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AIIMS ऋषिकेश: नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन सम्मेलन का आयोजन, विदेशों से पहुंचे डॉक्टर्स

AIIMS ऋषिकेश में नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का सम्मेलन आयोजित किया गया. इस दौरान हड्डी एवं जोड़ रोग के इलाज में नवीनतम तकनीक और उपचार के विभिन्न तौर तरीकों पर चर्चा की गई.

orthopedic association conference aiims rishikesh , AIIMS ऋषिकेश न्यूज
AIIMS ऋषिकेश में सम्मेलन .
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Published : Feb 15, 2020, 10:44 PM IST

ऋषिकेश: AIIMS ऋषिकेश में नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन का शुभारंभ AIIMS के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने किया. सम्मेलन में देश-विदेश से आर्थोपेडिक विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए. इस दौरान हड्डी एवं जोड़ रोग के इलाज में नवीनतम तकनीक और उपचार के विभिन्न तौर तरीकों पर चर्चा की गई.

इस अवसर पर एम्स निदेशक रवि कांत ने कहा कि हड्डी रोगों के संपूर्ण और सफल उपचार के लिए विश्व स्तर की नई से नई तकनीक को एम्स में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे कि हर तबके के मरीज को बेहतर और सस्ता इलाज मुहैया कराया जा सके. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से चिकित्सीय क्षेत्र के साथ ही हड्डी एवं जोड़ रोग के मरीजों के उपचार में भी लाभ पहुंचेगा. गरीब लोगों को समुचित और सस्ता इलाज मुहैया कराना ही एम्स का उद्देश्य है.

यह भी पढ़ें-अचानक देहरादून पहुंचे MHRD मिनिस्टर, नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं का बाजार गर्म

उन्होंने कहा कि एम्स में अध्ययनरत पीजी के छात्रों और प्रशिक्षु चिकित्सकों को तकनीक और अनुभव हासिल कराने के लिए संस्थान विदेशों में प्रशिक्षण दिलाने को तैयार है, जिससे उनके अनुभव का लाभ संस्थान में आने वाले रोगियों को मिल सके. उन्होंने बताया कि विश्वभर की नवीनतम तकनीक और अनुभव को साझा करने से हड्डी रोगों के निदान में विशेष लाभ होगा. उन्होंने इस सम्मेलन को अत्यधिक लाभदायक बताया.

सम्मेलन में विशेषज्ञों ने रोबोट की सहायता से गठिया से ग्रसित जोड़ों को बदलने की विधि, 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में गठिया रोग से ग्रस्त घुटने के आधे जोड़ के प्रत्यारोपण की विधि का प्रशिक्षण, हड्डियों में कैंसर के कारण और क्षतिग्रस्त हो चुके जोड़ों का पुनर्निर्माण का प्रशिक्षण, एक्सटर्नल स्टेबलाइजेशन सिस्टम के माध्यम से विकृत अंगों को सीधा करना, जन्मजात टेढ़े हाथ-पैरों को सीधा करना व हड्डियों के फ्रैक्चर का बिना चीरा लगाए ऑपरेशन करने की विधियों पर अनुभव साझा किए गए. साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ .

संस्थान के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डा. पंकज कंडवाल ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से तकनीक और अनुभव को साझा करने से न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों के मरीज लाभान्वित हो सकेंगे. इस सम्मेलन में इंग्लैंड और जर्मनी से भी चिकित्सक पहुंचे.

ऋषिकेश: AIIMS ऋषिकेश में नॉर्थ जोन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन का शुभारंभ AIIMS के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने किया. सम्मेलन में देश-विदेश से आर्थोपेडिक विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए. इस दौरान हड्डी एवं जोड़ रोग के इलाज में नवीनतम तकनीक और उपचार के विभिन्न तौर तरीकों पर चर्चा की गई.

इस अवसर पर एम्स निदेशक रवि कांत ने कहा कि हड्डी रोगों के संपूर्ण और सफल उपचार के लिए विश्व स्तर की नई से नई तकनीक को एम्स में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे कि हर तबके के मरीज को बेहतर और सस्ता इलाज मुहैया कराया जा सके. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से चिकित्सीय क्षेत्र के साथ ही हड्डी एवं जोड़ रोग के मरीजों के उपचार में भी लाभ पहुंचेगा. गरीब लोगों को समुचित और सस्ता इलाज मुहैया कराना ही एम्स का उद्देश्य है.

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उन्होंने कहा कि एम्स में अध्ययनरत पीजी के छात्रों और प्रशिक्षु चिकित्सकों को तकनीक और अनुभव हासिल कराने के लिए संस्थान विदेशों में प्रशिक्षण दिलाने को तैयार है, जिससे उनके अनुभव का लाभ संस्थान में आने वाले रोगियों को मिल सके. उन्होंने बताया कि विश्वभर की नवीनतम तकनीक और अनुभव को साझा करने से हड्डी रोगों के निदान में विशेष लाभ होगा. उन्होंने इस सम्मेलन को अत्यधिक लाभदायक बताया.

सम्मेलन में विशेषज्ञों ने रोबोट की सहायता से गठिया से ग्रसित जोड़ों को बदलने की विधि, 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में गठिया रोग से ग्रस्त घुटने के आधे जोड़ के प्रत्यारोपण की विधि का प्रशिक्षण, हड्डियों में कैंसर के कारण और क्षतिग्रस्त हो चुके जोड़ों का पुनर्निर्माण का प्रशिक्षण, एक्सटर्नल स्टेबलाइजेशन सिस्टम के माध्यम से विकृत अंगों को सीधा करना, जन्मजात टेढ़े हाथ-पैरों को सीधा करना व हड्डियों के फ्रैक्चर का बिना चीरा लगाए ऑपरेशन करने की विधियों पर अनुभव साझा किए गए. साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ .

संस्थान के हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डा. पंकज कंडवाल ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से तकनीक और अनुभव को साझा करने से न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों के मरीज लाभान्वित हो सकेंगे. इस सम्मेलन में इंग्लैंड और जर्मनी से भी चिकित्सक पहुंचे.

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