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NH-74 घोटाला मामले में IAS पंकज पांडेय को मिली राहत, सरकार ने किया बहाल

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Published : May 3, 2019, 10:42 PM IST

उत्तराखंड का सबसे चर्चित और बड़ा घोटाला NH74 मुआवजा के आरोपी पंकज कुमार पांडे को बहाल कर दिया गया है. शुक्रवार देर शाम प्रभारी सचिव कार्मिक बीएस मनराल ने बहाली का आदेश जारी किया.

IAS अधिकारी पंकज पांडे.

देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले मामले में नया मोड़ आ गया है. पिछले 6 महीने से निलंबित IAS अधिकारी पंकज कुमार पांडेय को बड़ी राहत मिली है. कार्मिक विभाग ने पंकज पांडेय को बहाल कर दिया है. विभाग ने इस बाबत आदेश जारी किए हैं.

NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले मामले में दो IAS अधिकारी चंद्रेश यादव और पंकज कुमार पांडेय आरोपी थे. हालांकि, चंद्रेश यादव को पहले ही बहाल किया जा चुका है, लेकिन पंकज पांडे को इसके लिये 6 महीने का इंतजार करना पड़ा. पंकज पर लगे आरोप सिद्ध न होने पर सरकार ने शुक्रवार को यू टर्न लेते हुये अपना कदम वापस ले लिया. जिसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय कमेटी ने IAS अधिकारी पंकज कुमार पांडेय को बहाल करने का फैसला लिया.

IAS अधिकारी पंकज पांडे का निलंबन बहाल.

दरअसल, प्रदेश के चर्चित एनएच-74 (हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले में निलंबित चल रहे आइएएस पंकज कुमार पांडेय अपना निलंबन समाप्त करने को लेकर काफी समय से प्रयासरत थे. उन्होंने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी से मुलाकात भी की थी.

एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में एक सेवानिवृत्त समेत आठ पीसीएस अधिकारी और दो आइएएस अधिकारी निलंबित किये गए थे. इसमें अब दो आइएएस के साथ दो पीसीएस अधिकारी बहाल हो चुके हैं. वैसे, इस मामले में अभी तक शासन स्तर से चल रही जांच पूरी नहीं हुई है.

क्या था मामला

  • प्रदेश में वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा खुलासा करते हुये एनएच-74 चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले पर जांच शुरू करवाई थी.
  • इस मामले में आठ पीसीएस अधिकारियों को वर्ष 2017 में ही निलंबित कर दिया गया था.
  • दो आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव को सितंबर 2018 में निलंबित किया गया.
  • दोनों अधिकारियों की जांच अलग-अलग वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को सौंपी गई, जो अभी पूरी होनी बाकी है.
  • नवंबर में सरकार ने आएएस चंद्रेश यादव को बहाल कर दिया था.
  • आइएएस पांडेय का निलंबन बरकरार रखा गया.
  • पीसीएस अधिकारियों में से भी एक सेवानिवृत्त और दो अन्य का निलंबन समाप्त किया गया जबकि पांच अन्य का निलंबन बरकरार है.

गौर हो कि कुछ समय पहले आइएएस पंकज कुमार पांडेय ने शासन को अपनी बहाली के संबंध में पत्र लिखा था, जिस पर आचार संहिता के चलते कोई निर्णय नहीं लिया गया. इसी कड़ी में सोमवार को आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की थी.

हालांकि, उनकी जांच कर रहीं आइएएस भूपेंद्र कौर औलख अभी प्रदेश से बाहर हैं. आने के बाद ही वह अपनी जांच के संबंध में शासन को अवगत कराएंगी, उसके बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जा सकेगा. वहीं पीसीएस अधिकारियों की जांच कर रहीं प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने अपनी रिपोर्ट शासन को नहीं सौंपी है.


