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बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर लगे रोक- पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स एसो.

नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर रोक लगाने की मांग की है. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य महिला आयोग को ई-मेल से शिकायती पत्र भेजा है.

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ऑनलाइन स्टडी पर रोक
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Published : May 12, 2020, 8:24 AM IST

Updated : May 25, 2020, 2:52 PM IST

देहरादून: नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य महिला आयोग को ई-मेल से शिकायती पत्र भेजा है. उन्होंने निजी और प्राइवेट स्कूलों द्वारा चलाई जा रही ऑनलाइन क्लासेज पर तत्काल रोक लगाने की अपील की है. एसोसिएशन का कहना है कि इससे बच्चों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है.

एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अधिकतर निजी, सरकारी कार्यालय और प्रतिष्ठान बंद हैं. इस महामारी से हुए लॉकडाउन में हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. लेकिन, राज्य सरकार की तरफ से दिए गए शासनादेश को देखते हुए सभी निजी और प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस आरंभ कर दी हैं.

ऑनलाइन के नाम पर बच्चों को 5 से 6 घंटे तक मोबाइल के जरिए पढ़ाया जा रहा है. इसके बाद उन्हें ऑफलाइन जाकर घंटों होमवर्क करना पड़ रहा है. ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर घंटों मोबाइल के सामने बैठने से उनकी आंखों और गर्दन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि निजी और प्राइवेट स्कूल फीस के लालच में बच्चों का मानसिक और शारीरिक शोषण कर रहे हैं.

पढें- कोराना से जंग: 'पुलिस' की कलम से निकला खाकी का 'जज्बा', जुबिन ने दी आवाज

आरिफ खान ने शिकायती पत्र के के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों के उस परामर्श का भी हवाला दिया है जिसमें ऑनलाइन क्लासेज में घंटों मोबाइल के सामने बैठने की वजह से बच्चों को आंखों और मांसपेशियों की समस्याएं आने लगी हैं.

देहरादून: नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य महिला आयोग को ई-मेल से शिकायती पत्र भेजा है. उन्होंने निजी और प्राइवेट स्कूलों द्वारा चलाई जा रही ऑनलाइन क्लासेज पर तत्काल रोक लगाने की अपील की है. एसोसिएशन का कहना है कि इससे बच्चों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है.

एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अधिकतर निजी, सरकारी कार्यालय और प्रतिष्ठान बंद हैं. इस महामारी से हुए लॉकडाउन में हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. लेकिन, राज्य सरकार की तरफ से दिए गए शासनादेश को देखते हुए सभी निजी और प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस आरंभ कर दी हैं.

ऑनलाइन के नाम पर बच्चों को 5 से 6 घंटे तक मोबाइल के जरिए पढ़ाया जा रहा है. इसके बाद उन्हें ऑफलाइन जाकर घंटों होमवर्क करना पड़ रहा है. ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर घंटों मोबाइल के सामने बैठने से उनकी आंखों और गर्दन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि निजी और प्राइवेट स्कूल फीस के लालच में बच्चों का मानसिक और शारीरिक शोषण कर रहे हैं.

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आरिफ खान ने शिकायती पत्र के के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों के उस परामर्श का भी हवाला दिया है जिसमें ऑनलाइन क्लासेज में घंटों मोबाइल के सामने बैठने की वजह से बच्चों को आंखों और मांसपेशियों की समस्याएं आने लगी हैं.

Last Updated : May 25, 2020, 2:52 PM IST
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