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आज है निर्जला एकादशी, ऐसे पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं - मां लक्ष्मी के मन्त्र जपें

आज निर्जला एकादशी का व्रत है. आज के दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. ये व्रत रखने से साल की सभी एकादशियों का व्रत फल मिलता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है.

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आज है निर्जला एकादशी
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Published : Jun 2, 2020, 1:24 PM IST

देहरादून: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. साल की सभी चौबीस एकादशियों में निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है कि निर्जला एकादशी को बिना जल के उपवास रहने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है.

निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इस एकादशी को निर्जला कहते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें: रेड जोन में आई पहली बरात, एक दूजे के हुए अंजू और हरीश

ये है निर्जला एकादशी का महत्व

  • निर्जला एकादशी को निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. ये व्रत रखने से साल की सभी एकादशियों का व्रत फल मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा होती है.

ऐसे करें निर्जला एकादशी पर पूजा

  • स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें.
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्र जपें.
  • निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न-वस्त्र या जूते-छाते दान करें.

देहरादून: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. साल की सभी चौबीस एकादशियों में निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है कि निर्जला एकादशी को बिना जल के उपवास रहने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है.

निर्जला एकादशी व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इस एकादशी को निर्जला कहते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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ये है निर्जला एकादशी का महत्व

  • निर्जला एकादशी को निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. ये व्रत रखने से साल की सभी एकादशियों का व्रत फल मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा होती है.

ऐसे करें निर्जला एकादशी पर पूजा

  • स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें.
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्र जपें.
  • निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न-वस्त्र या जूते-छाते दान करें.
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