साल 2017

  • 11 मार्च: एडीएम प्रताप शाह की तहरीर पर सिडकुल चौकी में एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नजीमाबाद और रुद्रपुर एनएचएआई देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, जसपुर, गदरपुर, खटीमा, किच्छा, रुद्रपुर, बाजपुर और सितारगंज के एसडीएमए एसडीएम कार्यालय में तैनात रीडर, पेशकार, तहसीलदार राजस्व निरीक्षक, खतौनी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज.
  • 12 मार्च: एसएलओए उनके कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का नाम रिपोर्ट में दर्ज.
  • 03 जून: जसपुर से निलंबित पेशकार विकास चौहान की गिरफ्तारी.
  • 07 नवंबर: एसआईटी ने निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया, निलंबित संग्रह अमीन अनिल कुमार, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार मदन मोहन पलड़िया, रिटायर्ड तहसीलदार भोले लाल, अनुसेवक रामसमुझ, स्टांप वेंडर जीशान, और किसान ओमप्रकाश, चरन सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा.
  • 24 नवंबर: घोटाले के मुख्य आरोपी डीपी सिंह ने एसएसपी के आगे सरेंडर किया, डीपी को जेल भेजा गया.
  • 24 नवंबर: राजस्व अहलमद संजय चौहान, डाटा एंट्री ऑपरेटर अर्पण कुमार गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे.
  • 24 नवंबर: डीपी सरेंडर करने के बाद जेल की सलाखों की पीछे पहुंचा था.

साल 2018

  • 14 जनवरी: एसआईटी ने निलंबित पीसीएस अफ सर अनिल शुक्ला, तहसीलदार मोहन सिंह और काश्तकार अमर सिंह को गिरफ्तार किया.
  • 16 जनवरी: सितारगंज से राजस्व अहलमद संतराम गिरफ्तार.
  • 08 फरवरी: एसआईटी ने निलंबित पीसीएस अधिकारी एनएस नगन्याल, चकबंदी अधिकारी अमर सिंह, सहायक चकबंदी अधिकारी गणेश प्रसाद निरंजन को जेल भेजा.
  • 20 मार्च: पुलिस ने गुड़गांव के एक मॉल से एलाइड इंफ्रा की एमडी प्रिया शर्मा और सुधीर चावला को गिरफ्तार किया.
  • 07 जुलाई: बेरीनाग के नायब तहसीलदार रघुवीर सिंह गिरफ्तार कर जेल भेजे गए.
  • 09 जुलाई: निलंबित पीसीएस अफ सर तीरथपाल गिरफ्तार कर जेल भेजे गए.
  • 10 जुलाई: एसआईटी ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंपी.
  • 12 जुलाई: एसआईटी की रिपोर्ट पर शासन ने आईएएस अफसर पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव को नोटिस भेजे.
  • 10 अगस्त: को दोनों आईएएस अफसरों ने शासन को अपना जवाब सौंप दिया था.
  • 18 अगस्त: एसआईटी ने दोनों आईएएस अफसरों से पूछताछ का समय मांगा था, सरकार ने पूछताछ की अनुमति दे दी थी.
  • 11 सिंतबर: शासन ने एसआईटी की जांच आख्या पर आईएएस अफसर डॉ. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को निलंबित कर दिया.

देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले मामले में नया मोड़ आ गया है. पिछले 6 महीने से निलंबित IAS अधिकारी पंकज कुमार पांडेय को बड़ी राहत मिली है. कार्मिक विभाग ने पंकज पांडेय को बहाल कर दिया है. विभाग ने इस बाबत आदेश जारी किए हैं.

NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले मामले में दो IAS अधिकारी चंद्रेश यादव और पंकज कुमार पांडेय आरोपी थे. हालांकि, चंद्रेश यादव को पहले ही बहाल किया जा चुका है, लेकिन पंकज पांडे को इसके लिये 6 महीने का इंतजार करना पड़ा. पंकज पर लगे आरोप सिद्ध न होने पर सरकार ने शुक्रवार को यू टर्न लेते हुये अपना कदम वापस ले लिया. जिसके बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय कमेटी ने IAS अधिकारी पंकज कुमार पांडेय को बहाल करने का फैसला लिया.

IAS अधिकारी पंकज पांडे का निलंबन बहाल.

दरअसल, प्रदेश के चर्चित एनएच-74 (हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले में निलंबित चल रहे आइएएस पंकज कुमार पांडेय अपना निलंबन समाप्त करने को लेकर काफी समय से प्रयासरत थे. उन्होंने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी से मुलाकात भी की थी.

एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में एक सेवानिवृत्त समेत आठ पीसीएस अधिकारी और दो आइएएस अधिकारी निलंबित किये गए थे. इसमें अब दो आइएएस के साथ दो पीसीएस अधिकारी बहाल हो चुके हैं. वैसे, इस मामले में अभी तक शासन स्तर से चल रही जांच पूरी नहीं हुई है.

