देहरादून: राजधानी देहरादून के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून अस्पताल (Doon Medical College Hospital) में लंबे समय से रेडियोलॉजिस्ट की नियमित नियुक्ति (permanent radiologist) नहीं होने से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि मरीज सुबह से भूखे प्यासे दिनभर लाइन में लगे रहते हैं, लेकिन उनका नंबर नहीं आता. दून अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की नियमित नियुक्ति नहीं होने की बड़ी वजह यह है कि रेडियोलॉजिस्ट ज्वाइन करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
इसका बड़ा कारण अतिरिक्त दबाव और वेतन विसंगति होना बताया जा रहा है. हालांकि, इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत हफ्ते में सिर्फ 2 दिन (सोमवार और गुरुवार) को मसूरी के सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और एडिशनल डायरेक्टर रैंक के रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर यतेंद्र शर्मा को दून अस्पताल आकर सामान्य मरीजों के अल्ट्रासाउंड करने पड़ रहे हैं.
आलम यह है कि बृहस्पतिवार को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मरीजों की संख्या 80 से ऊपर पहुंच गई. अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर कुछ मरीज अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए. एक मरीज के तीमारदार ने बताया कि उनकी मां को पथरी की शिकायत है. ऐसे में वह अपनी मां का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए सुबह साढ़े सात बजे अस्पताल पहुंच गईं थी लेकिन दोपहर तक उनका नंबर नहीं आया है. अस्पताल में ऐसे ना जाने कितने मरीज हैं, जो सुबह से लाइन में लगे रहने को मजबूर हैं.
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. केसी पंत (Medical Superintendent Dr KC Pant) का कहना है कि रेडियोलॉजिस्ट की कमी ना सिर्फ दून अस्पताल में बल्कि सभी मेडिकल कॉलेजों में है. उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट लोग सरकारी क्षेत्र में रुचि नहीं ले रहे हैं, क्योंकि पीएनडीटी एक्ट में रेडियोलॉजिस्ट कवर रहते हैं. इसके अलावा सरकारी क्षेत्र में दिलचस्पी ना दिखाने की एक वजह अतिरिक्त दबाव और वेतन विसंगति भी हैं, जबकि प्राइवेट सेक्टर में उनको बहुत अधिक पैसा मिल रहा है.
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यही कारण है कि इस क्षेत्र के डॉक्टर्स को मेडिकल कॉलेज के सिस्टम में काम करना उतना अच्छा नहीं लग रहा है. मेडिकल फैकल्टी में यह डॉक्टर्स क्यों नहीं आना चाहते? इसको लेकर डॉ. पंत ने कहा कि इस संबंध में एक रिपोर्ट बनाकर शासन स्तर पर भेजी है. इस रिपोर्ट में अस्पताल प्रबंधन ने अपनी संस्तुतियां भी दी है. उन्होंने बताया कि मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में काम करने की टर्म एंड कंडीशन में बदलाव किया जाएगा, ताकि मेडिकल कॉलेजों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी दूर की जा सके.