देहरादून: उत्तराखंड में तेजी से एडवेंचर टूरिज्म उभर रहा है. वहीं, राज्य सरकार भी प्रदेश में नई एडवेंचर टूरिज्म की संभावनाओं को तलाश रही है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के तहत नेपाल-भारत सीमा पर मौजूद काली नदी में एक राष्ट्रीय स्तर की रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता की तैयारियां जोरो शोर पर चल रही है. जो सामरिक दृष्टि से भी उत्तराखंड के लिए एक बड़ी पहल है.
पर्यटकों को भा रहा साहसिक पर्यटन: उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म किस कदर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, इसका अंदाजा बीते कुछ सालों के आंकड़े से लगाया जा सकता है. राज्य गठन से लेकर अब तक साल 2019 में सबसे ज्यादा सवा तीन लाख पर्यटकों ने साहसिक पर्यटन रिवर राफ्टिंग में भाग लिया. कोविड-19 महामारी के बाद साल 2022 में यह आंकड़ा 5 लाख के करीब पहुंच चुका है. इस साल का अभी नवंबर माह चल रहा है, लेकिन अब तक 4 लाख 52 हजार पर्यटक रिवर राफ्टिंग कर चुके हैं.
काली नदी में नेशनल रिवर राफ्टिंग कॉम्पिटिशन: अपने कुमाऊं दौरे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काली नदी में एडवेंचर एक्टिविटी को बढ़ावा देने और एक राष्ट्रीय स्तर की रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता की घोषणा की थी. दिसंबर माह में भारत नेपाल को बांटने वाली काली नदी में 12 किलोमीटर की एक नेशनल रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता की जा रही है. काली नदी में एडवेंचर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को बढ़ावा मिलने के बाद इस नदी से सटे हुए जिले पिथौरागढ़ और चंपावत में पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा. उत्तराखंड पर्यटन विभाग साहसिक पर्यटन की जिम्मेदारी संभाल रहा है.
10 ऑपरेटरों को मिली राफ्टिंग की अनुमति: अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल अश्विनी पुंडीर ने बताया कि आगामी दिसंबर माह में काली नदी में नेशनल रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता प्रस्तावित है. जिसके लिए जिला खेल समिति को 50 लाख दिए जा चुके हैं. वहीं, प्रतियोगिता क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने के लिए काली नदी पर मौजूद चरणमंदिर (Putt in point) और बूम बैरियर (Pull out point) के विकास के अलावा अन्य अवस्थपना विकास के लिए भी फंड जारी किया जा चुका है. काली नदी पर अभी 10 ऑपरेटर को रिवर राफ्टिंग की परमिशन दी जा चुकी है और यह लगातार बढ़ रही है.
रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता में केवल भारतीय होंगे शामिल: उत्तराखंड और नेपाल बॉर्डर को बांटने वाली काली नदी में रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता होना, सामरिक दृष्टि से भी उत्तराखंड और बॉर्डर सुरक्षा के लिए बेहद कारगर साबित होगी. बता दें कि काली नदी उत्तराखंड और नेपाल के बॉर्डर को निर्धारित करती है. लिहाजा जितना अधिकार उत्तराखंड का काली नदी पर है, उतना ही नेपाल का भी है. यही वजह है कि काली नदी पर सेना की भी पैनी नजर रहती है.
ऐसे में काली नदी में होने वाली रिवर राफ्टिंग प्रतियोगिता में केवल भारतीय प्रतियोगी शामिल होंगे. इस प्रतियोगिता में किसी विदेशी को शामिल नहीं किया जाएगा. ऐसा इसलिए ताकि आगामी भविष्य में नेपाल भी इस नदी में किसी भी गतिविधि में किसी तरह के विदेशी को शामिल न करें. सुरक्षा के लिहाज से काली नदी उत्तराखंड और हमारे देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इस पर सेना के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है.
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साहसिक पर्यटन का बढ़ता क्रेज: बीते कुछ सालों से उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म का एक अलग ही क्रेज देखने को मिल रहा है. बात चाहे रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेनियरिंग या फिर ट्रैकिंग की जाए, साहसिक पर्यटन से जुड़ी हर एक एक्टिविटी में लोग बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. कोरोना महामारी के बाद जहां एक तरफ सारे सेक्टर मंदी से जूझ रहे थे. वहीं एडवेंचर टूरिज्म को लोगों ने अपने सेहत से जोड़कर देखा. पोस्ट कोविड पीरियड में रिवर राफ्टिंग में 4 महीने में 60 हजार लोगों के आने से गजब का क्रेज देखने को मिला.
एडवेंचर टूरिज्म के लिए पॉलिसी: साहसिक पर्यटन के प्रति पर्यटकों के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए उत्तराखंड पर्यटन विभाग लगातार एडवेंचर टूरिज्म को एक पॉलिसी और रेगुलेरिटी के तहत प्रदेश में व्यवस्थित ढंग से अमल में लाने के लिए प्रयासरत है. उत्तराखंड पर्यटन विभाग में एडवेंचर विंग के हेड अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल अश्विनी पुंडीर ने बताया कि साहसिक पर्यटन के सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं, इसलिए विभाग द्वारा सख्त रेगुलेरिटी और वर्ल्ड स्टैंडर्ड के मानकों का ध्यान रखते हुए इन सभी गतिविधियों को एक मैनेज्ड फ्रेमवर्क के तहत धरातल पर उतारा जा रहा है. विभाग पर्यटकों को अधिक से अधिक सुविधायें देने के लिए सभी प्रक्रियाओं को लगातार अपनाया रहा है.
रीवर राफ्टिंग में अपार संभावनाएं: रिवर राफ्टिंग को लेकर उत्तराखंड पर्यटन विभाग के एडवेंचर विंग ने काफी होमवर्क कर लिया है. एडवेंचर विंग के हेड कर्नल अश्विनी पुंडीर का कहना है कि रिवर राफ्टिंग के लिए आज ऋषिकेश शिवपुरी अच्छा खासा डेस्टिनेशन बन चुका है, लेकिन हमें उन क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही को बढ़ाना होगा, जो अभी पहचान में नहीं आए हैं. इसके लिए विभाग ने प्रदेश की 12 नदियों को चयनित किया गया है. जहां पर रिवर राफ्टिंग साइट अलॉट की गई है.
रिवर राफ्टिंग डेस्टिनेशन विकसित करने की योजना: अश्विन पुंडीर ने बताया कि इसके लिए कैरिंग कैपेसिटी के अनुसार पूरे प्रदेश में मौजूद नदियों को रिवर राफ्टिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है. वहीं इसके अलावा मानसून में एक सुनियोजित रणनीति के तहत ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों में रिवर राफ्टिंग को प्रतिबंधित कर दिया जाता है. वही केवल बरसात में बहने वाली नदियों में पानी की पर्याप्त मात्रा होने के चलते बरसाती नदियों को भी रिवर राफ्टिंग के लिए चिन्हित कर दिया गया है.