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उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही पर्यटकों की संख्या, नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की दरकार

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इन 19 सालों में सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राज्य सरकार नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर वर्तमान समय के पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही है.

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Published : Sep 27, 2019, 1:31 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 3:58 PM IST

नए पर्यटक स्थल

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य बने 19 साल होने को हैं लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल विकसित नहीं हो पाया है. साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर सरकार वर्तमान समय के पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही है. ऐसे में कैसे राज्य सरकार का उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना साकार होगा ये एक बड़ा सवाल है? आइए आपको बताते हैं उत्तराखंड के पयर्टक स्थलों की स्थिति...

यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इन 19 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे तो वहीं यह आंकड़ा 3 करोड़ 75 लाख के पार पहुंच गया है, जो कि राज्य गठन के बाद साढ़े तीन गुना से भी अधिक है.

यह भी पढ़ेंः ऋषिकेश: डेंगू के मरीज को रेफर करने पर परिजनों ने जमकर किया हंगामा, अस्पताल पर लगाए ये आरोप

हालांकि सैलानी यहां सिर्फ कांवड़ और कुंभ मेले के लिए नहीं आते बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड में पर्यटक भारी से भारी संख्या में आएं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सकें, ये कहीं न कहीं राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है.

सीजन के समय पैक हो जाते हैं टूरिस्ट प्लेस
प्रदेश में अमूमन देखने को मिलता है कि जब टूरिस्टों के घूमने का पीक सीजन चलता है तो प्रदेश के मुख्य सभी पर्यटक स्थल फुल हो जाते हैं. जिसके चलते स्थानीय प्रशासन को हाउसफुल का बोर्ड भी लगाना पड़ता है. यही नहीं प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थलों की बात करें तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी आदि मुख्य जगह हैं. सीजन के दौरान इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके राज्य सरकार प्रदेश के अन्य पर्यटक स्थलों को अभी तक विकसित नहीं कर पाई है.

उत्तराखंड में नए पर्यटक स्थलों की दरकार.

महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी पड़ी है, क्योंकि पिछले साल राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था, ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले. कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया. जिस वजह से ये योजना अधर में लटकी है.

छोटे-छोटे स्थल हुए हैं विकसित
साथ ही पर्यटन सचिव ने बताया कि इस बार उत्तरकाशी के यमुनाघाटी में सभी एडवेंचर टूरिज्म फुल रहे हैं. चौपता में भारी तादाद में यात्रियों के आने की वजह से लोगों को रहने की जगह नहीं थी. इसके साथ ही नैनीताल में जो पार्किंग की समस्या आ रही है उसके चलते नैनीताल के आस-पास भीमताल, मुक्तेश्वर जैसे पर्यटक स्थल विकसित हो गए हैं.

यहां तक कि अब लोग मुंसियारी भी जा रहे हैं. काफी लंबे समय तक वहां रह भी रहे हैं. हालांकि प्रदेश में तमाम ऐसे स्थान हैं जिनका विकास हुआ है, जिसमें छोटे-छोटे रिसोर्ट और योगा आश्रम बने हैं. जहां भारी तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं. हालांकि इनको पर्यटन गंतव्य के रूप में नहीं मानते हैं, लेकिन यहां भारी मात्रा में पर्यटक पहुंचते हैं.

नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर

पर्यटन सचिव ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में हमेशा से ऐसी स्थिति बनी रही है. साथ ही बताया कि पहले से चले आ रहे जो पर्यटन गंतव्य स्थल थे, उसमें सेचुरेशन की स्थिति आयी हुई है, जिस वजह से तमाम स्थलों में जाम लगा हुआ है. जिसको देखते हुए शासन ने 13 जिलों में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था.

उसी के तहत बड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. एक नया पर्यटन क्षेत्र विकसित हो रहा है. जिसके प्रति लोगों में काफी रुचि है और भारी मात्रा में लोग आना चाहते हैं. इसके साथ ही तमाम व्यापारी वहां निवेश भी करना चाहते हैं. इसी तरह नए पर्यटकों स्थल को विकसित करने को लेकर शासन जोर दे रहा है, जिस पर कार्य तीव्र गति से काम चल रहा है.

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य बने 19 साल होने को हैं लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल विकसित नहीं हो पाया है. साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर सरकार वर्तमान समय के पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नहीं कर पा रही है. ऐसे में कैसे राज्य सरकार का उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना साकार होगा ये एक बड़ा सवाल है? आइए आपको बताते हैं उत्तराखंड के पयर्टक स्थलों की स्थिति...

