ETV Bharat / state

उत्तराखंड: लॉकडाउन की मार से उबरेगा MSME सेक्टर? जानिए एक्सपर्ट की राय

उत्तराखंड में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग लॉकडाउन की मार से उबर नहीं पा रहा है. इस रिपोर्ट से जानिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज से क्या उत्तराखंड के एमएसएमई सेक्टर उबर पाएंगे.

MSME sector to recover from lockdown
लॉकडाउन की मार से उबरेगा MSME सेक्टर?
author img

By

Published : Jun 21, 2020, 6:14 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 9:27 PM IST

देहरादून: लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार उत्तराखंड में MSME सेक्टर को झेलना पड़ा है. इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग, फैब्रिकेशन और इंजीनियरिंग क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं. मार्केट में मांग नहीं होने से राज्य में बड़ी-बड़ी कंपनियों की इकाइयों में कामकाज पूरी तरह ठप है. ऐसे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र लॉकडाउन की मार से उबर नहीं पा रहे हैं.

मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के पैकेज में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की परिभाषा में बदलाव करते हुए इसे और व्यापक बनाया है. MSME सेक्टर को फिर से खड़ा करने के लिए 9.25 प्रतिशत ब्याज पर 4 साल के लिए लोन देने का प्रावधान किया गया है. वहीं, उत्तराखंड सरकार प्रदेश के युवाओं को एमएसएमई से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. इस रिपोर्ट से जानिए क्या उत्तराखंड में केंद्र सरकार के राहत पैकेज से MSME सेक्टर को फायदा होगा.

लॉकडाउन की मार से उबरेगा MSME सेक्टर?

उत्तराखंड में करीब 64 हजार MSME है. जिन्हें लॉकडाउन के दौरान आर्थिक नुकसान पहुंचा है. केंद्र सरकार ने देश के सभी उद्योगों को राहत देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का पैकेज दिया है. ताकि MSME सेक्टर को एक बार फिर खड़ा किया जा सके. उत्तराखंड में लोगों का आर्थिक स्त्रोत मुख्य रूप से उद्योग जगत से जुड़ा हुआ है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी और युवाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, एमएसएमई योजना सहित अन्य योजनाओं से स्वरोजगार से जोड़ रही है.

ये भी पढ़ें: 2013 की आपदा से बड़ा है कोरोना संकट? जानिए चारधाम यात्रा की चुनौतियां


राहत पैकेज से इंडस्ट्रीज पर पड़ेगा अतरिक्त भार

इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने जो पैकेज दिया है. वह सिर्फ वर्किंग कैपिटल के रूप में है. ऐसे में जो इंडस्ट्रीज चल रही हैं, उनके खर्चों को इस पैकेज के माध्यम से पूरा किया जा सकेगा. ऐसे में 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज एक लिमिटेड राहत है, ना कि लंबे समय के लिए राहत है.

पंकज गुप्ता के मुताबिक केंद्र सरकार का आर्थिक पैकेज कहीं ना कहीं उन इंडस्ट्रीज पर एक और भार के रूप में काम करेगा. क्योंकि अगर बैंक से लोन लेते हैं तो उसे समय पर भरना होगा. जो इंडस्ट्री पर एक भार की तरह पड़ेगा. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को शॉर्ट टर्म रिलीफ योजना लाना चाहिए, जिससे करंट इंटरेस्ट लायबिलिटी को कम किया जा सके.

पुरानी इंडस्ट्रीज को किया जाए खड़ा

पंकज गुप्ता ने कहा कि एक तरफ उत्तराखंड सरकार नए उद्योगों को लगाने की बात कर रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब पुराने इंडस्ट्रीज के प्रोडक्ट्स की डिमांड घट गई है तो नए इंडस्ट्रीज के प्रोडक्ट्स की डिमांड कहां से आएगी. सरकार को चाहिए कि जो पुराने उद्योग हैं, पहले उनको बचाना चाहिए और मार्केट की डिमांड बढ़ानी चाहिए. इन सबके लिए राज्य सरकार को बंद पड़े प्रोजेक्ट शुरू करने होंगे.

नए MSME से बढ़ेगा रोजगार

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक पूरे प्रदेश में करीब 32 हजार एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड हैं. इसके साथ ही अनरजिस्टर्ड एमएसएमई को मिलाकर प्रदेश में करीब 65 हजार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग हैं. राज्य के भीतर इन सभी एमएसएमई का दायरा बढ़ाने और नई एमएसएमई खोलने के लिए योजनाएं बनाई गई हैं. वर्तमान समय में एमएसएमई योजना के साथ ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना संचालित हो रही है. ऐसे में अगर एक जिले में नई 10 इंडस्ट्री भी लगती है तो उससे लोगों को रोजगार मिलेगा और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की संख्या बढ़ेगी.

MSME का सरकार ने बढ़ाया दायरा

  • पहले मैन्युफैक्चरिंग में 25 लाख और सर्विस सेक्टर में 10 लाख तक के निवेश वाले उद्यम को सूक्ष्म उद्यम माना जाता था. अब मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का अंतर तीनों श्रेणी में खत्म कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि इसे बढ़ाकर निवेश 1 करोड़ और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये तक कर किया था. इस परिभाषा को बरकरार रखा गया.
  • लघु यानी स्मॉल यूनिट की परिभाषा में निवेश 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ और टर्नओवर 2 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ किया गया. यानी इसमें टर्नओवर में 25 गुना बढ़त कर दी गई.
  • मी​डियम यूनिट के लिए निवेश 2 करोड़ और टर्नओवर 5 करोड़ रखने की शर्त थी. वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि इसे बढ़ाकर क्रमश: 20 करोड़ और 100 करोड़ रुपये किया जाएगा. लेकिन कैबिनेट ने इसे और बढ़ाते हुए अब निवेश 50 करोड़ और टर्नओवर 250 करोड़ कर दिया.