क्या था मामला

  • प्रदेश में वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा खुलासा करते हुये एनएच-74 चौड़ीकरण मुआवजा घोटाले पर जांच शुरू करवाई थी.
  • इस मामले में आठ पीसीएस अधिकारियों को वर्ष 2017 में ही निलंबित कर दिया गया था.
  • दो आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव को सितंबर 2018 में निलंबित किया गया.
  • दोनों अधिकारियों की जांच अलग-अलग वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को सौंपी गई, जो अभी पूरी होनी बाकी है.
  • नवंबर में सरकार ने आएएस चंद्रेश यादव को बहाल कर दिया था.
  • आइएएस पांडेय का निलंबन बरकरार रखा गया.
  • पीसीएस अधिकारियों में से भी एक सेवानिवृत्त और दो अन्य का निलंबन समाप्त किया गया जबकि पांच अन्य का निलंबन बरकरार है.

गौर हो कि कुछ समय पहले आइएएस पंकज कुमार पांडेय ने शासन को अपनी बहाली के संबंध में पत्र लिखा था, जिस पर आचार संहिता के चलते कोई निर्णय नहीं लिया गया. इसी कड़ी में सोमवार को आइएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडेय ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की थी.

हालांकि, उनकी जांच कर रहीं आइएएस भूपेंद्र कौर औलख अभी प्रदेश से बाहर हैं. आने के बाद ही वह अपनी जांच के संबंध में शासन को अवगत कराएंगी, उसके बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जा सकेगा. वहीं पीसीएस अधिकारियों की जांच कर रहीं प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने अपनी रिपोर्ट शासन को नहीं सौंपी है.


साल 2017

  • 11 मार्च: एडीएम प्रताप शाह की तहरीर पर सिडकुल चौकी में एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नजीमाबाद और रुद्रपुर एनएचएआई देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, जसपुर, गदरपुर, खटीमा, किच्छा, रुद्रपुर, बाजपुर और सितारगंज के एसडीएमए एसडीएम कार्यालय में तैनात रीडर, पेशकार, तहसीलदार राजस्व निरीक्षक, खतौनी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज.
  • 12 मार्च: एसएलओए उनके कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का नाम रिपोर्ट में दर्ज.
  • 03 जून: जसपुर से निलंबित पेशकार विकास चौहान की गिरफ्तारी.
  • 07 नवंबर: एसआईटी ने निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया, निलंबित संग्रह अमीन अनिल कुमार, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार मदन मोहन पलड़िया, रिटायर्ड तहसीलदार भोले लाल, अनुसेवक रामसमुझ, स्टांप वेंडर जीशान, और किसान ओमप्रकाश, चरन सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा.
  • 24 नवंबर: घोटाले के मुख्य आरोपी डीपी सिंह ने एसएसपी के आगे सरेंडर किया, डीपी को जेल भेजा गया.
  • 24 नवंबर: राजस्व अहलमद संजय चौहान, डाटा एंट्री ऑपरेटर अर्पण कुमार गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे.
  • 24 नवंबर: डीपी सरेंडर करने के बाद जेल की सलाखों की पीछे पहुंचा था.

साल 2018

  • 14 जनवरी: एसआईटी ने निलंबित पीसीएस अफ सर अनिल शुक्ला, तहसीलदार मोहन सिंह और काश्तकार अमर सिंह को गिरफ्तार किया.
  • 16 जनवरी: सितारगंज से राजस्व अहलमद संतराम गिरफ्तार.
  • 08 फरवरी: एसआईटी ने निलंबित पीसीएस अधिकारी एनएस नगन्याल, चकबंदी अधिकारी अमर सिंह, सहायक चकबंदी अधिकारी गणेश प्रसाद निरंजन को जेल भेजा.
  • 20 मार्च: पुलिस ने गुड़गांव के एक मॉल से एलाइड इंफ्रा की एमडी प्रिया शर्मा और सुधीर चावला को गिरफ्तार किया.
  • 07 जुलाई: बेरीनाग के नायब तहसीलदार रघुवीर सिंह गिरफ्तार कर जेल भेजे गए.
  • 09 जुलाई: निलंबित पीसीएस अफ सर तीरथपाल गिरफ्तार कर जेल भेजे गए.
  • 10 जुलाई: एसआईटी ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंपी.
  • 12 जुलाई: एसआईटी की रिपोर्ट पर शासन ने आईएएस अफसर पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव को नोटिस भेजे.
  • 10 अगस्त: को दोनों आईएएस अफसरों ने शासन को अपना जवाब सौंप दिया था.
  • 18 अगस्त: एसआईटी ने दोनों आईएएस अफसरों से पूछताछ का समय मांगा था, सरकार ने पूछताछ की अनुमति दे दी थी.
  • 11 सिंतबर: शासन ने एसआईटी की जांच आख्या पर आईएएस अफसर डॉ. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को निलंबित कर दिया.
Intro:IAS अधिकारी पंकज पांडे का निलम्बन बहाल

