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उत्तराखंड में होगा 'नमक सत्याग्रह' नाटक का मंचन, खाराखेत गांव में बनाया था नमक

दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है. ये आंदोलन 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया था. उस दौरान पूरे देश में कई स्थानों पर नमक बनाकर इस काले कानून का विरोध किया गया था. इस दौरान आंदोलनकारियों को जेल भी हुई थी.

दांडी से खाराखेत नाटक का मंचन
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Published : Oct 2, 2019, 7:13 PM IST

देहरादून: उत्तर नाट्य संस्थान और संस्कृति विभाग उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान में गांधी जयंती के अवसर पर एक नाटक की कार्यशाला का प्रारंभ किया गया. कार्यशाला के अंत में आयोजकों ने नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत का मंचन किया.

नाटक नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत के मंचन की जानकारी देते हुए प्रसिद्ध रंगकर्मी निवेदिता बौठियाल ने बताया कि महात्मा गांधी के दांडी मार्च में देहरादून के युवा आंदोलनकारी खड़क बहादुर बिष्ट भी शामिल थे. गांधीजी के सुझाव पर खड़क बहादुर ने देहरादून लौटकर यहां के आंदोलनकारियों से संपर्क किया था. इसके बाद उन्होंने 20 अप्रैल से 7 मई 1930 तक देहरादून के दर्जनों आंदोलनकारियों के साथ 6 दस्तों में खाराखेत गांव में स्थित नून नदी के किनारे इसके नमकीन पानी से नमक बनाया था. जिसे नगर पालिका देहरादून के प्रांगण में सार्वजनिक तौर पर बेचा गया था. हालांकि, बाद में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें 6 महीने की सजा हुई थी. ये गढ़वाल और कुमाऊं का प्रमुख आंदोलन था. उसका विस्तृत विस्तृत अध्ययन कर इस नाटक का आलेख तैयार किया गया है.

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वहीं, उत्तर नाट्य संस्थान के महासचिव रोशन धस्माना ने बताया कि गांधी जयंती के अवसर पर प्रारंभ होने वाली इस कार्यशाला की अवधि 1 माह की होगी. कार्यशाला में करीब 50 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा. इसके माध्यम से अभिनय के साथ-साथ नाटक की अन्य विधाओं पर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. देश के प्रख्यात नाट्य निर्देशकों को भी आमंत्रित करने की योजना है. कार्यशाला के बाद प्रतिभागियों द्वारा नाटक नमक सत्याग्रह-दांडी से खाराखेत का मंचन किया जाएगा और नाटक के प्रदर्शन कई अन्य स्थानों पर भी किए जाएंगे.

पढ़ें- गांधी @ 150 : रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव ने लॉन्च किया बापू का प्रिय भजन​​​​​​​

गौरतलब है कि दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है. ये आंदोलन 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया था. उस दौरान पूरे देश में कई स्थानों पर नमक बनाकर इस काले कानून का विरोध किया गया था. इस दौरान आंदोलनकारियों को जेल भी हुई थी.

देहरादून: उत्तर नाट्य संस्थान और संस्कृति विभाग उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान में गांधी जयंती के अवसर पर एक नाटक की कार्यशाला का प्रारंभ किया गया. कार्यशाला के अंत में आयोजकों ने नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत का मंचन किया.

नाटक नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत के मंचन की जानकारी देते हुए प्रसिद्ध रंगकर्मी निवेदिता बौठियाल ने बताया कि महात्मा गांधी के दांडी मार्च में देहरादून के युवा आंदोलनकारी खड़क बहादुर बिष्ट भी शामिल थे. गांधीजी के सुझाव पर खड़क बहादुर ने देहरादून लौटकर यहां के आंदोलनकारियों से संपर्क किया था. इसके बाद उन्होंने 20 अप्रैल से 7 मई 1930 तक देहरादून के दर्जनों आंदोलनकारियों के साथ 6 दस्तों में खाराखेत गांव में स्थित नून नदी के किनारे इसके नमकीन पानी से नमक बनाया था. जिसे नगर पालिका देहरादून के प्रांगण में सार्वजनिक तौर पर बेचा गया था. हालांकि, बाद में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें 6 महीने की सजा हुई थी. ये गढ़वाल और कुमाऊं का प्रमुख आंदोलन था. उसका विस्तृत विस्तृत अध्ययन कर इस नाटक का आलेख तैयार किया गया है.