यूं तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इन 19 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे तो वहीं यह आंकड़ा 3 करोड़ 75 लाख के पार पहुंच गया है, जो कि राज्य गठन के बाद साढ़े तीन गुना से भी अधिक है.

यह भी पढ़ेंः ऋषिकेश: डेंगू के मरीज को रेफर करने पर परिजनों ने जमकर किया हंगामा, अस्पताल पर लगाए ये आरोप

हालांकि सैलानी यहां सिर्फ कांवड़ और कुंभ मेले के लिए नहीं आते बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड में पर्यटक भारी से भारी संख्या में आएं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सकें, ये कहीं न कहीं राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है.

सीजन के समय पैक हो जाते हैं टूरिस्ट प्लेस
प्रदेश में अमूमन देखने को मिलता है कि जब टूरिस्टों के घूमने का पीक सीजन चलता है तो प्रदेश के मुख्य सभी पर्यटक स्थल फुल हो जाते हैं. जिसके चलते स्थानीय प्रशासन को हाउसफुल का बोर्ड भी लगाना पड़ता है. यही नहीं प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थलों की बात करें तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी आदि मुख्य जगह हैं. सीजन के दौरान इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके राज्य सरकार प्रदेश के अन्य पर्यटक स्थलों को अभी तक विकसित नहीं कर पाई है.

उत्तराखंड में नए पर्यटक स्थलों की दरकार.

महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी पड़ी है, क्योंकि पिछले साल राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था, ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले. कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नहीं हो पाया. जिस वजह से ये योजना अधर में लटकी है.

छोटे-छोटे स्थल हुए हैं विकसित
साथ ही पर्यटन सचिव ने बताया कि इस बार उत्तरकाशी के यमुनाघाटी में सभी एडवेंचर टूरिज्म फुल रहे हैं. चौपता में भारी तादाद में यात्रियों के आने की वजह से लोगों को रहने की जगह नहीं थी. इसके साथ ही नैनीताल में जो पार्किंग की समस्या आ रही है उसके चलते नैनीताल के आस-पास भीमताल, मुक्तेश्वर जैसे पर्यटक स्थल विकसित हो गए हैं.

यहां तक कि अब लोग मुंसियारी भी जा रहे हैं. काफी लंबे समय तक वहां रह भी रहे हैं. हालांकि प्रदेश में तमाम ऐसे स्थान हैं जिनका विकास हुआ है, जिसमें छोटे-छोटे रिसोर्ट और योगा आश्रम बने हैं. जहां भारी तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं. हालांकि इनको पर्यटन गंतव्य के रूप में नहीं मानते हैं, लेकिन यहां भारी मात्रा में पर्यटक पहुंचते हैं.

नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर

पर्यटन सचिव ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में हमेशा से ऐसी स्थिति बनी रही है. साथ ही बताया कि पहले से चले आ रहे जो पर्यटन गंतव्य स्थल थे, उसमें सेचुरेशन की स्थिति आयी हुई है, जिस वजह से तमाम स्थलों में जाम लगा हुआ है. जिसको देखते हुए शासन ने 13 जिलों में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था.

उसी के तहत बड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. एक नया पर्यटन क्षेत्र विकसित हो रहा है. जिसके प्रति लोगों में काफी रुचि है और भारी मात्रा में लोग आना चाहते हैं. इसके साथ ही तमाम व्यापारी वहां निवेश भी करना चाहते हैं. इसी तरह नए पर्यटकों स्थल को विकसित करने को लेकर शासन जोर दे रहा है, जिस पर कार्य तीव्र गति से काम चल रहा है.

Intro:उत्तराखंड राज्य बने 19 साल होने को है लेकिन अभी तक प्रदेश के भीतर कोई भी नया पर्यटक स्थल, विकसित नहीं हो पाया है। साल 2017 में सत्ता पर काबिज हुई भाजपा सरकार ने प्रदेश के भीतर कई नए पर्यटक स्थल विकसित करने की बात कही थी लेकिन नए पर्यटक स्थलों को विकसित करना तो दूर, वर्तमान समय के पर्यटक स्थलों को व्यवस्थित तक नही कर पा रही है।ऐसे में कैसे राज्य सरकार का प्रदेश को पर्यटन प्रदेश बनाने का सपना सकार होगा ये एक बड़ा सवाल है? अखिर क्या है प्रदेश के पर्यटक स्थलों की स्तिथि, देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट......


