देहरादून: उत्तराखंड में ईको सेंसेटिव जोन का मामला का एक बार फिर चर्चाओं में है. मामला ईको सेंसेटिव जोन की परिधि से ग्रामीण क्षेत्रों को बाहर किए जाने की मंजूरी कैबिनेट द्वारा दिए जाने से जुड़ा है. प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में स्थित ईको सेंसेटिव जोन के दायरे में आने वाले गांवों को कैसे बाहर किया जाए, कम से कम गांव को ईको सेंसेटिव जोन में आएं. इसके तैयारियों में वन विभाग जुट गया है.
प्रमुख वन संरक्षक जयराज के मुताबिक, प्रदेश में कुल 11 ईको सेंसेटिव जोन है. जिसमें से दो ईको सेंसेटिव जोन का मामला पूरी तरह से क्लीयर हो चुका है, जबकि 9 ईको सेंसेटिव जोन ऐसे हैं जिनमें केंद्र सरकार की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. ईको सेंसेटिव जोन की परिधि से गांव को बाहर करने के मामले पर भी गंभीरता से चिंतन किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि सेंसेटिव जोन में विकास कार्य नहीं होते बल्कि ईको सेंसेटिव जोन में रेगुलर तरीके से विकास कार्यों को अंजाम तक पहुंचाया जाता है. साथ ही उन्होंने बताया कि ईको सेंसेटिव जोन में आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य अनुमति दिए जाने के बाद ही पूरे किए जाते हैं. यदि किसी क्षेत्र में ईको सेंसेटिव जोन में कुछ गांव को बाहर करना पड़ता है, तो उसको बाहर भी कर दिया जाता है.
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प्रदेश का एक बड़ा भू-भाग ऐसा है. जिसको ईको सेंसेटिव जोन के दायरे में लाया जाएगा. इसकी औपचारिकता भी शुरू कर दी गईं हैं. हालांकि, कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जिनको ईको सेंसेटिव जोन की परिधि से बाहर किया जाना एक बड़ी चुनौती है. फिलहाल, कई ऐसे ईको सेंसेटिव जोन हैं जिन की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और उम्मीद जताई जा रही है. जल्द ही केंद्र सरकार से इसकी परमिशन भी मिल जाएगी. बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में राजाजी नेशनल पार्क की परिधि में आने वाले 803 गांवों को ईको सेंसेटिव जोन से बाहर करने को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. ऐसे में अब केवल पार्क क्षेत्र के 22 गांव ही सेंसेटिव जोन की परिधि में आएंगे.
राजाजी नेशनल पार्क के चारों तरफ बफर जोन को कम करने के बावजूद तमाम गांव ईको सेंसेटिव जोन की जद में आ रहे थे. जिसके चलते सरकार पिछले कुछ महीने से जोन का नए सिरे से निर्धारण करने में जुटी थी. बता दें कि राजाजी नेशनल पार्क ईको सेंसेटिव जोन के 296 वर्ग किमी क्षेत्र के दायरे में 22 गांवों को शामिल किया है. पार्क से जुड़े कुल 825 गांवों में से 805 गांव सेंसेटिव जोन के बाहर हैं, जबकि जोन के भीतर 20 गांव हैं.
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कैबिनेट ने 805 में से 5 गांवों और 20 में से 17 गांवों को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया है. बाहर से शामिल गए पांच गांवों में पुलेला, सहनार, करौंदी, रत्तापानी, फूलचट्टी शामिल हैं. यही नहीं 17 गांवों में पुलानीचक, डांडीचक, टीरा, रायवाला, गंगा भोगपुर, सियानी, दोहरीघाट, केशु प्रतीतनगर, चांदपुरी, धर्माद, देवराड़ा, हजार टोंगिया, खैरगई, दुदानू, सिमंड डुडी आदि गांव शामिल हैं. अब देखना होगा कि आखिर किस तरीके से प्रदेश सरकार ईको सेंसेटिव जोन से ग्रामीण इलाकों को कैसे अलग कर पाती है और कैसे ईको सेंसेटिव जोन के साथ ही अन्य क्षेत्रों का विकास कर पाती है.