथ ही साइबर अपराधी, नए-नए तरीके का इस्तेमाल कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे है. जी हां, साइबर क्राइम की जगत में एक ऐसा ही नया साइबर अपराध सामने आ रहा है. जिसमें साइबर ठग अब लोगों को ठगने के लिए टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी, ये शातिर ठग पहले से ज्यादा हाईटेक हो गए हैं. जहां पहले यह शातिर ठग मोबाइल नंबरो के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. वहीं अब ये ठग टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल करने लगे हैं.

टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने से पहले हो जाइए सावधान.

साइबर क्रिमिनल बदल रहे हैं ठगी का तरीका

साइबर क्राइम के जगत में साइबर ठग, हमेशा से ही नया-नया तरीका अपनाकर लोगों को अपना का शिकार बनाते हैं. यही नहीं, साइबर ठग इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि अगर ठगी के किसी तरीके के प्रति लोग जागरूक हो जाते हैं तो ये साइबर ठग उससे और यूनिक तरीका अपनाते हैं. ताकि लोगों को अपने ठगी का शिकार बना सकें. शुरुआती दौर की बात करें तो कुछ सालों पहले साइबर ठग बैंक अधिकारी बन लोगों से उनके खाते और एटीएम संबंधी गोपनीय जानकारियां लेकर उनके खाते को खाली कर देते थे. हालांकि यह सिलसिला कई सालों तक ना सिर्फ चलता रहा, बल्कि अभी भी जारी है. वहीं, साइबर ठगी के इस तरीके के प्रति अधिकांश लोग जागरूक हो चुके हैं. ऐसे में अब साइबर ठग अपने इस तरीके में बदलाव करने लगे हैं.

ठगी का शिकार
हो सकते हैं ठगी का शिकार.

ये भी पढ़ें: जागते रहो : कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर साइबर ठगी, ऐसे करें बचाव

टोल फ्री नंबरों के जरिए साइबर ठगी

अब साइबर ठगों ने टोल फ्री नंबर के जरिए लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. आमतौर पर किसी भी उपभोक्ता को दिक्कत होने पर वह संबंधित कंपनी के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर जानकारियां हासिल करता है. ऐसे में अब ये साइबर ठग इंटरनेट पर तमाम कंपनियों के नाम पर टोल फ्री नंबर जारी कर रहे है. जिससे कोई भी उपभोक्ता इंटरनेट पर अपनी समस्या से संबंधित कंपनी का नंबर सर्च करें तो इन साइबर ठगों द्वारा इंटरनेट पर फैलाया नंबर उसे मिले. अगर उपभोक्ता उस टोल फ्री नंबर पर कॉल करता है तो उस दौरान उसकी समस्याओं का निस्तारण होने के बजाए उनके साथ साइबर ठगी हो जाती है.

टोल फ्री नंबर पर कॉल कर संजय ने गवायी जमा पूंजी

राजधानी देहरादून से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसमें संजय भारद्वाज (बदला हुआ नाम) ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी कि बैंक अधिकारियों ने उसके खाते से 1 लाख 12 हजार निकाल लिए है. हालांकि, जब साइबर पुलिस ने संजय से पूरी बात बताने को कहा तब जाकर स्थिति स्पष्ट हुई कि संजय के खाते से पैसा बैंक अधिकारियों ने नहीं, बल्कि साइबर ठगों ने उड़ा लिए हैं. संजय ने साइबर पुलिस से बताया कि उनके एटीएम संबंधी दिक्कत होने के चलते उन्होंने इंटरनेट पर बैंक का टोल फ्री नंबर सर्च किया. जहां, उसे टोल फ्री नंबर मिला, जिस पर कॉल किया तो बैंक कस्टमर अधिकारी ने एटीएम संबंधी जानकारियां मांगी और फिर कुछ ही देर बाद खाते से 97 हजार रुपये कट गए. फिर जब दोबारा उस नंबर पर कॉल कर इसकी जानकारी दी गई तो उस दौरान भी बैंक अधिकारियों द्वारा एटीएम संबंधी जानकारी ली गई और फिर बैंक खाते से 15 हजार रुपये कट गए.

