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मदर्स डे स्पेशल: यहां मां के गुनाहों की सजा काट रहे मासूम, चुभती है ममता की छांव - हां मां के गुनाहों की सजा काट रहे मासूम

मदर्स डे पर उन बदनसीब मांओं पर खास ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट जिनके जीवन की गलतियां उनके बच्चों पर भारी पड़ रही हैं.

मदर्स डे स्पेशल.
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Published : May 12, 2019, 6:47 AM IST

Updated : May 12, 2019, 1:19 PM IST

देहरादून: मां की ममता वो नींव का पत्थर है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की इमारत खड़ी होती है. लेकिन, एक मां ही जब अपने बच्चे की खुशी में बाधा बन जाये तो इसे आप क्या कहेंगे? जी हां Etv Bharat मदर्स डे पर ऐसी ही बदनसीब महिलाओं से आपको रूबरू करवा रहा है, जिनके गुनाहों की सजा उनके बच्चे भुगत रहे हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट-

अपने बच्चे की शरारतों, नादानियों और बेफिक्र जिंदगी का इन मां ने गला घोंट दिया. मां का आंचल इनके लिए किसी दर्द से कम नहीं दिखता. नन्हा बचपन खुद को चारदीवारी में कैद देखकर भी इस बात का एहसास नहीं कर पा रहा कि वो किस जिंदगी को जी रहा है. यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है. ऐसी कई मां हैं जो अपने बच्चों को ही अभिशाप दे चुकी हैं. मां के गुनाहों की सजा काट रहे मासूमों की ये हकीकत गुनाह की काल कोठरी से जुड़ी है. दरअसल, कई महिलाएं ऐसी हैं जो आपराधिक मामलों में जेल की सजा काट रही हैं, कुछ विचाराधीन कैदी हैं तो कुछ सजायाफ्ता. दुख की बात यह है कि इन महिलाओं में कुछ ऐसी भी है जो अपने बच्चों के साथ सलाखों के पीछे रहने को मजबूर हैं.

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ऐसा नहीं है कि मां की कारगुजारिओं की सजा भुगत रहे बच्चों की महज उत्तराखंड में ही मौजूदगी हो. देशभर में तो ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं जिनके बच्चे अपनी मां की सजा भुगत रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2016 के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड की कुल जेलों में बंद महिलाओं की संख्या 251 है. जेलों में बंद 9 महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने बच्चों के साथ जेल में रहती हैं. राज्य में कुल 12 बेगुनाह बच्चे ऐसे हैं जो अपनी मां के गुनाह के चलते जेल की चारदीवारी में बंद हैं.

मदर्स डे स्पेशल रिपोर्ट.

नियमानुसार 6 साल तक के बच्चों को उनकी मां के साथ रहने की इजाजत जेल में रहती है और इसी के तहत बड़ी संख्या में बच्चे बिना जुर्म के अपनी मां के साथ जेल में मौजूद हैं. समाजसेवी साधना शर्मा बताती हैं कि जेल में भले ही बच्चों के लिए अलग से सभी व्यवस्थाएं होती हैं, लेकिन इन सबके बावजूद उसकी मानसिक स्थिति पर गलत असर पड़ता है. इसके लिए सरकार की तरफ से विशेष प्रबंध होने चाहिए. जिलों में रहने वाली महिलाएं भले ही अपराध के मामले में जेल में हों लेकिन उनकी ममता वैसे ही होती है जैसे समाज में रहने वाली किसी अन्य मां की. लेकिन, परिस्थितियां और हालात कई बार मां को अपने बच्चों के प्रति गुनाहगार बना देती हैं.

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बच्चे के लिए मां उसका सब कुछ होती है, लेकिन अनजाने में कई बार मां अपने बच्चे के लिए ही ऐसा अभिशाप बन जाती है जिसका पछतावा शायद उस मां को जिंदगी भर होता होगा. जेलों में बंद ऐसी ही कई मां मौजूद हैं जो विचाराधीन कैदी के रूप में वहां रह रही हैं, उनके लिए सरकार को कुछ ऐसे बंदोबस्त करने चाहिए ताकि इन बच्चों के भविष्य को लेकर न तो चिंता हो और न ही इनके दिमाग पर कारावास का गलत असर पड़े.

