ETV Bharat / state

उत्तराखंड के ग्लेशियरों की सेहत बिगड़ने का खतरा! दिसंबर में भी नहीं पड़ रही बर्फ

दिसंबर का आधा महीना बीत चुका है, लेकिन अभीतक ठंड ने अपना असर दिखाना शुरू नहीं किया है. मैदान तो छोड़िए हिमालय की चोटियां भी अभी बिना बर्फ नजर आ रहीं हैं. मौसम की ये बिगड़ी चाल हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों की सेहत बिगाड़ सकती है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Dec 20, 2022, 6:01 PM IST

Updated : Dec 20, 2022, 8:21 PM IST

उत्तराखंड के ग्लेशियरों की सेहत बिगड़ने का खतरा!

देहरादून: उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में अबतक बर्फबारी से लोग महरूम हैं, स्थिति ये है कि दिसंबर का महीना आधा बीत चुका है, लेकिन अभी भी उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई है. इसके पीछे कई पर्यावरणीय बदलावों को कारण माना जा रहा है. खास बात यह है कि इससे न केवल ग्लेशियरों की सेहत पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है, बल्कि बागवानी और खेती पर भी इसका कुप्रभाव पड़ रहा है. उधर हिमालय के ग्लेशियरों की सेहत खराब होने से यहां से निकलने वाली नदियों पर भी जल संकट के रूप में इसका असर पड़ सकता है.

उत्तराखंड में इस बार न केवल पर्यटक को बल्कि स्थानीय लोगों को भी बर्फबारी का इंतजार है, लेकिन दिसंबर बीतने को है और इस बर्फबारी के दीदार लोगों को नहीं हो पा रहे हैं. वैसे नवंबर और दिसंबर महीने में 4 से 5 बार उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन इस साल 2022 के दिसंबर के महीने के आधा गुजर जाने के बाद भी अभी तक बर्फबारी नहीं हुई है.
पढ़ें- भारत-तिब्बत बॉर्डर पर अंतिम गांव छितकुल ने ओढ़ी बर्फ की चादर, पाइप में जमने लगा पानी

उधर मौसम विभाग के मुताबिक अगले 10 दिनों तक बर्फबारी के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इसकी वजह से सबसे बड़ा नुकसान हिमालय के ग्लेशियरों की सेहत पर पड़ रहा है. क्योंकि बर्फबारी नहीं होने से हिमालय के ग्लेशियरों को पर्याप्त बर्फ नहीं मिल पा रही है. वहीं, बर्फबारी कम होने से किसानों की फसलें खासकर बागवानी करने वाले काश्तकारों और खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग जिलों में अक्सर बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन इस बार उन क्षेत्रों में भी बर्फबारी नहीं हो रही है. हालांकि इस बदलते मौसम के पीछे एक बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग का माना जाता है, लेकिन इस बार जिस तरह ग्लेशियरों और मौसम के बदलाव का सीधा असर देखा जा रहा है, वह खासा चिंताजनक है.
पढ़ें- उत्तराखंड में पड़ रही हाड़कंपा देने वाली ठंड, जानिए आज कैसा रहेगा मौसम का मिजाज

ग्लेशियर पर जमी नहीं बर्फ: दरअसल, इस बार गर्मियों का मौसम पहले की अपेक्षा बढ़ रहा है और सर्दियों के मौसम का समय छोटा होता जा रहा है, जिसकी वजह से सर्दियों के मौसम में पढ़ने वाली बर्फ ग्लेशियर पर जम नहीं पा रही है. जिससे ग्लेशियर की सेहत खराब हो रही है. वाडिया इंस्टीट्यूट के रिटायर वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक ग्लेशियर पर पर्याप्त बर्फ नहीं मिली तो आने वाले समय में पानी की भारी कमी हो सकती है, क्योंकि ग्लेशियर ही नदियों को रिचार्ज करते हैं.

वहीं डॉ डीपी डोभाल कहते हैं कि सर्दियों के सीजन का समय कम होने की वजह पृथ्वी का तापमान बढ़ना है. हिल स्टेशन पर लोग सर्दियों में गिरने वाली बर्फबारी के लिए ही यहां पर पहुंचते हैं ऐसे में जब इस बार बर्फबारी नहीं हो रही है, उससे पर्यटन पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. समय पर बर्फबारी नहीं होने से पहाड़ पर रहने वाले किसानों और होटल व्यवसायियों के चेहरे मायूस हुए हैं. क्योंकि उनको उम्मीद थी कि समय पर बर्फबारी होती तो किसानों की फसल अच्छी होती और पर्यटक इन क्षेत्रों पर पहुंचते हैं. लेकिन अभी तक बर्फबारी नहीं होने से किसानों और होटल व्यवसायियों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ने लग गई है.

