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उत्तराखंड में डिजिटल इंडिया का सच, जहां हो रहा बजट सत्र वहीं नहीं नेटवर्क

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Published : Mar 3, 2021, 4:44 PM IST

एक तरफ केंद्रीय बजट में डिजिटल इंडिया को लेकर ढेरों दावे किए गए तो वहीं उत्तराखंड का बजट सत्र जहां आयोजित हो रहा है वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी तक नहीं है.

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देहरादूनः गुरुवार 4 मार्च को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में त्रिवेंद्र सरकार पांचवां और इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी. जहां एक तरफ केंद्रीय बजट में डिजिटल इंडिया को लेकर ढेरों दावे किए गए तो वहीं उत्तराखंड का बजट सत्र जहां आयोजित हो रहा है वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी तक नहीं है.

जहां हो रहा बजट सत्र वहीं नेटवर्क नहीं

उत्तराखंड जैसी विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में सूचना तंत्र शुरू से ही एक जटिल विषय रहा है. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए डिजिटल इंडिया अभियान के तहत दावा किया गया था कि देश के कोने-कोने तक सूचना तंत्र को मजबूत किया जाएगा, लेकिन मौजूदा हालात कुछ इस तरह से हैं कि जहां पर उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र आयोजित हो रहा है, वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी ही नहीं है. जिस वजह से बजट सत्र की मीडिया कवरेज और सूचना तंत्र को लेकर पूरे राज्य को केवल सरकारी व्यवस्थाओं पर आश्रित रहना पड़ रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि डिजिटल इंडिया तो दूर की बात है, यहां तो जानबूझकर सूचनाओं को दबाने के लिए इस तरह की कार्यशैली अपनाई जा रही है. हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि बजट सत्र चल रहा है, लेकिन पूरे प्रदेश को यह जानकारी तक नहीं है कि बजट सत्र में हो क्या रहा है? हीरा सिंह बिष्ट कहते हैं कि आज पहाड़ पर लोगों का जीवन बिना सूचना के पिछड़ रहा है. लेकिन सरकार शहरी इलाकों में अपना सूचना तंत्र मजबूत करके पीठ थपथपा रही है.

पढ़ेंः बजट 2021ः आम से लेकर खास पर कितनी खरी उतरेगी त्रिवेंद्र सरकार, खास रिपोर्ट

उत्तराखंड में नेटवर्क कनेक्टिविटी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा का कहना है कि उत्तराखंड राज्य विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है और यह सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दो अंतरराष्ट्रीय सीमाएं उत्तराखंड से जुड़ी हुई हैं. डिजिटल इंडिया को लेकर केंद्र द्वारा काफी बातें कही गई हैं, लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में आज भी नेटवर्क कनेक्टिविटी होने की वजह से युवा पिछड़ रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा आगे कहते हैं कि पूरा देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है और आज रोजगार से लेकर कई व्यवस्थाएं ऑनलाइन हो चुकी हैं. लेकिन उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में आज भी कई जगहों पर नेटवर्क नहीं है. इसके अलावा प्रदेश में सूचना तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकारों को उत्तराखंड में नेटवर्क कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

देहरादूनः गुरुवार 4 मार्च को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में त्रिवेंद्र सरकार पांचवां और इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी. जहां एक तरफ केंद्रीय बजट में डिजिटल इंडिया को लेकर ढेरों दावे किए गए तो वहीं उत्तराखंड का बजट सत्र जहां आयोजित हो रहा है वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी तक नहीं है.

जहां हो रहा बजट सत्र वहीं नेटवर्क नहीं

उत्तराखंड जैसी विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में सूचना तंत्र शुरू से ही एक जटिल विषय रहा है. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए डिजिटल इंडिया अभियान के तहत दावा किया गया था कि देश के कोने-कोने तक सूचना तंत्र को मजबूत किया जाएगा, लेकिन मौजूदा हालात कुछ इस तरह से हैं कि जहां पर उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र आयोजित हो रहा है, वहां पर नेटवर्क कनेक्टिविटी ही नहीं है. जिस वजह से बजट सत्र की मीडिया कवरेज और सूचना तंत्र को लेकर पूरे राज्य को केवल सरकारी व्यवस्थाओं पर आश्रित रहना पड़ रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि डिजिटल इंडिया तो दूर की बात है, यहां तो जानबूझकर सूचनाओं को दबाने के लिए इस तरह की कार्यशैली अपनाई जा रही है. हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि बजट सत्र चल रहा है, लेकिन पूरे प्रदेश को यह जानकारी तक नहीं है कि बजट सत्र में हो क्या रहा है? हीरा सिंह बिष्ट कहते हैं कि आज पहाड़ पर लोगों का जीवन बिना सूचना के पिछड़ रहा है. लेकिन सरकार शहरी इलाकों में अपना सूचना तंत्र मजबूत करके पीठ थपथपा रही है.

पढ़ेंः बजट 2021ः आम से लेकर खास पर कितनी खरी उतरेगी त्रिवेंद्र सरकार, खास रिपोर्ट

उत्तराखंड में नेटवर्क कनेक्टिविटी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा का कहना है कि उत्तराखंड राज्य विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है और यह सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दो अंतरराष्ट्रीय सीमाएं उत्तराखंड से जुड़ी हुई हैं. डिजिटल इंडिया को लेकर केंद्र द्वारा काफी बातें कही गई हैं, लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में आज भी नेटवर्क कनेक्टिविटी होने की वजह से युवा पिछड़ रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा आगे कहते हैं कि पूरा देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है और आज रोजगार से लेकर कई व्यवस्थाएं ऑनलाइन हो चुकी हैं. लेकिन उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में आज भी कई जगहों पर नेटवर्क नहीं है. इसके अलावा प्रदेश में सूचना तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकारों को उत्तराखंड में नेटवर्क कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

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