साइबर ठग कर रहे टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल

इस संबंध में जानकारी देते हुए साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि अमूमन कस्टमर केयर नंबरों के माध्यम से साइबर ठगी का मामला सामने आता रहता है. क्योंकि किसी भी समस्या को लेकर लोग इंटरनेट पर कस्टमर केयर नंबर ढूंढ़कर उसपर फोन करते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. हालांकि, पहले ठग कस्टमर केयर के नंबर में अपने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते थे, लेकिन इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाई गई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि टोल फ्री नंबर मोबाइल नंबर जैसे नहीं होते हैं, बल्कि टोल फ्री नंबर 10 से 11 नम्बरों का होता है और इसकी शुरुआत 1800 से होती है. जिसके बाद लोगों में काफी जागरूकता फैली. वहीं, अब साइबर ठग भी इसी तरह का टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने लगे हैं.

उत्तराखंड पुलिस हेल्पलाइन

ऐसे तमाम साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने किसी भी साइबर संबंधी शिकायत या सुझाव के लिए 0135-2655900 नंबर जारी किया है, जिस पर अपना शिकायत या फिर सुझाव दे सकते हैं. इसके साथ ही ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर भी ईमेल कर सकते हैं. यही नहीं, फेसबुक के माध्यम से भी https://www.facebook.com/cyberthanauttarakhand/ भी संपर्क कर सकते हैं.

देहरादून: हर बड़ी कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा और सर्विस देने के लिए टोल फ्री नंबर जारी करती है. ताकि उपभोक्ता कभी भी टोल फ्री नंबर पर कॉल कर अपनी समस्याओं का कंपनी से निराकरण पा सकें. हालांकि, सभी कंपनियां अपने टोल फ्री नंबर को अपने ऑफिसियल वेबसाइट पर भी अपलोड करती हैं, जहां से उपभोक्ता टोल फ्री नंबर ले सकते हैं, लेकिन आमतौर पर उपभोक्ता गूगल पर कंपनी का टोल फ्री नंबर सर्च करते है, जिसकी वजह से कभी कभी उपभोक्ता साइबर ठगों की जाल में फंस कर अपनी जमा पूंजी गंवा बैठते हैं. अगर आप भी इंटरनेट पर टोल फ्री नंबर सर्च करते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. क्योंकि आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है. जानिए आखिर क्यों, किस तरह से टोल फ्री नंबर के जरिए हो रही है ठगी. किस तरह से इस ठगी से बचा जा सकता है? देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

uttarakhand online fraud
टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने से पहले हो जाइए सावधान.

साइबर क्राइम का बढ़ता ग्राफ

देश दुनिया में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालांकि, जहां एक ओर साइबर क्राइम से जुड़े अपराधी फोन कॉल, सोशल एप, सोशल साइट्स आदि के माध्यम से लोगों को अपना शिकार बना रहे है. वही, इन सब तरीकों के साथ ही साइबर अपराधी, नए-नए तरीके का इस्तेमाल कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे है. जी हां, साइबर क्राइम की जगत में एक ऐसा ही नया साइबर अपराध सामने आ रहा है. जिसमें साइबर ठग अब लोगों को ठगने के लिए टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी, ये शातिर ठग पहले से ज्यादा हाईटेक हो गए हैं. जहां पहले यह शातिर ठग मोबाइल नंबरो के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. वहीं अब ये ठग टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल करने लगे हैं.

टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने से पहले हो जाइए सावधान.

साइबर क्रिमिनल बदल रहे हैं ठगी का तरीका

साइबर क्राइम के जगत में साइबर ठग, हमेशा से ही नया-नया तरीका अपनाकर लोगों को अपना का शिकार बनाते हैं. यही नहीं, साइबर ठग इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि अगर ठगी के किसी तरीके के प्रति लोग जागरूक हो जाते हैं तो ये साइबर ठग उससे और यूनिक तरीका अपनाते हैं. ताकि लोगों को अपने ठगी का शिकार बना सकें. शुरुआती दौर की बात करें तो कुछ सालों पहले साइबर ठग बैंक अधिकारी बन लोगों से उनके खाते और एटीएम संबंधी गोपनीय जानकारियां लेकर उनके खाते को खाली कर देते थे. हालांकि यह सिलसिला कई सालों तक ना सिर्फ चलता रहा, बल्कि अभी भी जारी है. वहीं, साइबर ठगी के इस तरीके के प्रति अधिकांश लोग जागरूक हो चुके हैं. ऐसे में अब साइबर ठग अपने इस तरीके में बदलाव करने लगे हैं.

