ऋषिकेश: कहते हैं इंसान का धर्म इंसानियत का होता है, जो लोगों की हर परेशानी में आगे आए. ऐसी ही कुछ बानगी तीर्थनगरी में देखने को मिली, जहां नीरजा गोयल खुद दिव्यांग होकर भी भूखे लोगों को रोटी का सहारा दे रही हैं. नीरजा हर शुक्रवार को ये नेक कार्य करती हैं और रोटी और सब्जी लेकर त्रिवेणी घाट पहुंचकर जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाती हैं. नीरजा के इस कदम की लोग काफी सराहना कर रहे हैं. वहीं स्थानीय लोगों का भी नीरजा को काफी सहयोग मिल रहा है.
गौर हो कि दोनों पैरों से दिव्यांग नीरजा गोयल के हौसले पहाड़ जैसे हैं. नीरजा अपने हौसले की बदौलत पैरा बैडमिंटन के खेल में भी खास मुकाम हासिल कर चुकी हैं. नीरजा को कई बार उनके बेहतर खेल के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है. बता दें कि नीरजा गोयल ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए रोटी बैंक की शुरुआत की है. रोटी बैंक में एकत्रित हुई रोटियां प्रत्येक शुक्रवार को नीरजा त्रिवेणी घाट पहुंचकर भूखे लोगों को खिलाती हैं.
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रोटी बैंक की शुरुआत के समय से ही उनके साथ दो लोग गीता मित्तल और हरीश चतुर्वेदी उनका सहयोग करते हैं. वहीं गीता मित्तल का कहना था कि नीरजा दिव्यांग होकर भी इस तरह का कार्य कर रही हैं, जो बेहद सराहनीय कदम है. उन्होंने कहा कि उन्होंने शुरुआत के समय से ही नीरजा के साथ जुड़कर रोटी बैंक के शुरुआती की. साथ ही गरीब लोगों को रोटी खिलाकर उन्हें काफी सुकून मिलता है.
उन्होंने कहा कि हम लोग किसी से भी आर्थिक रूप से मदद नहीं लेते हैं, बल्कि अगर कोई मदद करना चाहता भी है तो वो रोटी के जरिए ही मदद कर सकता है. नीरजा गोयल ने ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत में बताया कि उनकी एक सोच थी कि वे किस तरह से गरीब और भूखे लोगों की मदद कर सकें. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश में सुबह और दोपहर के समय लंगर और भंडारे में लोगों को भरपेट भोजन मिल जाता है. लेकिन शाम के समय न ही कोई भंडारा होता है न ही कोई लंगर. जिस वजह से गरीब लोगों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है, यही कारण है कि उन्होंने गरीबों को खाना खिलाने के लिए रोटी बैंक की शुरुआत की है.
नीरजा ने बताया कि शुरुआत के दिनों में रोटियों की संख्या कम थी, लेकिन आज 350 से अधिक रोटियां उनके पास आ जाती है. जिसके बाद शुक्रवार को वो त्रिवेणी घाट पहुंचकर लोगों को रोटी और सब्जी खिलाती हैं. नीरजा ने कहा कि उनका आगे का लक्ष्य एम्स में उपचार कराने आने वाले रोगियों के तीमारदारों को भी इसी तरह से भोजन उपलब्ध कराना है, जिसके लिए वे प्रयासरत हैं.