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नैनीताल HC ने खारिज की सभासद की विशेष अपील, मुख्य सचिव को दिया कार्रवाई का आदेश - मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन

मसूरी नगर पालिका परिषद सभासद गीता कुमाई द्वारा कोर्ट में कार्रवाई के खिलाफ दायर विशेष याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. ये मसूरी नगर पालिका की भूमि पर अतिक्रमण से जुड़ा मामला है.

नैनीताल हाई कोर्ट.
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Published : Jun 29, 2019, 11:25 AM IST

मसूरी: नैनीताल हाई कोर्ट ने मसूरी नगर पालिका परिषद की सभासद गीता कुमाई की विशेष अपील खारिज कर दी है. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मुख्य सचिव को उनके खिलाफ विधि अनुसार फैसला लेने के निर्देश दिए. इससे पहले एकल पीठ ने उनके खिलाफ नगर पालिका परिषद की भूमि पर कब्जे को लेकर जांच के आदेश दिए थे, जिसे गीता कुमाई ने स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी थी.

दरअसल, मसूरी नगर पालिका की सभासद गीता कुमाई के खिलाफ केदार सिंह चौहान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया है कि नगरपालिका के वार्ड नंबर 8 से साल 2018 में जीत दर्ज करने वाली गीता कुमाई ने अपने नामांकन के समय दिये गए शपथ-पत्र में गलत जानकारी दी है. शपथ-पत्र में गीता कुमाई ने लिखा था कि पालिका की भूमि पर उनका या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का अतिक्रमण नहीं है. अगर ऐसा कोई आरोप सिद्ध होता है तो वो चुनाव जीतने के बाद भी सभासद पद से इस्तीफा दे देंगी और पालिका शासन उनके विरुद्ध कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगा.

पढ़ें- राहत भरी खबर: चोराबाड़ी झील से केदारनाथ धाम को नहीं कोई खतरा, विशेषज्ञों ने पहुंचकर की जांच

इसी शपथ पत्र के आधार पर याचिकाकर्ता केदार सिंह चौहान ने कहा कि जांच में कब्जा सिद्ध हो गया है लेकिन सभासद गीता इस्तीफा नहीं दे रही है. याचिका में केदार सिंह ने मांग की है कि शपथ पत्र के मुताबिक उन्हें पद से इस्तीफा देने को कहा जाए या उन्हें हटाया जाए. इसी याचिक पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मुख्य सचिव को मामले की जांच कर 4 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे. इसके लिए 9 जुलाई की तिथि तय की गई थी.

वहीं, एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ सभासद गीता कुमाई ने हाई कोर्ट में स्पेशल अपील दायर की, जिसे शुक्रवार को मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया. याचिका खारिज करने के बाद अदालत ने मुख्य सचिव उत्तराखंड उत्पल कुमार को निर्देश दिए हैं कि विधि अनुसार कार्रवाई की जाए.

पढ़ें- गढ़वाल परिक्षेत्र के 46 उपनिरीक्षकों के तबादले, आईजी ने 7 जुलाई तक दिए ज्वाइनिंग के आदेश

बता दें कि जिस भूमि को लेकर मामला उठा है उसपर सभासद के परिवार का कब्जा बताया जा रहा है. पालिका के दस्तावेज के मुताबिक 1916 में मीट व सब्जी मार्केट के लिए अधिकृत की गई थी. यह लगभग 7 बीघा भूमि है. पालिका ने इन दस्तावेज को कलक्ट्रेट स्थित रिकॉर्ड रूम से हासिल किया था.

मसूरी: नैनीताल हाई कोर्ट ने मसूरी नगर पालिका परिषद की सभासद गीता कुमाई की विशेष अपील खारिज कर दी है. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मुख्य सचिव को उनके खिलाफ विधि अनुसार फैसला लेने के निर्देश दिए. इससे पहले एकल पीठ ने उनके खिलाफ नगर पालिका परिषद की भूमि पर कब्जे को लेकर जांच के आदेश दिए थे, जिसे गीता कुमाई ने स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी थी.

दरअसल, मसूरी नगर पालिका की सभासद गीता कुमाई के खिलाफ केदार सिंह चौहान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया है कि नगरपालिका के वार्ड नंबर 8 से साल 2018 में जीत दर्ज करने वाली गीता कुमाई ने अपने नामांकन के समय दिये गए शपथ-पत्र में गलत जानकारी दी है. शपथ-पत्र में गीता कुमाई ने लिखा था कि पालिका की भूमि पर उनका या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का अतिक्रमण नहीं है. अगर ऐसा कोई आरोप सिद्ध होता है तो वो चुनाव जीतने के बाद भी सभासद पद से इस्तीफा दे देंगी और पालिका शासन उनके विरुद्ध कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगा.