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वहीं, उत्तर नाट्य संस्थान के महासचिव रोशन धस्माना ने बताया कि गांधी जयंती के अवसर पर प्रारंभ होने वाली इस कार्यशाला की अवधि 1 माह की होगी. कार्यशाला में करीब 50 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा. इसके माध्यम से अभिनय के साथ-साथ नाटक की अन्य विधाओं पर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. देश के प्रख्यात नाट्य निर्देशकों को भी आमंत्रित करने की योजना है. कार्यशाला के बाद प्रतिभागियों द्वारा नाटक नमक सत्याग्रह-दांडी से खाराखेत का मंचन किया जाएगा और नाटक के प्रदर्शन कई अन्य स्थानों पर भी किए जाएंगे.

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गौरतलब है कि दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है. ये आंदोलन 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया था. उस दौरान पूरे देश में कई स्थानों पर नमक बनाकर इस काले कानून का विरोध किया गया था. इस दौरान आंदोलनकारियों को जेल भी हुई थी.

Intro:उत्तर नाट्य संस्थान और संस्कृति विभाग उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान मैं गांधी जयंती के अवसर पर एक नाटक की कार्यशाला का प्रारंभ किया गया कार्यशाला के अंत में आयोजकों ने नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत का मंचन देहरादून तथा अन्य स्थानों पर किए जाने की योजना बनाई गई।


Body:नाटक नमक सत्याग्रह दांडी से खाराखेत के मंचन की जानकारी देते हुए प्रसिद्ध रंगकर्मी निवेदिता बौठियाल ने बताया कि महात्मा गांधी के दांडी मार्च में देहरादून के युवा आंदोलनकारी खड़क बहादुर बिष्ट भी शामिल थे गांधीजी के सुझाव पर खड़क बहादुर ने देहरादून लौटकर यहां के आंदोलनकारियों से संपर्क किया और 20 अप्रैल से 7 मई 1930 तक देहरादून के करीब दर्जनों आंदोलनकारियों के साथ 6 दस्तों में खाराखेत गांव मैं स्थित नून नदी के किनारे इसके नमकीन पानी से नमक बनाया और नगरपालिका देहरादून के प्रांगण में सार्वजनिक तौर पर बेचा। वहां उनकी गिरफ्तारी होने के साथ ही 6 महीने के कैद की सजा हुई। इस पूरे आंदोलन का जो गढ़वाल और कुमाऊं का प्रमुख आंदोलन रहा उसका विस्तृत अध्ययन कर इस नाटक का आलेख तैयार किया गया है।

बाईट-निवेदिता बौठियाल, वरिष्ठ रंगकर्मी

वही उत्तर नाट्य संस्थान के महासचिव रोशन धस्माना ने कहा कि गांधी जयंती के अवसर पर प्रारंभ होने वाली इस कार्यशाला की अवधि 1 माह की होगी और कार्यशाला में करीब 50 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा इसके माध्यम से अभिनय के साथ-साथ नाटक की अन्य विधाओं पर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा और देश के प्रख्यात नाट्य निर्देशकों को भी आमंत्रित करने की योजना धरातल पर लाई जाएगी। कार्यशाला के बाद प्रतिभागियों द्वारा नाटक नमक सत्याग्रह- दांडी से खाराखेत का मंचन किया जाएगा और नाटक के प्रदर्शन कई अन्य स्थानों पर भी किए जाएंगे।

बाईट-रोशन धस्माना, महासचिव, उत्तर नाट्य संस्थान


Conclusion:गौरतलब है कि गांधीजी के नमक सत्याग्रह दांडी मार्च ने अंग्रेजी हुकूमत की चूले हिला दी थी 6 अप्रैल 1930 को दांडी नामक स्थान पर मुट्ठी भर नमक उठाकर गांधीजी ने अंग्रेजो का नमक कानून तोड़ा था, उस दौरान पूरे देश में कई स्थानों पर नमक बनाकर इस काले कानून का विरोध हुआ तथा आंदोलनकारियों को जेल की सजा हुई थी।
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