Body:यू तो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद, इन 19 सालों में प्रदेश की शांत और खूबसूरत वादियों में घूमने आने वाले सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। राज्य गठन के बाद जहां हर साल करीब एक करोड़ सैलानी उत्तराखंड घूमने आते थे तो वहीं यह आंकड़ा 3 करोड़ 75 लाख के पार पहुंच गया है। जो कि राज्य गठन के बाद साढ़े तीन गुना से भी अधिक है। हालांकि सैलानी यहाँ सिर्फ कावड़ और कुम्भ मेले के लिए नहीं आते बल्कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जाते है। लेकिन उत्तराखंड में पर्यटक भरी से भरी संख्या में आये, और पर्यटकों को बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके कही ना कही राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती भी है। 


.....सीजन के समय पैक हो जाते है टूरिस्ट प्लेस.....

प्रदेश में अमूमन देखने को मिलता है कि जब टूरिस्टों के घूमने पीक सीजन चलता है। तो प्रदेश के मुख्य सभी पर्यटक स्थल फुल हो जाते है जिसके चलते स्थानीय प्रशासन को फुल का बोर्ड भी लगाना पड़ता है। यही नही प्रदेश के मुख्य पर्यटक स्थलों की बात करे तो हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, चकराता, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी आदि मुख्य जगह है। सीजन के दौरान इन सभी पर्यटक स्थलों पर घूमने आने वाले सैलानियों को जाम से लेकर तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने प्रदेश के अन्य पर्यटक स्थलों को अभी तक विकसित नही कर पाई है। 


.....महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी.....

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकी पड़ी है। क्योकि पिछले साल राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था। ताकि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल कर ले। लेकिन महाभारत सर्किट योजना प्रोजेक्ट में कई कमियां होने के चलते इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई फैसला नही हो पाया। जिसमे बाद से ही महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकी पड़ी है। 


..........छोटे-छोटे स्थल हुए है विकसित.......

साथ ही पर्यटन सचिव ने बताया कि इस बार उत्तरकाशी के यमुनाघाटी में सभी एडवेंचर टूरिज़म फुल रहे है। और चौपता में भारी मात्रा में यात्रियों के आने की वजह से लोगो को रहने की जगह नही थी। इसके साथ ही नैनीताल में जो पार्किंग की समस्या आ रही है, उसके चलते नैनीताल के आस-पास भीमताल, मुक्तेश्वर जैसे पर्यटक स्थल विकसित हो गए हैं। यहां तक कि अब लोग मुंसियारी भी जा रहे हैं। और काफी लंबे समय तक वहां निवास भी कर रहे हैं। हालांकि प्रदेश में तमाम ऐसे स्थान हैं जिनका विकास हुआ है जिसमें छोटे-छोटे रिजॉर्ट बने हुए हैं, योगा आश्रम बने हैं जहा भारी मात्रा में पर्यटक पहुंचते हैं। हालांकि इनको पर्यटन गंतव्य के रूप में नहीं मानते हैं लेकिन यहां भारी मात्रा में पर्यटक पहुंचते हैं।


........नए पर्यटक स्थल विकसित करने पर जोर......

पर्यटन सचिव ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में हमेशा से ऐसी स्थिति बनी रही है। साथ ही बताया कि पहले से चले आ रहे जो पर्यटन गंतव्य स्थल थे उसमें सेचुरेशन की स्थिति आयी हुई है। जिस वजह से तमाम स्थलों में जाम लगा हुआ है। जिसको देखते हुए शासन ने 13 जिला में 13 नए डेस्टिनेशन को विकसित करने का निर्णय लिया था। उसी के तहत बड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, एक नया पर्यटन क्षेत्र विकसित हो रहा है। जिसके प्रति लोगों में काफी रुचि है और भारी मात्रा में लोग आना चाहते हैं इसके साथ ही तमाम व्यापारी वहां निवेश भी करना चाहते हैं। इसी तरह नए पर्यटकों स्थल को विकसित करने को लेकर शासन जोर दे रहा है। जिस पर कार्य तीव्र गति से कल रहा है।   




Conclusion:
Last Updated : Sep 27, 2019, 3:58 PM IST
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