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धूमधाम से मनाया जा रहा नागपंचमी पर्व, मंदिर में लगा श्रद्धालुओं का तांता

मसूरी के पहाड़ों के बीच स्थित 500 साल पुराने नाग मंदिर में आज नागपंचमी का पर्व पर सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. मंदिर में श्रद्धालु नाग देवता का दूध से अभिषेक और प्रसाद चढ़ा कर मन्नतें मांग रहे हैं.

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Published : Aug 5, 2019, 2:41 PM IST

500 साल पुराने नाग मंदिर में पूजा करते भक्त.

मसूरी: आज पूरे देश में नागपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं मसूरी के भट्टे गांव की पहाड़ों के बीच स्थित 500 साल पुराने नाग मंदिर में आज नाग पंचमी के पर्व पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. मंदिर में श्रद्धालु नाग देवता का दूध से अभिषेक और प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांग रहे हैं. वहीं इस मौके पर मंदिर समिति द्वारा कराए जा रहे सात दिवसीय भागवत कथा का भी समापन किया गया. जिसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया.

मसूरी के 500 साल पुराने नाग मंदिर में मनाया जा रहा नाग पंचमी का पर्व.

मंदिर के पुजारी जय देव प्रसाद कोठारी बताया कि नाग मंदिर 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. मान्यता है कि मसूरी के भट्टे गांव में रहने वाले किसान की एक गाय अक्सर सुबह के समय इस स्थान पर आकर एक पत्थर पर अपना दूध चढ़ाती थी. गाय जब जंगल से घर जाती थी तो दूध नहीं देती थी.

जिसपर गाय का मालिक परेशान रहने लगा और उसके मन में शंका घर कर गई. एक दिन वे गाय के पीछे चल दिया उसने देखा तो गाय एक पत्थर पर अपना दूध चढ़ा रही थी. जहां पर नाग देवता का वास था. किसान ने यह सूचना समूचे गांव की दी. तब से उस पत्थर को नाग देवता का स्वरूप मानकर पूजा की जाने लगी. वहीं आसपास के लोग इस मंदिर को सिद्ध पीठ के रूप में भी मानते हैं.

ये भी पढ़े: उत्तराखंड के इस मंदिर में चिठ्ठी लिखने पर पूरी हो जाती है मनोकामना, मिलता है 'न्याय'

ग्रामीण राकेश रावत ने बताया कि उनके कुल देवता नाग हैं. ऐसे में प्राचीन काल का यह मंदिर उनके लिए अनोखा है. साथ ही बताया कि जो कोई भक्त इस मंदिर से सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है.

मसूरी: आज पूरे देश में नागपंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं मसूरी के भट्टे गांव की पहाड़ों के बीच स्थित 500 साल पुराने नाग मंदिर में आज नाग पंचमी के पर्व पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. मंदिर में श्रद्धालु नाग देवता का दूध से अभिषेक और प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांग रहे हैं. वहीं इस मौके पर मंदिर समिति द्वारा कराए जा रहे सात दिवसीय भागवत कथा का भी समापन किया गया. जिसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया.

मसूरी के 500 साल पुराने नाग मंदिर में मनाया जा रहा नाग पंचमी का पर्व.

मंदिर के पुजारी जय देव प्रसाद कोठारी बताया कि नाग मंदिर 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. मान्यता है कि मसूरी के भट्टे गांव में रहने वाले किसान की एक गाय अक्सर सुबह के समय इस स्थान पर आकर एक पत्थर पर अपना दूध चढ़ाती थी. गाय जब जंगल से घर जाती थी तो दूध नहीं देती थी.

जिसपर गाय का मालिक परेशान रहने लगा और उसके मन में शंका घर कर गई. एक दिन वे गाय के पीछे चल दिया उसने देखा तो गाय एक पत्थर पर अपना दूध चढ़ा रही थी. जहां पर नाग देवता का वास था. किसान ने यह सूचना समूचे गांव की दी. तब से उस पत्थर को नाग देवता का स्वरूप मानकर पूजा की जाने लगी. वहीं आसपास के लोग इस मंदिर को सिद्ध पीठ के रूप में भी मानते हैं.

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ग्रामीण राकेश रावत ने बताया कि उनके कुल देवता नाग हैं. ऐसे में प्राचीन काल का यह मंदिर उनके लिए अनोखा है. साथ ही बताया कि जो कोई भक्त इस मंदिर से सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है.

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पहाड़ों की रानी मसूरी से लगभग 5 किलोमीटर दूर पर हरे भरे पहाड़ों के बीच स्थित 500 साल पुराना नाग मंदिर में नाग पंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है मसूरी और आसपास के हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर नाग देवता का दूध अभिषेक कर प्रसाद चढ़ाकर मन्नत मांग रहे हैं इस मौके पर मंदिर समिति द्वारा कराए गए जा रहे सात दिवसीय भागवत कथा का भी धूमधाम के साथ समापन किया


Body:मंदिर के पुजारी जय देव प्रसाद कोठारी और ग्रामीण राकेश रावत ने बताया कि नाग मंदिर 500 साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर है जिसकी मान्यता है कि मसूरी के भट्टे गांव में एक गाय अक्सर सुबह इस जगह पर जहां पर नाग मंदिर स्थित है पर आती थी और एक पत्थर पर अपने थन से दूध चढ़ाती थी जब गांव वाले गाय के दूध के बारे में जांच पड़ताल की तो पता चला कि यह गाय एक पत्थर में अपना दूध चढ़ाते जहां पर नाग देवता वास करते हैं और तब से उस पत्थर को नाग देवता का स्वरूप मानकर पूजा जाने लगा वहीं आसपास के लोग इस मंदिर को सिद्ध पीठ के रूप में भी मानते हैं उनकी माने तो उनके कुल देवता नाग है और ऐसे में प्राचीन काल का यह मंदिर उनके लिए अनोखा है और जो भी मन्नत इस मंदिर से सच्चे दिल से मांगी जाती है वह हमेशा पूरी होती है


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