देहरादून: उत्तराखंड में 3 दिन से लगातार हो रही बारिश के बाद चटक धूप ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा (Rain landslide in Uttarakhand increased the suffering of people) दी हैं. बारिश और धूप के बाद प्रदेश के 13 जिलों में से शायद ही कोई ऐसा जिला होगा जहां सड़कें बंद न हुई हों. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक 1721 किलोमीटर लंबाई की लगभग 220 सड़कें (More than 220 roads closed in Uttarakhand) बंद हैं. जिनमें से विभाग ने 40 सड़कों को लगभग खोल दिया है, बाकी सड़कें 2 दिन से बंद पड़ी हुई हैं. अगर समय से रहते इन सड़कों को नहीं खोला गया तो आने वाले दिनों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
उत्तराखंड में लगातार हो रहे भूस्खलन (rain landslide in Uttarakhand ) से मौजूदा समय में रुद्रप्रयाग में एनएच 107 बंद पड़ी है. चमोली से चोपता जाने वाले बंद मार्ग को खोलने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है. एक आंकड़े के मुताबिक मौजूदा समय में प्रदेश के 18 राज्य स्तरीय मार्ग बंद पड़े हैं, जबकि 11 जिला मुख्यालयों के मार्ग पूरी तरह से बंद हैं. अन्य जिलों के मार्गों की बात करें जो मुख्यालयों से गांवों को जोड़ते हैं उनकी संख्या भी 80 है, जो सभी बंद पड़े हैं. पीएमजीएसवाई (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की बंद सड़कों की संख्या भी 112 बताई जा रही है. सबसे अधिक 1721 किलोमीटर की सड़कें फिलहाल राज्य में बंद पड़ी हैं. जिन्हें खोलने का काम तेजी से किया जा रहा है.
पढ़ें-BJP की अहम बैठक आज, CM धामी सहित वरिष्ठ नेता रहेंगे मौजूद, दायित्वों को लेकर होगी चर्चा!
यात्रा पर पड़ा असर, रोके जा रहे यात्री: सड़कें बंद होने की वजह से चारधाम यात्रा पर भी इसका असर देखा जा रहा है. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों को कई बार बीच रास्ते में ही रोका जा रहा है. लामबगड़ में मलबा आने की वजह से लगभग 1030 यात्रियों को पांडुकेश्वर और गोविंद घाट पर रोका गया है. केदारनाथ पैदल जाने वाले यात्रियों को भी कई बार नाले में अधिक पानी आने की वजह से रोका जा रहा है. चारधाम यात्रियों की संख्या में भी बरसात के सीजन के कारण गिरावट देखी जा रही है. गंगोत्री धाम में आज सुबह तक लगभग 165 लोगों ने दर्शन किए हैं जबकि यमुनोत्री धाम में 800 लोगों ने दर्शन किए हैं. कल शाम तक केदारनाथ धाम में दर्शन करने वालों की संख्या 932 रही, जबकि बदरीनाथ में दर्शन करने वालों की संख्या 447 पहुंची.
उत्तराखंड में बारिश से लगातार नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही साथ पर्यटन पर भी इसका असर पड़ रहा है. बारिश ने यात्रियों की संख्या पर रोक लगा दी है. स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटक भी बारिश के कारण परेशान हो रहे हैं.
सड़कें खोलने में लगी 250 से अधिक जेसीबी: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Minister Satpal Maharaj) से ईटीवी भारत ने जब इस पूरे मामले पर बातचीत की तो उन्होंने बताया उत्तराखंड में सड़कों का बंद होना यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. पहाड़ों में लगातार बारिश होती है. जिसकी वजह से पहाड़ नीचे खिसकते हैं. जिसके कारण भूस्खलन होता. तब रास्ते बंद हो जाते हैं. साल दर साल हमने इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए अपने संसाधनों में बढ़ोत्तरी की है. मौजूदा समय में 250 से अधिक जेसीबी और 500 से ज्यादा बड़े वाहन सड़क खोलने का काम कर रहे हैं. पीडब्ल्यूडी के अधिकारी हों या आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी लगातार समन्वय बनाकर बंद सड़कों को खोलने में लगे हैं. सतपाल महाराज ने कहा कि हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि चारधाम मार्ग पर यात्रियों को किसी भी दिक्कत का सामना ना करना पड़े. उन्होंने कहा कि सड़कें सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं. अगर चमोली और उत्तरकाशी जाने वाली सड़कें बंद होती हैं तो इसका असर सेना की मूवमेंट पर भी पड़ता है. इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिक देर तक बंद ना हों इसके लिए राज्य सरकार पूरे प्रयास कर रही है.
पढ़ें- रुद्रप्रयाग जिले में बारिश से बंद हैं एक दर्जन मोटरमार्ग, मयाली-घनसाली रोड का पुल टूटा
हल्द्वानी में जलभराव से बढ़ी लोगों की परेशानी: मानसून सीजन में हल्द्वानी शहर के लिए जलभराव हमेशा मुसीबत का कारण बनती है. बीते दिनों हुई बरसात में शहर में भारी जलभराव हो गया है. नहर और नाले ओवरफ्लो होने लगे हैं. ड्रेनेज सिस्टम फेल हो गया. भारी बारिश के चलते लोगों के घरों में और दुकानों में पानी घुसने से लोगों को बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा है. जिसके बाद कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने नगर निगम पर गंभीर आरोप लगाए हैं. विधायक सुमित हृदयेश ने कहा नगर निगम हर साल लाखों रुपए का बजट नालों की और नहरों की सफाई के लिए खर्च करता है, लेकिन वह सफाई कहां होती है आज तक किसी को पता नहीं चला.