एंकर- NH74 भूमि मुआवजा घोटाले में निलंबित दूसरे अधिकारी पंकज कुमार पांडे की भी आज उत्तराखंड शासन ने बहाली कर दी है। आपको बता दें कि इस मामले में उत्तराखंड सरकार ने निलंबित किये गए IAS अधिकारी चंद्रेश यादव को पहले ही बहाल कर दिया था और अब पंकज पांडे के निलंबित को भी बहाल कर दिया गया है। हालांकि इस मामले में जांच अभी जारी है।


सस्पेंशन को लेकर 6 महीने के बाद तीन 3 महीने के लिए कमेटी बैठती है और कॉमेडी तय करती है और


Body:वीओ- उत्तराखंड का सबसे चर्चित और बड़ा घोटाला माने जाने वाला NH74 मुआवजा घोटाले में आज एक नया मोड़ आया है दरअसल आज nh-74 मुआवजा घोटाले में निलंबित किए गए दूसरे आईएएस अधिकारी पंकज कुमार पांडे को शासन ने बहाल कर दिया है शुक्रवार देर शाम कार्मिक विभाग द्वारा पंकज पांडे के बहाली का आदेश जारी कर दिया गया। निलंबन की बहाली का आदेश प्रभारी सचिव कार्मिक, बीएस मनराल द्वारा किया गया।

दरसल किसी भी अधिकारी को 6 महीने से ज्यादा निलंबित नही किया जा सकता है वो भी तब जब उससे जांच पर कोई खास प्रभाव ना पड़ रहा हो। IAS अधिकारी पंकज पांडे खुद भी कई पर कार्मिक विभाग को पत्र लिख कर ये बात कह चुके हैं कि जांच में देरी उनकी वजह से नही हो रही है और उनके द्वारा जांच में पूरा सहयोग भी किया जा चुका है तो अब क्यों उन्हें निलंबित रखा जाए जिस पर मुख्यसचिव की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्यीय कमेठी में निलम्बन की बहाली का निर्णय लिया गया।


मिली जानकारी के अनुसार किसी भी अधिकारी के निलबंन पर कमेठी निर्णय लेती है और पहली दफा किसी अधिकारी को केवल 6 महीने तक ही निलंबित करने का प्रवधान है और उसके बाद सभी परिस्थितियों को देखते हुए कमेठी 3-3 माह के एक्सटेंशन पर विचार करती है और पंकज पांडे के मामले में कमेठी ने पाया कि निलंबन की अब और आवश्यकता नही है जिसे देखते हुए पंकज पांडे का निलंबन को निरस्त करते हुए उन्हें बहाल किया गया है जिसके बाद उन्हें आने वाले कुछ दिनों में विभाग दे दिए जाएंगे और वो सामान्य रूप से काम कर पाएंगे हालांकि NH74 भूमि मुआवजा घोटाले की जांच चलती रहेगी। वही निलंबन के दौरान कटे वेतन पर भी बाद में विचार किया जाएगा।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार निलम्बन किसी तरह की कोई सजा नही है लेकिन आज के दौर में इसे सजा के रूप में देखा जा रहा है हालांकि इन अधिकारियों पर अभी किसी भी तरह का आरोप सिद्ध नही हुआ है। निलम्बन केवल जांच में प्रभाव ना पड़ने के लिहाज से उन्हें किसी दूसरी जगह अटैच कर दिया जाता है लेकिन ये निलंबन विभागीय नियमावली ओर शासनादेश के अनुसार 6 माह से ज्यादा किसी अधिकारी का निलम्बन नही किया जा सकता है।


Conclusion:
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