देहरादून: कोरोना संकटकाल में स्कूल,कॉलेजों के बंद होने की वजह से इस बार राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस एक हफ्ते के राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तौर पर मनाया जाएगा. इसके तहत आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स प्रदेश के अलग-अलग जनपदों के 43 लाख से ज्यादा 1 से 19 साल के बच्चों को पेट के कीड़े मारने वाली दवा एल्बेंडाजोल खिलाएंगी.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस ) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60% बच्चियां और किशोरियां एनीमिया यानी कि खून की कमी और कुपोषण का शिकार हैं. इसके साथ ही 30 से 40% बच्चे और किशोर भी खून की कमी और कुपोषण से ग्रसित हैं. जिसका एक प्रमुख कारण पेट में कीड़े होना भी है. यही कारण है की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से हर साल 6 महीनों के अंतराल में दो बार कृमि मुक्त अभियान चलाया जाता है.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए एनएचएम के राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. कुलदीप सिंह मर्तोलिया ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. इस अभियान के तहत कोरोना संकटकाल में आशा वर्कर्स और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां कोविड 19 से जुड़ी सभी गाइडलाइंस का पालन करते हुए घर- घर जाकर प्रदेश भर के 1 से 19 साल के बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाएंगी.
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बता दें कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए पेट के कीड़े मारने की दवा एल्बेंडाजोल का सेवन डॉक्टर की सलाह पर हर उम्र के लोग कर सकते हैं. इस दवा के सेवन से न सिर्फ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है बल्कि इससे शरीर मे खून की कमी भी दूर होती है.