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दून स्कूल प्रवेश परीक्षा से हिन्दी हटाने का नव निर्माण सेना ने किया विरोध

देहरादून के दून स्कूल के प्रवेश परीक्षा से हिन्दी को हटाने और देव भाषा संस्कृत को वैकल्पिक बनाने का नव निर्माण सेना ने विरोध किया है. वहीं, नव निर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ गेट पर ज्ञापन चस्पा किया.

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Published : Jan 14, 2020, 5:13 PM IST

Updated : Jan 14, 2020, 5:25 PM IST

dehradun
नव निर्माण सेना

देहरादून: दून स्कूल में प्रवेश परीक्षा से हिंदी को हटाए जाने और देव भाषा संस्कृत को वैकल्पिक बनाए जाने के विरोध में उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के पदाधिकारियों ने दून स्कूल प्रशासन से संवाद कर मांगों को प्रेषित करने का प्रयास किया, लेकिन संवाद के लिए किसी भी स्कूल प्रशासनिक अधिकारी के ना आने पर संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्कूल के गेट पर ज्ञापन को चस्पा कर दिया.

नव निर्माण सेना ने किया विरोध.

उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के संस्थापक सदस्य और प्रदेश महासचिव सुशील कुमार ने कहा कि भाषाओं की समाप्ति के लिए दून स्कूल ने जो कदम उठाए उस संदर्भ में एक ज्ञापन पहले भी सौंपा गया था, लेकिन एक माह पूरा होने के बाद भी दून स्कूल प्रबंधन ने इस मामले में कोई संवाद स्थापित नहीं किया. आज संगठन पदाधिकारी पुनः संवाद के लिए स्कूल आए तो स्कूल प्रबंधन संवाद स्थापित करने की आवश्यकता नहीं समझी. ऐसे में हमारी जो मांगें थी उसको लेकर स्कूल के गेट पर ज्ञापन चस्पा कर दिया गया है.

ये भी पढ़े: सोमेश्वर: प्रधानाचार्य ने छात्र से ढुलाई चावल की बोरी, अस्पताल पहुंचा छात्र

वहीं, उत्तराखंड नवनिर्माण सेना ने स्कूल प्रशासन को 5 दिन का समय दिया है. नवनिर्माण सेना की मांग है कि राष्ट्रभाषा हिन्दी को प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित किया जाए. नहीं तो हमें स्कूल गेट पर धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी.

देहरादून: दून स्कूल में प्रवेश परीक्षा से हिंदी को हटाए जाने और देव भाषा संस्कृत को वैकल्पिक बनाए जाने के विरोध में उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के पदाधिकारियों ने दून स्कूल प्रशासन से संवाद कर मांगों को प्रेषित करने का प्रयास किया, लेकिन संवाद के लिए किसी भी स्कूल प्रशासनिक अधिकारी के ना आने पर संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्कूल के गेट पर ज्ञापन को चस्पा कर दिया.

नव निर्माण सेना ने किया विरोध.

उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के संस्थापक सदस्य और प्रदेश महासचिव सुशील कुमार ने कहा कि भाषाओं की समाप्ति के लिए दून स्कूल ने जो कदम उठाए उस संदर्भ में एक ज्ञापन पहले भी सौंपा गया था, लेकिन एक माह पूरा होने के बाद भी दून स्कूल प्रबंधन ने इस मामले में कोई संवाद स्थापित नहीं किया. आज संगठन पदाधिकारी पुनः संवाद के लिए स्कूल आए तो स्कूल प्रबंधन संवाद स्थापित करने की आवश्यकता नहीं समझी. ऐसे में हमारी जो मांगें थी उसको लेकर स्कूल के गेट पर ज्ञापन चस्पा कर दिया गया है.

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वहीं, उत्तराखंड नवनिर्माण सेना ने स्कूल प्रशासन को 5 दिन का समय दिया है. नवनिर्माण सेना की मांग है कि राष्ट्रभाषा हिन्दी को प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित किया जाए. नहीं तो हमें स्कूल गेट पर धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी.

Intro:भारत के प्रसिद्ध स्कूलों में से एक देहरादून स्थित दून स्कूल में प्रवेश परीक्षा से हिंदी को हटाए जाने और देव भाषा संस्कृत को वैकल्पिक बनाए जाने के विरोध में उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के पदाधिकारियों ने दून स्कूल प्रशासन से संवाद कर मांगों को प्रेषित करने का प्रयास किया, किंतु संवाद के लिए किसी भी स्कूल प्रशासनिक अधिकारी के ना आने पर संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्कूल के गेट पर ज्ञापन को चस्पा कर दिया।
summary- देहरादून के दून स्कूल की प्रवेश परीक्षा से हिंदी को हटाए जाने के विरोध में नवनिर्माण सेना के पदाधिकारियों ने स्कूल प्रबंधन से संवाद स्थापित करने की कोशिश की ,लेकिन संवाद हीनता की स्थिति में कार्यकर्ताओं ने मांगों को स्कूल के गेट पर चस्पा कर दिया।


Body:वहीं उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के संस्थापक सदस्य और प्रदेश महासचिव सुशील कुमार ने कहा कि भाषाओं की समाप्ति के लिए दून स्कूल ने जो कदम उठाए उस संदर्भ में एक ज्ञापन पहले भी सौंपा गया था, लेकिन एक माह पूरा होने के बाद भी दून स्कूल प्रबंधन ने इस मामले में कोई संवाद स्थापित नहीं किया आज संगठन पदाधिकारी पुनः संवाद के लिए स्कूल आए तो स्कूल प्रबंधन संवाद स्थापित करने की आवश्यकता नहीं समझी। ऐसे में उनकी जो मांगी थी उसको चस्पा करके स्कूल के गेट पर लगा दिया गया है। इस स्थिति में उत्तराखंड नवनिर्माण सेना ने स्कूल प्रशासन को 5 दिन के भीतर का समय दिया है, यदि राष्ट्रभाषा को प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित नहीं किया जाता है तो ऐसे में 5 दिन के बाद स्कूल गेट पर धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी ।

बाइट -सुशील कुमार ,प्रदेश महासचिव, उत्तराखंड नवनिर्माण सेना


Conclusion:वही नवनिर्माण सेना के पदाधिकारियों का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब राज्य आंदोलन चला था तब यहां के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने मार्च निकालकर अपनी बात रखी थी ऐसे इतिहास को संजोए जो दून स्कूल है ,आज अपनी मातृभाषा को भुला बैठा है ऐसा किन कारणों से हुआ यह बताने के लिए स्कूल प्रबंधन पूरी तरह से संवाद हीन बना हुआ है और गलतियों को संशोधित करने को तैयार नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 5 दिन के भीतर स्कूल प्रबंधन ऐसे ही संवाद हीन बना रहेगा तो नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं को मजबूरन स्कूल के गेट के सामने धरने प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
Last Updated : Jan 14, 2020, 5:25 PM IST
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