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लिंगानुपात मामले में उत्तराखंड फिसड्डी, 1000 लड़कों की तुलना में 840 बालिकाएं

एसडीजी रिपोर्ट 2020-21 के तहत लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड ने इस बार 13वां स्थान हासिल किया है. जबकि 2019 की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखंड ने 11वां स्थान हासिल किया था. उत्तराखंड में 1000 बालकों की तुलना में महज 840 बालिकाएं ही हैं.

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Published : Jun 7, 2021, 8:05 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 8:44 PM IST

देहरादूनः नीति आयोग की ओर से साल 2020- 21 के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) रिपोर्ट जारी की गई है. जिसके तहत जहां शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में उत्तराखंड ने चौथा स्थान हासिल किया है. वहीं, लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड फिसड्डी साबित हुआ है. इतना ही नहीं लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड और निचले पायदान पर आया है. इस बार प्रदेश का 13वां स्थान आया है. जबकि, 2019 की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखंड ने 11वां स्थान हासिल किया था.

दरअसल, एसडीजी रिपोर्ट के तहत लिंगानुपात के मामले में भी उत्तराखंड की स्थिति कुछ खास उभरकर सामने नहीं आई है. हालांकि, प्रदेश सरकार लगातार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती आई है, लेकिन इसके बावजूद हकीकत यह है कि उत्तराखंड राज्य में 1000 बालकों की तुलना में महज 840 बालिकाएं ही हैं. जबकि लिंगानुपात के मामले में राष्ट्रीय औसत 899 का है. इस तरह उत्तराखंड राज्य लिंगानुपात के राष्ट्रीय औसत के आसपास भी नहीं है.

ये भी पढ़ेंः बेहतर शिक्षा के मामले में उत्तराखंड देश में चौथे नंबर पर, नीति आयोग ने जारी किया SDG इंडिया इंडेक्स

लिंगानुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब में हुआ सुधार

सबसे बड़ी गौर करने वाली बात ये है कि नीति आयोग की एसडीजी रिपोर्ट के अनुसार लिंगानुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब ने काफी अच्छा सुधार किया है. इस तरह यह दोनों राज्य भी उत्तराखंड की तुलना में लिंग अनुपात के मामले में बेहतर स्थिति में नजर आ रहे हैं. जहां हरियाणा में एक हजार बालकों पर 843 बालिकाएं हैं. वहीं, पंजाब में भी 1000 बालकों पर 890 बालिकाएं हैं.

राज्यमंत्री रेखा आर्य को SDG रिपोर्ट की जानकारी नहीं!

लिंगानुपात के मामले में फिसड्डी साबित हुए उत्तराखंड राज्य को लेकर जब महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य से बात की तो उन्हें एसडीडी रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी. वहीं, एसडीजी रिपोर्ट को समझने का प्रयास करने की बात कही. उन्हें एसडीजी रिपोर्ट भेजी गई तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अपने विभागीय सचिव और अन्य उच्च अधिकारियों को पत्र लिख निर्देशित किया.

ये भी पढ़ेंः SDG India Index: देश में बेहतर कानून व्यवस्था कायम रखने में उत्तराखंड नंबर 1

उन्होंने अपने विभागीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों के साथ योजना की प्रत्येक माह समीक्षा करते हुए धरातल पर बेहतर विभागीय समन्वय करते हुए तेजी से प्रदेश के लिंगानुपात में सुधार लाने को लेकर कार्य किए जाए. नीति आयोग की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखंड का लिंगानुपात 1000 बालकों में 840 ही दर्शाया गया है. जबकि, उनकी जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में 1000 बालक को पर 950 के आसपास बालिकाएं हैं.

लिंगानुपात में टॉप पर छत्तीसगढ़ और केरल

बता दें कि लिंगानुपात के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन छत्तीसगढ़ राज्य ने किया है. यहां 1000 बालक को की तुलना में 958 बालिकाओं का लिंगानुपात है. जो राष्ट्र और सब से भी काफी ऊपर है. इसके अलावा लिंगानुपात के मामले में दूसरे स्थान पर करेल है. जहां 1000 बालकों की तुलना में 957 बालिकाओं का लिंगानुपात है.

देहरादूनः नीति आयोग की ओर से साल 2020- 21 के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) रिपोर्ट जारी की गई है. जिसके तहत जहां शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में उत्तराखंड ने चौथा स्थान हासिल किया है. वहीं, लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड फिसड्डी साबित हुआ है. इतना ही नहीं लैंगिक समानता के मामले में उत्तराखंड और निचले पायदान पर आया है. इस बार प्रदेश का 13वां स्थान आया है. जबकि, 2019 की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखंड ने 11वां स्थान हासिल किया था.

दरअसल, एसडीजी रिपोर्ट के तहत लिंगानुपात के मामले में भी उत्तराखंड की स्थिति कुछ खास उभरकर सामने नहीं आई है. हालांकि, प्रदेश सरकार लगातार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देती आई है, लेकिन इसके बावजूद हकीकत यह है कि उत्तराखंड राज्य में 1000 बालकों की तुलना में महज 840 बालिकाएं ही हैं. जबकि लिंगानुपात के मामले में राष्ट्रीय औसत 899 का है. इस तरह उत्तराखंड राज्य लिंगानुपात के राष्ट्रीय औसत के आसपास भी नहीं है.

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लिंगानुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब में हुआ सुधार

सबसे बड़ी गौर करने वाली बात ये है कि नीति आयोग की एसडीजी रिपोर्ट के अनुसार लिंगानुपात के मामले में हरियाणा और पंजाब ने काफी अच्छा सुधार किया है. इस तरह यह दोनों राज्य भी उत्तराखंड की तुलना में लिंग अनुपात के मामले में बेहतर स्थिति में नजर आ रहे हैं. जहां हरियाणा में एक हजार बालकों पर 843 बालिकाएं हैं. वहीं, पंजाब में भी 1000 बालकों पर 890 बालिकाएं हैं.

राज्यमंत्री रेखा आर्य को SDG रिपोर्ट की जानकारी नहीं!

लिंगानुपात के मामले में फिसड्डी साबित हुए उत्तराखंड राज्य को लेकर जब महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य से बात की तो उन्हें एसडीडी रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी. वहीं, एसडीजी रिपोर्ट को समझने का प्रयास करने की बात कही. उन्हें एसडीजी रिपोर्ट भेजी गई तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अपने विभागीय सचिव और अन्य उच्च अधिकारियों को पत्र लिख निर्देशित किया.

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उन्होंने अपने विभागीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों के साथ योजना की प्रत्येक माह समीक्षा करते हुए धरातल पर बेहतर विभागीय समन्वय करते हुए तेजी से प्रदेश के लिंगानुपात में सुधार लाने को लेकर कार्य किए जाए. नीति आयोग की एसडीजी रिपोर्ट में उत्तराखंड का लिंगानुपात 1000 बालकों में 840 ही दर्शाया गया है. जबकि, उनकी जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में 1000 बालक को पर 950 के आसपास बालिकाएं हैं.

लिंगानुपात में टॉप पर छत्तीसगढ़ और केरल

बता दें कि लिंगानुपात के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन छत्तीसगढ़ राज्य ने किया है. यहां 1000 बालक को की तुलना में 958 बालिकाओं का लिंगानुपात है. जो राष्ट्र और सब से भी काफी ऊपर है. इसके अलावा लिंगानुपात के मामले में दूसरे स्थान पर करेल है. जहां 1000 बालकों की तुलना में 957 बालिकाओं का लिंगानुपात है.

Last Updated : Jun 7, 2021, 8:44 PM IST
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