देहरादून: मां की ममता वो नींव का पत्थर है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की इमारत खड़ी होती है. लेकिन, एक मां ही जब अपने बच्चे की खुशी में बाधा बन जाये तो इसे आप क्या कहेंगे? जी हां Etv Bharat मदर्स डे पर ऐसी ही बदनसीब महिलाओं से आपको रूबरू करवा रहा है, जिनके गुनाहों की सजा उनके बच्चे भुगत रहे हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट-

अपने बच्चे की शरारतों, नादानियों और बेफिक्र जिंदगी का इन मां ने गला घोंट दिया. मां का आंचल इनके लिए किसी दर्द से कम नहीं दिखता. नन्हा बचपन खुद को चारदीवारी में कैद देखकर भी इस बात का एहसास नहीं कर पा रहा कि वो किस जिंदगी को जी रहा है. यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है. ऐसी कई मां हैं जो अपने बच्चों को ही अभिशाप दे चुकी हैं. मां के गुनाहों की सजा काट रहे मासूमों की ये हकीकत गुनाह की काल कोठरी से जुड़ी है. दरअसल, कई महिलाएं ऐसी हैं जो आपराधिक मामलों में जेल की सजा काट रही हैं, कुछ विचाराधीन कैदी हैं तो कुछ सजायाफ्ता. दुख की बात यह है कि इन महिलाओं में कुछ ऐसी भी है जो अपने बच्चों के साथ सलाखों के पीछे रहने को मजबूर हैं.

पढ़ें- अच्छी खबरः केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए सस्ती हुई हेली सेवा, 14 मई से हो सकती है उड़ान शुरू

ऐसा नहीं है कि मां की कारगुजारिओं की सजा भुगत रहे बच्चों की महज उत्तराखंड में ही मौजूदगी हो. देशभर में तो ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं जिनके बच्चे अपनी मां की सजा भुगत रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2016 के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड की कुल जेलों में बंद महिलाओं की संख्या 251 है. जेलों में बंद 9 महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने बच्चों के साथ जेल में रहती हैं. राज्य में कुल 12 बेगुनाह बच्चे ऐसे हैं जो अपनी मां के गुनाह के चलते जेल की चारदीवारी में बंद हैं.

मदर्स डे स्पेशल रिपोर्ट.

नियमानुसार 6 साल तक के बच्चों को उनकी मां के साथ रहने की इजाजत जेल में रहती है और इसी के तहत बड़ी संख्या में बच्चे बिना जुर्म के अपनी मां के साथ जेल में मौजूद हैं. समाजसेवी साधना शर्मा बताती हैं कि जेल में भले ही बच्चों के लिए अलग से सभी व्यवस्थाएं होती हैं, लेकिन इन सबके बावजूद उसकी मानसिक स्थिति पर गलत असर पड़ता है. इसके लिए सरकार की तरफ से विशेष प्रबंध होने चाहिए. जिलों में रहने वाली महिलाएं भले ही अपराध के मामले में जेल में हों लेकिन उनकी ममता वैसे ही होती है जैसे समाज में रहने वाली किसी अन्य मां की. लेकिन, परिस्थितियां और हालात कई बार मां को अपने बच्चों के प्रति गुनाहगार बना देती हैं.

पढ़ें- पहाड़ियों के सामने 'पहाड़' जैसी मुसीबत, आखिर कौन सुने छड़ा और अणिया के ग्रामीणों की पुकार?

बच्चे के लिए मां उसका सब कुछ होती है, लेकिन अनजाने में कई बार मां अपने बच्चे के लिए ही ऐसा अभिशाप बन जाती है जिसका पछतावा शायद उस मां को जिंदगी भर होता होगा. जेलों में बंद ऐसी ही कई मां मौजूद हैं जो विचाराधीन कैदी के रूप में वहां रह रही हैं, उनके लिए सरकार को कुछ ऐसे बंदोबस्त करने चाहिए ताकि इन बच्चों के भविष्य को लेकर न तो चिंता हो और न ही इनके दिमाग पर कारावास का गलत असर पड़े.

Intro:नोट--फीड ftp से भेजी गई है।
फोल्डर नाम-UK_DDN_MAA Ke GUNAH KI SAJA BACHHON KO_VIS_BYTE_PTC_7206766

स्पेशल रिपोर्ट…......


