देहरादून: दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल को आज पद्म भूषण से नवाजा गया. राष्ट्रपति भवन में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में बछेंद्री को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ये सम्मान दिया. बछेंद्री पाल आज पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं. साथ ही बछेंद्री पाल महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण हैं. बछेंद्री को ये सम्मान मिलने पर उनके परिवार में खुशी की लहर है.
बछेंद्री पाल के जीवन को अगर करीब से देखा जाए तो साफ तौर पर पता चलता है कि वे आज जिस मुकाम पर पहुंची हैं, वो उनके सतत प्रयास और कड़ी मेहनत का ही फल है. प्रदेश के पहाड़ी जिले उत्तरकाशी के छोटे से गांव नाकूरी से ताल्लुक रखने वाली बछेंद्री पाल का बचपन अभावों में बीता. अपने प्रारंभिक जीवन में उन्हें वो सब दुख देखने पड़े जो कि एक आम पहाड़ी लड़की को झेलने पड़ते हैं. बछेंद्री पाल को गरीबी के कारण 8वीं के बाद स्कूली पढ़ाई छोड़नी पड़ी. जिसके बाद बछेंद्री ने घर के काम करते हुए खुद से पढ़ना जारी रखा. बछेंद्री को ऐसा करता देख उनके भाई ने उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया.
बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली बछेंद्री ने इस क्षेत्र में हाथ आजमाया लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था. बाद में बछेंद्री पाल ने आर्ट साइड से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर बीएड तक पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी करने के बाद तक बछेंद्री की पर्वतारोहण में कोई दिलचस्पी नहीं थी. नौकरी की तलाश करते-करते उनका रुझान इस ओर बढ़ा. जिसके बाद एक जाने माने पर्वतारोही ने बछेंद्री को पर्वतारोहण की बारिकियों के बारे में जानकारी दी और पर्वतारोहण के क्षेत्र में आगे बढ़ने को कहा.
पर्वतारोही की बात को गांठ बांधकर बछेंद्री ने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. ये उनका जज्बा, कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ने उन्हें माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले महिला दल के लिए चयनित किया. लाख परेशानियों और कठिनाइयों का सामना करते हुए बछेंद्री पाल भारत की पहली माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली महिला बनी.
बछेंद्री पाल के अनुसार माउंट एवरेस्ट चढ़ना उनके जीवन में एक शुरुआत के जैसे था. जिसके बाद वे और अधिक जोश के साथ देश के लिए काम करने लगी. वर्तमान में बछेंद्री पाल टाटा स्टील अडवेंचर फाउंडेशन का नेतृत्व कर रही हैं. ये बछेंद्री पाल के प्रयासों का ही नतीजा है कि बीते साल उत्तरकाशी के नाल्ड गांव की 22 वर्षीय पूनम ने भी एवरेस्ट फतह किया.