देहरादूनः नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन प्लान के अवैध निर्माण कार्यों के मामले में सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पूर्व में जारी आदेशों का पालन करने के लिए राज्य सरकार को दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है अगर इन आदेशों का पालन नहीं होता है तो मुख्य सचिव अगली तिथि को कोर्ट में पेश होंगे.
बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते के भीतर दून वैली के लिए टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे. आज सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मास्टर प्लान तैयार कर उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने केंद्र को भेजे गए प्लान को कोर्ट में पेश करने को कहा. जिसे आज कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका.
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वहीं, मामले में कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे पहले दून वैली में हो रहे माइनिंग और ग्रेजिंग की पॉलिसी को पेश करने को कहा था, जिसे अब तक पेश नहीं किया गया. इसके अलावा माइनिंग के लिए केंद्र से मिली एनओसी पेश करने को कहा गया था, लेकिन यह एनओसी भी कोर्ट में पेश नहीं की गई. लिहाजा, कोर्ट ने इन निर्देशों का पालन करने के लिए सरकार को दो हफ्ते की मोहलत दी है.
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गौर हो कि दिल्ली के रहने वाले आकाश वशिष्ठ ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का साल 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक न तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है, न ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है. जिसके चलते देहरादून की घाटी कंक्रीट में तब्दील हो रही है. जिसके चलते नदियां, जल स्रोत और जंगल प्रभावित हो रहे हैं. याचिकाकर्ता ने देहरादून में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य करने की मांग की है.