देहरादून: लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार उत्तराखंड में MSME सेक्टर को झेलना पड़ा है. इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग, फैब्रिकेशन और इंजीनियरिंग क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं. मार्केट में मांग नहीं होने से राज्य में बड़ी-बड़ी कंपनियों की इकाइयों में कामकाज पूरी तरह ठप है. ऐसे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र लॉकडाउन की मार से उबर नहीं पा रहे हैं.

मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के पैकेज में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) की परिभाषा में बदलाव करते हुए इसे और व्यापक बनाया है. MSME सेक्टर को फिर से खड़ा करने के लिए 9.25 प्रतिशत ब्याज पर 4 साल के लिए लोन देने का प्रावधान किया गया है. वहीं, उत्तराखंड सरकार प्रदेश के युवाओं को एमएसएमई से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. इस रिपोर्ट से जानिए क्या उत्तराखंड में केंद्र सरकार के राहत पैकेज से MSME सेक्टर को फायदा होगा.

लॉकडाउन की मार से उबरेगा MSME सेक्टर?

उत्तराखंड में करीब 64 हजार MSME है. जिन्हें लॉकडाउन के दौरान आर्थिक नुकसान पहुंचा है. केंद्र सरकार ने देश के सभी उद्योगों को राहत देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का पैकेज दिया है. ताकि MSME सेक्टर को एक बार फिर खड़ा किया जा सके. उत्तराखंड में लोगों का आर्थिक स्त्रोत मुख्य रूप से उद्योग जगत से जुड़ा हुआ है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी और युवाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, एमएसएमई योजना सहित अन्य योजनाओं से स्वरोजगार से जोड़ रही है.

ये भी पढ़ें: 2013 की आपदा से बड़ा है कोरोना संकट? जानिए चारधाम यात्रा की चुनौतियां


राहत पैकेज से इंडस्ट्रीज पर पड़ेगा अतरिक्त भार

इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने जो पैकेज दिया है. वह सिर्फ वर्किंग कैपिटल के रूप में है. ऐसे में जो इंडस्ट्रीज चल रही हैं, उनके खर्चों को इस पैकेज के माध्यम से पूरा किया जा सकेगा. ऐसे में 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज एक लिमिटेड राहत है, ना कि लंबे समय के लिए राहत है.

पंकज गुप्ता के मुताबिक केंद्र सरकार का आर्थिक पैकेज कहीं ना कहीं उन इंडस्ट्रीज पर एक और भार के रूप में काम करेगा. क्योंकि अगर बैंक से लोन लेते हैं तो उसे समय पर भरना होगा. जो इंडस्ट्री पर एक भार की तरह पड़ेगा. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को शॉर्ट टर्म रिलीफ योजना लाना चाहिए, जिससे करंट इंटरेस्ट लायबिलिटी को कम किया जा सके.

पुरानी इंडस्ट्रीज को किया जाए खड़ा

पंकज गुप्ता ने कहा कि एक तरफ उत्तराखंड सरकार नए उद्योगों को लगाने की बात कर रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब पुराने इंडस्ट्रीज के प्रोडक्ट्स की डिमांड घट गई है तो नए इंडस्ट्रीज के प्रोडक्ट्स की डिमांड कहां से आएगी. सरकार को चाहिए कि जो पुराने उद्योग हैं, पहले उनको बचाना चाहिए और मार्केट की डिमांड बढ़ानी चाहिए. इन सबके लिए राज्य सरकार को बंद पड़े प्रोजेक्ट शुरू करने होंगे.

नए MSME से बढ़ेगा रोजगार

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक पूरे प्रदेश में करीब 32 हजार एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड हैं. इसके साथ ही अनरजिस्टर्ड एमएसएमई को मिलाकर प्रदेश में करीब 65 हजार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग हैं. राज्य के भीतर इन सभी एमएसएमई का दायरा बढ़ाने और नई एमएसएमई खोलने के लिए योजनाएं बनाई गई हैं. वर्तमान समय में एमएसएमई योजना के साथ ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना संचालित हो रही है. ऐसे में अगर एक जिले में नई 10 इंडस्ट्री भी लगती है तो उससे लोगों को रोजगार मिलेगा और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की संख्या बढ़ेगी.

MSME का सरकार ने बढ़ाया दायरा

  • पहले मैन्युफैक्चरिंग में 25 लाख और सर्विस सेक्टर में 10 लाख तक के निवेश वाले उद्यम को सूक्ष्म उद्यम माना जाता था. अब मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का अंतर तीनों श्रेणी में खत्म कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि इसे बढ़ाकर निवेश 1 करोड़ और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये तक कर किया था. इस परिभाषा को बरकरार रखा गया.
  • लघु यानी स्मॉल यूनिट की परिभाषा में निवेश 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ और टर्नओवर 2 करोड़ से बढ़ाकर 50 करोड़ किया गया. यानी इसमें टर्नओवर में 25 गुना बढ़त कर दी गई.
  • मी​डियम यूनिट के लिए निवेश 2 करोड़ और टर्नओवर 5 करोड़ रखने की शर्त थी. वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि इसे बढ़ाकर क्रमश: 20 करोड़ और 100 करोड़ रुपये किया जाएगा. लेकिन कैबिनेट ने इसे और बढ़ाते हुए अब निवेश 50 करोड़ और टर्नओवर 250 करोड़ कर दिया.
Last Updated : Jun 21, 2020, 9:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.