ठगी का शिकार
हो सकते हैं ठगी का शिकार.

ये भी पढ़ें: जागते रहो : कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर साइबर ठगी, ऐसे करें बचाव

टोल फ्री नंबरों के जरिए साइबर ठगी

अब साइबर ठगों ने टोल फ्री नंबर के जरिए लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. आमतौर पर किसी भी उपभोक्ता को दिक्कत होने पर वह संबंधित कंपनी के टोल फ्री नंबर पर कॉल कर जानकारियां हासिल करता है. ऐसे में अब ये साइबर ठग इंटरनेट पर तमाम कंपनियों के नाम पर टोल फ्री नंबर जारी कर रहे है. जिससे कोई भी उपभोक्ता इंटरनेट पर अपनी समस्या से संबंधित कंपनी का नंबर सर्च करें तो इन साइबर ठगों द्वारा इंटरनेट पर फैलाया नंबर उसे मिले. अगर उपभोक्ता उस टोल फ्री नंबर पर कॉल करता है तो उस दौरान उसकी समस्याओं का निस्तारण होने के बजाए उनके साथ साइबर ठगी हो जाती है.

टोल फ्री नंबर पर कॉल कर संजय ने गवायी जमा पूंजी

राजधानी देहरादून से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसमें संजय भारद्वाज (बदला हुआ नाम) ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी कि बैंक अधिकारियों ने उसके खाते से 1 लाख 12 हजार निकाल लिए है. हालांकि, जब साइबर पुलिस ने संजय से पूरी बात बताने को कहा तब जाकर स्थिति स्पष्ट हुई कि संजय के खाते से पैसा बैंक अधिकारियों ने नहीं, बल्कि साइबर ठगों ने उड़ा लिए हैं. संजय ने साइबर पुलिस से बताया कि उनके एटीएम संबंधी दिक्कत होने के चलते उन्होंने इंटरनेट पर बैंक का टोल फ्री नंबर सर्च किया. जहां, उसे टोल फ्री नंबर मिला, जिस पर कॉल किया तो बैंक कस्टमर अधिकारी ने एटीएम संबंधी जानकारियां मांगी और फिर कुछ ही देर बाद खाते से 97 हजार रुपये कट गए. फिर जब दोबारा उस नंबर पर कॉल कर इसकी जानकारी दी गई तो उस दौरान भी बैंक अधिकारियों द्वारा एटीएम संबंधी जानकारी ली गई और फिर बैंक खाते से 15 हजार रुपये कट गए.

साइबर ठग कर रहे टोल फ्री नंबर का इस्तेमाल

इस संबंध में जानकारी देते हुए साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि अमूमन कस्टमर केयर नंबरों के माध्यम से साइबर ठगी का मामला सामने आता रहता है. क्योंकि किसी भी समस्या को लेकर लोग इंटरनेट पर कस्टमर केयर नंबर ढूंढ़कर उसपर फोन करते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. हालांकि, पहले ठग कस्टमर केयर के नंबर में अपने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते थे, लेकिन इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाई गई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि टोल फ्री नंबर मोबाइल नंबर जैसे नहीं होते हैं, बल्कि टोल फ्री नंबर 10 से 11 नम्बरों का होता है और इसकी शुरुआत 1800 से होती है. जिसके बाद लोगों में काफी जागरूकता फैली. वहीं, अब साइबर ठग भी इसी तरह का टोल फ्री नंबर इस्तेमाल करने लगे हैं.

उत्तराखंड पुलिस हेल्पलाइन

ऐसे तमाम साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने किसी भी साइबर संबंधी शिकायत या सुझाव के लिए 0135-2655900 नंबर जारी किया है, जिस पर अपना शिकायत या फिर सुझाव दे सकते हैं. इसके साथ ही ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर भी ईमेल कर सकते हैं. यही नहीं, फेसबुक के माध्यम से भी https://www.facebook.com/cyberthanauttarakhand/ भी संपर्क कर सकते हैं.

Last Updated : Feb 7, 2021, 8:59 PM IST
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