मां की ममता वो नींव का पत्थर है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की इमारत खड़ी होती है...लेकिन यदि एक माँ ही अपने बच्चे की खुशहाली का रोड़ा बन जाये तो इसे आप क्या कहेंगे...जी हां Etv Bharat मदर्स डे पर ऐसी ही बदनसीब महिलाओं से आपको रूबरू करवा रहा है जिनके गुनाहों की सजा उनके बच्चे भुगत रहे हैं। देखिये Etv भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट.....


Body:आज इस मां ने अपने बच्चे की शरारतों, नादानियों और बेफिक्र जिंदगी का गला घोंट दिया। मां का आँचल इनके लिए किसी दर्द से कम नही दिखता...नन्हा बचपन खुद को चारदीवारी में कैद देखकर भी इस बात का एहसास नही कर पा रहा कि वो किस जिंदगी को ज़ी रहा है... यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है ऐसी कई माओं की जो अपने बच्चों को ही अभिशाप दे चुकी है। मां के गुनाहों की सजा काट रहे मासूमों की ये हकीकत गुनाह की काल कोठरी से जुड़ी है। दरअसल कई महिलाएं ऐसी है जो आपराधिक मामलों में जेल की सजा काट रही है कुछ विचाराधीन कैदी है तो कुछ सजायाफ्ता... दुख की बात यह है कि इन महिलाओं में कुछ ऐसी भी है जो अपने बच्चों के साथ सलाखों के पीछे रहने को मजबूर है।

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उत्तराखंड में कुल जेलों में बंद महिलाओं की संख्या 251 है

जेलों में बंद 9 महिलाएं ऐसी है जो अपने बच्चों के साथ जेल में रहती है

राज्य में कुल 12 बेगुनाह बच्चे ऐसे हैं जो अपनी मां के गुनाह के चलते जेल की चारदीवारी में बंद है।

बाइट- शारदा त्रिपाठी सदस्य बाल संरक्षण आयोग

ऐसा नहीं है कि मां की कारगुजारीओं की सजा भुगत रहे बच्चों की महज उत्तराखंड में ही मौजूदगी हो बल्कि देशभर में तो ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं जिनके बच्चे अपनी मां की सजा तो भुगत रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2016 के आंकड़े बताते हैं कि

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देश में कुल 1649 महिलाएं ऐसी है जिसके बच्चे उनके साथ जेल में ही रहते हैं

जेल में रहने वाले बेगुनाह बच्चों की संख्या भी 1942 है

देश में कुल 1400 जेलें हैं ज़िद में 67% विचाराधीन कैदी मौजूद है।

नियमानुसार 6 साल तक के बच्चों को उनकी मां के साथ रहने की इजाजत जेल में रहती है और इसी के तहत बड़ी संख्या में बच्चे बिना जुर्म के अपनी मां के साथ जेल में मौजूद है। समाजसेवी साधना शर्मा बताती है कि जेल में भले ही जेलों में बच्चों के लिए अलग से सभी व्यवस्थाएं होती है लेकिन इस सब के बावजूद उसकी मानसिक स्थिति पर गलत असर पड़ता है और इसके लिए सरकार की तरफ से विशेष प्रबंध होने चाहिए। जिलों में रहने वाली महिलाएं भले ही अपराध के मामले में जेल में हो लेकिन उनकी ममता वैसे ही होती है जैसे समाज में रहने वाली किसी मां की। लेकिन परिस्थितियां और हालात कई बार मां को अपने बच्चों के प्रति गुनाहगार बना देते हैं।

बाइट साधना शर्मा समाजसेवी




Conclusion:बच्चे के लिए मां उसका सब कुछ होती है लेकिन अनजाने में कई बार मां अपने बच्चे के लिए ही ऐसा अभिशाप बन जाती है जिसका पछतावा शायद उस मां को जिंदगी भर होता होगा। जेलों में बंद ऐसी ही कई माएं मौजूद हैं लेकिन इस सब के बावजूद वह मां जो विचाराधीन कैदी के रूप में वहां रह रही है उनके लिए सरकार को कुछ ऐसे बंदोबस्त भी करनी चाहिए ताकि इन बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता है कुछ कम हो सके।

पीटीसी नवीन उनियाल
Last Updated : May 12, 2019, 1:19 PM IST
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