मसूरीः पहाड़ों की रानी में नवनिर्मित राजकीय संयुक्त (सिविल) अस्पताल शुरू तो हो गया, लेकिन अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है. यहां पर डॉक्टर, नर्स और स्टाफ तैनात नहीं किये गये हैं. महज तीन डॉक्टर के भरोसे ही अस्पताल चल रहा है. अस्पताल में मशीनें और दवाइयां भी पर्याप्त नहीं है. ऐसे में मसूरी और आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिसे लेकर स्थानीय लोगों में खासा रोष दिखाई दे रहा है.
बता दें कि मसूरी सिविल अस्पताल का लोकार्पण बीते 6 मार्च को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. लोकार्पण के दौरान सीएम ने अस्पताल में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन अस्पताल में 22 में से केवल तीन डॉक्टर ही कार्यरत हैं. इतना ही नहीं अस्पताल में ना तो कोई स्टाफ नर्स तैनात हैं ना ही कोई कर्मचारी. स्थानीय निवासी रमेश राव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अस्पताल की बड़ी इमारतें तो तैयार कर दी, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना भूल गई है. चुनावी फायदा लेने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव से पहले अस्पताल का लोकार्पण किया है.
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उन्होंने कहा कि मसूरी पर्यटक स्थल होने के कारण हजारों की तादाद में पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर उन्हें इलाज के लिए कोई सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. संयुक्त अस्पताल खुलने के बाद लोगों को एक ही छत के नीचे स्वास्थ्य सुविधा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है.
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मसूरी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सतीश ढौंडियाल ने बताया कि संयुक्त अस्पताल को खुलवाने के लिए उनकी पार्टी ने सरकार का पूरा सहयोग किया है, लेकिन अस्पताल में ना ही डॉक्टर है ना कर्मचारी तैनात हैं. उन्होंने कहा कि वो सरकार से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग करेंगे. बावजूद उनकी मांगों पर कार्रवाई ना होने पर वो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे.
वहीं, संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरएस पाल का कहना है कि सरकार ने अस्पताल की मांग को पूरा किया है. जल्द ही अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएगी. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू है, ऐसे में कोई भी सरकारी आदेश जारी नहीं किए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि आचार संहिता खत्म होने के बाद अस्पताल में डॉक्टर, स्टाफ की कमी को दूर किया जाएगा.