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देहरादून में अवैध निर्माण और मास्टर प्लान पर HC में सुनवाई, सरकार को दिया अंतिम अवसर - नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई

Dehradun Master Plan देहरादून में बिना मास्टर प्लान और अंधाधुंध तरीके से अवैध निर्माण किया जा रहा है. यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट की टेबल पर है. आज मामले में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान पेश न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की. साथ ही सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है. इन दो हफ्तों के भीतर पूरा प्लान पेश करने को कहा है.

Illegal Construction in Dehradun
देहरादून में कंक्रीट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 10, 2023, 9:42 PM IST

देहरादूनः नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन प्लान के अवैध निर्माण कार्यों के मामले में सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पूर्व में जारी आदेशों का पालन करने के लिए राज्य सरकार को दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है अगर इन आदेशों का पालन नहीं होता है तो मुख्य सचिव अगली तिथि को कोर्ट में पेश होंगे.

बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते के भीतर दून वैली के लिए टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे. आज सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मास्टर प्लान तैयार कर उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने केंद्र को भेजे गए प्लान को कोर्ट में पेश करने को कहा. जिसे आज कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका.
ये भी पढ़ेंः दून घाटी में अवैध कंस्ट्रक्शन पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार को किया तलब, 4 हफ्ते में मांगा जवाब

वहीं, मामले में कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे पहले दून वैली में हो रहे माइनिंग और ग्रेजिंग की पॉलिसी को पेश करने को कहा था, जिसे अब तक पेश नहीं किया गया. इसके अलावा माइनिंग के लिए केंद्र से मिली एनओसी पेश करने को कहा गया था, लेकिन यह एनओसी भी कोर्ट में पेश नहीं की गई. लिहाजा, कोर्ट ने इन निर्देशों का पालन करने के लिए सरकार को दो हफ्ते की मोहलत दी है.
ये भी पढ़ेंः कभी दून की पहचान हुआ करती थी नहरें, अब आधुनिकीकरण और कंक्रीट के जंगलों में हुई गुम

गौर हो कि दिल्ली के रहने वाले आकाश वशिष्ठ ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का साल 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक न तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है, न ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है. जिसके चलते देहरादून की घाटी कंक्रीट में तब्दील हो रही है. जिसके चलते नदियां, जल स्रोत और जंगल प्रभावित हो रहे हैं. याचिकाकर्ता ने देहरादून में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य करने की मांग की है.

देहरादूनः नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून में बिना मास्टर प्लान और पर्यटन प्लान के अवैध निर्माण कार्यों के मामले में सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पूर्व में जारी आदेशों का पालन करने के लिए राज्य सरकार को दो हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है अगर इन आदेशों का पालन नहीं होता है तो मुख्य सचिव अगली तिथि को कोर्ट में पेश होंगे.

बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते के भीतर दून वैली के लिए टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे. आज सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मास्टर प्लान तैयार कर उसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने केंद्र को भेजे गए प्लान को कोर्ट में पेश करने को कहा. जिसे आज कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका.
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वहीं, मामले में कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे पहले दून वैली में हो रहे माइनिंग और ग्रेजिंग की पॉलिसी को पेश करने को कहा था, जिसे अब तक पेश नहीं किया गया. इसके अलावा माइनिंग के लिए केंद्र से मिली एनओसी पेश करने को कहा गया था, लेकिन यह एनओसी भी कोर्ट में पेश नहीं की गई. लिहाजा, कोर्ट ने इन निर्देशों का पालन करने के लिए सरकार को दो हफ्ते की मोहलत दी है.
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गौर हो कि दिल्ली के रहने वाले आकाश वशिष्ठ ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का साल 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक न तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है, न ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया है. जिसके चलते देहरादून की घाटी कंक्रीट में तब्दील हो रही है. जिसके चलते नदियां, जल स्रोत और जंगल प्रभावित हो रहे हैं. याचिकाकर्ता ने देहरादून में टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य करने की मांग की है.

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