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इसी शपथ पत्र के आधार पर याचिकाकर्ता केदार सिंह चौहान ने कहा कि जांच में कब्जा सिद्ध हो गया है लेकिन सभासद गीता इस्तीफा नहीं दे रही है. याचिका में केदार सिंह ने मांग की है कि शपथ पत्र के मुताबिक उन्हें पद से इस्तीफा देने को कहा जाए या उन्हें हटाया जाए. इसी याचिक पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मुख्य सचिव को मामले की जांच कर 4 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे. इसके लिए 9 जुलाई की तिथि तय की गई थी.

वहीं, एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ सभासद गीता कुमाई ने हाई कोर्ट में स्पेशल अपील दायर की, जिसे शुक्रवार को मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया. याचिका खारिज करने के बाद अदालत ने मुख्य सचिव उत्तराखंड उत्पल कुमार को निर्देश दिए हैं कि विधि अनुसार कार्रवाई की जाए.

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बता दें कि जिस भूमि को लेकर मामला उठा है उसपर सभासद के परिवार का कब्जा बताया जा रहा है. पालिका के दस्तावेज के मुताबिक 1916 में मीट व सब्जी मार्केट के लिए अधिकृत की गई थी. यह लगभग 7 बीघा भूमि है. पालिका ने इन दस्तावेज को कलक्ट्रेट स्थित रिकॉर्ड रूम से हासिल किया था.

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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मसूरी नगर पालिका परिषद की सभासद गीता कुमाई की विशेष अपील खारिज कर दी है साथ ही मुख्य सचिव को उनके खिलाफ विधि अनुसार फैसला लेने के निर्देश दिए गए हैं इससे पहले एकल पीठ ने उनके खिलाफ नगर पालिका परिषद की भूमि पर कब्जे को लेकर जांच के आदेश दिए थे जिसे गीता कुमारी ने स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी थी

मसूरी नगर पालिका की सभासद गीता कुमारी के खिलाफ केदार सिंह चौहान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि नगरपालिका का चुनाव 2018 में वार्ड नंबर 8 से जीत दर्ज करने वाली गीता कुमारी ने अपने नामांकन के समय दिए गए शपथ पत्र में कहा था कि पालिका की भूमि पर उनका या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का अतिक्रमण नहीं है और अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो वह चुनाव जीतने की स्थिति में भी सभासद पद से इस्तीफा दे देंगी और पालिका शासन उनके विरुद्ध कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगा


Body:याचिकाकर्ता केदार सिंह चौहान ने अपनी याचिका में कहा कि जांच में कब्जा सिद्ध होने के बाद सभासद गीता को शपथ पत्र के मुताबिक अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए अन्यथा उन्हें हटाना जाना चाहिए जिस पर हाई कोर्ट की एकल पीठ ने केदार सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य सचिव को मामले की जांच कर 4 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे इसके लिए 9 जुलाई की तिथि तय की गई थी इधर एकल पीठ के आदेश के खिलाफ सभासद गीता कुमाई द्वारा हाई कोर्ट में स्पेशल अपील दायर की गई थी शुक्रवार को संयुक्त खंडपीठ ने अपील को खारिज कर दिया है


Conclusion:शुक्रवार को मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त खंडपीठ ने गीता कुमाई की स्पेशल अपील की सुनवाई करने के बाद उसे खारिज कर दिया है वहीं मुख्य सचिव उत्तराखंड को निर्देश दिए हैं कि विधि अनुसार कार्रवाई करें
बता दें कि इस भूमि पर सभासद के परिवार का कब्जा है वह पालिका में मौजूद दस्तावेज के मुताबिक 1916 में मीट व सब्जी मार्केट के लिए अधिकृत की गई थी यह लगभग 7 बीघा भूमि है पालिका ने इन दस्तावेज को कलक्ट्रेट स्थित रिकॉर्ड रूम से हासिल किया था विधि विशेषज्ञों के अनुसार मामला न्यायधीश न्यायालय में है और 9 जुलाई को शासन को न्यायालय में अपनी रिपोर्ट देनी है तो शासन को हाई कोर्ट के फैसले को देखते हुए 9 जुलाई से पहले कार्रवाई करनी होगी
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