उत्तराखंड के ग्लेशियरों की सेहत बिगड़ने का खतरा!

देहरादून: उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में अबतक बर्फबारी से लोग महरूम हैं, स्थिति ये है कि दिसंबर का महीना आधा बीत चुका है, लेकिन अभी भी उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई है. इसके पीछे कई पर्यावरणीय बदलावों को कारण माना जा रहा है. खास बात यह है कि इससे न केवल ग्लेशियरों की सेहत पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है, बल्कि बागवानी और खेती पर भी इसका कुप्रभाव पड़ रहा है. उधर हिमालय के ग्लेशियरों की सेहत खराब होने से यहां से निकलने वाली नदियों पर भी जल संकट के रूप में इसका असर पड़ सकता है.

उत्तराखंड में इस बार न केवल पर्यटक को बल्कि स्थानीय लोगों को भी बर्फबारी का इंतजार है, लेकिन दिसंबर बीतने को है और इस बर्फबारी के दीदार लोगों को नहीं हो पा रहे हैं. वैसे नवंबर और दिसंबर महीने में 4 से 5 बार उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन इस साल 2022 के दिसंबर के महीने के आधा गुजर जाने के बाद भी अभी तक बर्फबारी नहीं हुई है.
पढ़ें- भारत-तिब्बत बॉर्डर पर अंतिम गांव छितकुल ने ओढ़ी बर्फ की चादर, पाइप में जमने लगा पानी

उधर मौसम विभाग के मुताबिक अगले 10 दिनों तक बर्फबारी के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इसकी वजह से सबसे बड़ा नुकसान हिमालय के ग्लेशियरों की सेहत पर पड़ रहा है. क्योंकि बर्फबारी नहीं होने से हिमालय के ग्लेशियरों को पर्याप्त बर्फ नहीं मिल पा रही है. वहीं, बर्फबारी कम होने से किसानों की फसलें खासकर बागवानी करने वाले काश्तकारों और खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग जिलों में अक्सर बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन इस बार उन क्षेत्रों में भी बर्फबारी नहीं हो रही है. हालांकि इस बदलते मौसम के पीछे एक बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग का माना जाता है, लेकिन इस बार जिस तरह ग्लेशियरों और मौसम के बदलाव का सीधा असर देखा जा रहा है, वह खासा चिंताजनक है.
पढ़ें- उत्तराखंड में पड़ रही हाड़कंपा देने वाली ठंड, जानिए आज कैसा रहेगा मौसम का मिजाज

ग्लेशियर पर जमी नहीं बर्फ: दरअसल, इस बार गर्मियों का मौसम पहले की अपेक्षा बढ़ रहा है और सर्दियों के मौसम का समय छोटा होता जा रहा है, जिसकी वजह से सर्दियों के मौसम में पढ़ने वाली बर्फ ग्लेशियर पर जम नहीं पा रही है. जिससे ग्लेशियर की सेहत खराब हो रही है. वाडिया इंस्टीट्यूट के रिटायर वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक ग्लेशियर पर पर्याप्त बर्फ नहीं मिली तो आने वाले समय में पानी की भारी कमी हो सकती है, क्योंकि ग्लेशियर ही नदियों को रिचार्ज करते हैं.

वहीं डॉ डीपी डोभाल कहते हैं कि सर्दियों के सीजन का समय कम होने की वजह पृथ्वी का तापमान बढ़ना है. हिल स्टेशन पर लोग सर्दियों में गिरने वाली बर्फबारी के लिए ही यहां पर पहुंचते हैं ऐसे में जब इस बार बर्फबारी नहीं हो रही है, उससे पर्यटन पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. समय पर बर्फबारी नहीं होने से पहाड़ पर रहने वाले किसानों और होटल व्यवसायियों के चेहरे मायूस हुए हैं. क्योंकि उनको उम्मीद थी कि समय पर बर्फबारी होती तो किसानों की फसल अच्छी होती और पर्यटक इन क्षेत्रों पर पहुंचते हैं. लेकिन अभी तक बर्फबारी नहीं होने से किसानों और होटल व्यवसायियों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ने लग गई है.

Last Updated : Dec 20, 2022, 8:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.